आईओटी हुआ सुदृढ़, जिले में 300 मरीजों के मोतियाबिंद का किया गया सफल ऑपरेशन
– दो चिकित्सक आई ओटी में है पदस्थापित
– अस्पताल प्रशासन ने जरूरतमंदों की आंखों की लौटाया रोशनी
मधुबनी
स्वास्थ्य विभाग के कवायत से सदर अस्पताल में संचालित आई वार्ड को नवंबर 2019 को अपग्रेड किया गया. जिसके बाद वहां मरीजों का जांच, ऑपरेशन शुरू किया गया। विगत 1 वर्षों में सदर अस्पताल में 6000 से अधिक मरीजों ने आंखों से संबंधित इलाज करवाया है. वही 300 से अधिक मरीजों का सफल ऑपरेशन किया गया है। आईओटी में वर्तमान में 2 चिकित्सक पदस्थापित हैं, जिसमें डॉ. संजीव कुमार नयन नेत्र चिकित्सक सह सर्जन एवं डॉ. आकांक्षा की जिनकी प्रतिनियुक्ति नवंबर 2020 में हुई है इन्होंने भी अभी तक दर्जनों मरीजों का मोतियाबिंद का सफल ऑपरेशन किया है।
एक वर्ष में 300 मोतियाबिंद मरीजों का किया गया सफल ऑपरेशन :
सदर अस्पताल आई ओटी की शुरुआत नवंबर 2019 में की गई थी, तब से लेकर अब तक जिले में एक वर्ष में 300 से अधिक मोतियाबिंद मरीजों का निशुल्क ऑपरेशन किया गया है। इन मरीजों को ऑपरेशन के बाद इन सभी मरीजों को लेंस तथा चश्मा निशुल्क उपलब्ध कराया गया। गांव के बुजुर्ग जिनका आंखों का ऑपरेशन आर्थिक तंगी या परिवार की उपेक्षा के कारण नहीं हो पाता है। उन्हें चिह्नित कर फ्री में ऑपरेशन कराया गया। आने जाने के लिए मुफ्त में एंबुलेंस सुविधा सुविधा दी गई।
क्या होता है मोतियाबिंद:
सदर अस्पताल के नेत्र चिकित्सक संजीव नयन ने बताया लेंस आंख का एक स्पष्ट भाग है जो लाइट या इमेज को रेटिना पर फोकस करने में सहायता करता है। रेटिना आंख के पिछले भाग पर प्रकाश के प्रति संवेदनशील उतक है। सामान्य आंखों में, प्रकाश पारदर्शी लेंस से रेटिना पर जाता है। जब यह रेटिना पर पहुंच जाता है, प्रकाश नर्व सिग्नल्स में बदल जाता है, जो मस्तिष्क की ओर भेजे जाते हैं। रेटिना शार्प इमेज प्राप्त करे इसके लिए जरूरी है कि लेंस क्लियर हो। जब लेंस क्लाउडी हो जाता है तो लाइट लेंसों से स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाती जिससे जो इमेज आप देखते हैं वो धुंधली हो जाती है। इसके कारण दृष्टि बाधित होने लगती है जिसे मोतियाबिंद कहते हैं नजर धुंधली होने के कारण मोतियाबिंद से पीड़ित लोगों को पढ़ने, नजर का काम करने, विशेषकर रात के समय में समस्या आती है।
मोतियाबिंद होने के कारण कारण:
नेत्र चिकित्सक संजीव नयन ने बताया उम्र का बढ़ना, डायबिटीज, शराब का सेवन, मोतियाबिंद का पारिवारिक इतिहास, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा आदि कारणों से मोतियाबिंद होने की संभावना होती है।
मोतियाबिंद के लक्षण:
डॉ. संजीव कुमार नयन ने बताया अधिकतर मोतियाबिंद धीरे-धीरे विकसित होते हैं और शुरूआत में दृष्टि प्रभावित नहीं होती है, लेकिन समय के साथ यह देखने की क्षमता को प्रभावित करता है। इसके कारण व्यक्ति को अपनी प्रतिदिन की सामान्य गतिविधियों को करना भी मुश्किल हो जाता है।
– दृष्टि में धुंधलापन या अस्पष्टता
– बुजुर्गों में निकट दृष्टि दोष में निरंतर बढ़ोतरी
– रंगों को देखने की क्षमता में बदलाव
– गाड़ी की हैडलाइट से आँखें चैंधियाना
– चश्मे के नंबर में अचानक बदलाव आना
चालीस वर्ष के पश्चात नियमित रूप से आंखों की कराएं जांच:
40 वर्ष के बाद उम्र बढ़ने से लोगों में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगती जिसे ध्यान में रखते हुए आंखों का नियमित चेकअप कराना चाहिए सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें मोतियाबिंद विकसित करने में सहायता कर सकती हैं। जब भी बाहर धूप में निकलें सनग्लासेस लगाएं। डायबिटीज के मरीज में मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है। वजन सामान्य बनाएं धुम्रपान छोड़ें और शराब का सेवन कम से कम करें।
कब कराएं मोतियाबिंद का ऑपरेशन:
डॉ. संजीव ने बताया जब चश्मे या लेंस से आपको स्पष्ट दिखाई न दे तो सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है। सर्जरी की सलाह तभी दी जाती है जब मोतियाबिंद के कारण आपके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित होने लगती है। सर्जरी में जल्दबाजी न करें, क्योंकि मोतियाबिंद के कारण आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन अगर आपको डायबिटीज है तो इसमें देरी न करें।