दरभंगा सडक निर्माण एवं प्रबंधन में क्लाइमेट एवं डिजास्टर रेजिलिएन्ट एप्रोच अपनाने की जरूरत

 

 

सड़क निर्माण एवं प्रबंधन में क्लाइमेट एवं डिजास्टर रेजिलिएन्ट एप्रोच अपनाने की जरूरत -डा सुनील हम लोग है ऐसे दीवाने, तकनीक बदलकर मानेंगे ।
मंजिल को पाने निकले है,मंजिल को पाकर मानेंगे।पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता मधुबनी जिला के खिरहर गाँव निवासी डा सुनील कुमार चौधरी ने कन्सटीच्यूसन क्लब आफ इंडिया, नई दिल्ली में “डिजास्टर रेजिलिएन्स एन्ड ग्रीन ग्रोथ फौर सस्टनेबल डेवलपमेंट ” पर आयोजित इन्टरनेशनल सिम्पोजियम में शोध पत्र प्रस्तुत कर बिहार एवं पथ निर्माण विभाग का मान बढाया । वे इन्टरनेशनल सिम्पोजियम में शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले पथ निर्माण विभाग के पहले अभियंता बन गये हैं। डा चौधरी के शोध पत्र का शीर्षक था-“क्लाइमेट एन्ड डिजास्टर रेजिलिएन्ट ट्रान्सपोरट सिस्टम एण्ड इन्फ्रास्टक्चर डेवलपमेंट फौर बिहार ” ।डा चौधरी ने इन्फ्रास्टक्चर खासकर सड़क निर्माण एवं प्रबंधन में डिजास्टर रेसिस्टेन्ट एवं डिजास्टर रेजिलिएन्ट एप्रोच के अन्तर पर प्रकाश डाला ।उन्होने बताया कि बिहार एक बहुआपदा प्रवण राज्य है जो बाढ,सुखाड़ एवं भूकंप की मार झेलता रहा है ।ऐसे में जरूरी है कि बिहार मे डिजास्टर रेजिलिएन्ट एप्रोच से सड़क निर्माण एवं प्रबंधन की जाय। डिजास्टर रेजिलिएन्ट एप्रोच डिजास्टर के साथ जीने की कला है । उन्होने सड़क निर्माण में डिजास्टर रेसिस्टेन्ट मटेरियल के उपयोग पर भी चर्चा की ।डा चौधरी ने बताया कि सड़क निर्माण एवं प्रबंधन में स्थल के अनुसार डिजास्टर रेसिस्टेन्ट मटेरियल एवं डिजास्टर रेजिलिएन्ट एप्रोच का उपयोग कर आपदा के समय सड़क को सुरछित एवं यातायात को सुगम किया जा सकता है ।इसके लिए समाज में लोगो को जागरूक करना होगा ।उन्होने बताया कि पिछले चौदह साल में बिहार में इन्फ्रास्टक्चर के हर क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ है, खासकर सड़क एवं पुल का जाल बिछा दिया गया है ।क्लाइमेट चेन्ज पर एक्सन प्लान एवं आपदा प्रबंधन पर डी आर आर रोड मैप बनाया गया है ।क्लाइमेट एवं डिजास्टर रेजिलिएन्ट निर्माण पर बड़े पैमाने पर काम हो रहा है । आपदा के समय सड़क भारी संख्या में क्षति ग्रस्त हो जाते हैं एवं जान माल की काफ़ी क्षति होती है जिससे लोगों को भारी कष्ट उठाना पड़ता है।ऐसे में पारम्परिक सड़क निर्माण एवं प्रबंधन में बदलाव की जरूरत है ।डा चौधरी ने सड़क निर्माण में अभिकल्प एवं मटेरियल के विशिष्टयो एवं प्रबंधन नीतियों में बदलाव की जरूरत की जोरदार वकालत की एवं इस दिशा में शोध को बढ़ावा देने की जरूरत बताई ।उन्होने सड़क निर्माण में प्लास्टिक, जूट,भेटिभर ग्रास,फ्लाइ ऐश,सेल्फ क्यूरिन्ग एन्ड सेल्फ कम्पैक्टिन्ग कन्क्रीट के प्रयोग की आवश्यकता पर बल दिया ।उन्होने क्लाइमेट एवं डिजास्टर रेजिलिएन्ट निर्माण एवं प्रबंधन में बायोइन्जिनियरिन्ग की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला ।उन्होने बताया कि बिहार मे सीएमबीडी एवं पथ सन्धारण नीति लागू है जो क्लाइमेट एवं डिजास्टर रेजिलिएन्ट निर्माण एवं प्रबंधन की दिशा में एक कारगर कदम है । बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के सपना सुरछित बिहार विकसित बिहार को साकार करने के लिए क्लाइमेट एवं डिजास्टर रेजिलिएन्ट निर्माण एवं प्रबंधन पर समाज के हर तबके को जागरूक करने के अभियान को एक आन्दोलन का रूप देकर पूरा देश में फैलाने की जरूरत है ।डा चौधरी ने अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय जर्नल एवं कान्फ्रेस में 170 से ज्यादा शोध पत्र प्रस्तुत कर चुके हैं एवं उन्हें 26 अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जा चुका है । डा चौधरी अन्तरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के तकनीकी एवं सामाजिक संगठनों से जुड़कर डिजास्टर रेसिस्टेन्ट बिलडिन्ग मटेरियल एवं कौस्ट इफेक्टिव टेक्नोलॉजी को समाज के अन्तिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचाने का काम करते रहे हैं ।डा चौधरी बिहार राज्य अभियंत्रण सेवा संघ के पूर्व सचिव भी रह चुके हैं ।उन्होने निम्नलिखित पंक्तियों के साथ अपनी बात समाप्त की-
“हो गयी है पीड़ पर्वत सी पिघलनी चाहिए,
इस सिम्पोजियम से कोई गंगा निकलनी चाहिए ।
सिर्फ शोध पत्र प्रस्तुत करना ही हमारा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ए सूरत बदलनी चाहिए ।
डा चौधरी को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया ।

* न्यूज़ डेस्क अजित कुमार सिंह

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