ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवां ने 527 B को 12 से 3 बजे तक किसानों के समर्थन में पूरी तरह किया जाम

 

किसान संगठनों के आंदोलन को पूरे भारत का समर्थन हासिल है, इसे वर्ग विशेष का आंदोलन बताने की गलती न करे सरकार: नज़रे आलम

मुस्लिम बेदारी कारवां ने 527 B को 12 से 3 बजे तक किसानों के समर्थन में पूरी तरह किया जाम

 

Edit by – अजित कुमार सिंह

दरभंगा- किसान संगठनों के चक्का जाम के आह्वान का ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ के अध्यक्ष नज़रे आलम ने किया पुरज़ोर समर्थन, एन०एच० 527 B पर आवागमन 12 से 3 बजे तक पूरी तरह ठप रहा। चक्का जाम को सफल बनाने में स्थानीय लोगों का भरपूर समर्थन रहा, हर वर्ग की सहभागिता बताती है कि किसान इस लड़ाई में अकेला नहीं है पूरा देश उसके साथ खड़ा है। आज पूरा देश ये समझ रहा है कि किसानों ने जो लड़ाई छेड़ी है अहंकारी सरकार के ख़िलाफ़ उस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाना ज़रूरी है। नज़रे आलम ने कहा कि किसानों की लड़ाई को सरकार गोदी मीडिया के सहयोग से देश विरोधी घोषित करने पर तुली है। मगर किसानों को बदनाम करने वाले ये समझ लें कि जब जब अन्न उगाने वालों ने अपने हक़ के लिए सत्ता को ललकारा है इतिहास गवाह है सत्ता को हमेशा झुकना पड़ा है। क्योंकि देश का अन्नदाता सच्चा और ईमानदार है। मेहनत करके रोटी कमाता भी है और देश को रोटी खिलाता भी है। इस चक्का जाम के माध्यम से मैं बहरी सरकार को बताना चाहता हूँ कि तुम्हारी कील-कांटों भरी दीवारें हमारे हौंसलों के उड़ान को नहीं रोक सकेगी। हम सरकार से मांग करते हैं कि वो अन्नदाता की मांगों का सम्मान करें देशहित में उनके योगदान का इतिहास है, वो सच्चे देश भक्त हैं। हम सरकार से मांग करते हैं कि काले कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में 200 किसानों की शहादत की अनदेखी न करें, उनका सम्मान करते हुए इन तीनों कृषि कानूनों को अविलंब वापस लें। 159 शहीद किसानों के परिवार के परिवार के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि बिल वापसी ही होगी। गणतंत्र दिवस के दिन हुई रैली में सैकड़ों निर्दोष किसानों को जबड़न गलत धारा लगाकर जेल में बंद करने की गलती को सुधारते हुए सरकार उन्हें तुरंत रिहा करे। साथ ही देश के सामने आकर प्रधानमंत्री ये कहें कि देश का किसान उनके लिए अडानी-अम्बानी से ज़्यादा महत्वपूर्ण है। वरना ये आंदोलन यूँही आग की तरह पूरे देश में फैलता जाएगा। बिना डरे, बिना झुके किसानों के साथ साथ देश का एक-एक नागरिक सरकार के खिलाफ सड़क पर निकल आएगा। अगर सरकार नागरिक सुरक्षा और देश की अस्मिता को लेकर ज़रा भी चिंतित है तो उसके कार्यकलापों में भी झलकना चाहिए। अपने गुंडों के माध्यम से एक समाज को दूसरे समाज से लड़ा कर ये आंदोलन हरगिज़ नहीं ख़त्म होने वाला। सत्ता में बैठी अहंकारी भाजपा को भी ये समझने की ज़रूरत है। आप उनको मत डराओ जिनके पास पहले ही खोने को कुछ नहीं है बल्कि डरना आपको चाहिए कि अगर आप नहीं मानें तो शायद दशकों के लिए ये देश आपको सत्ता से दूर करदे जैसा कि पहले भी आपकी विचारधारा के लोगों को इस देश ने 60 सालों तक सत्ता से दूर रखा। आन्दोलन में असद नदवी, हीरा निजामी, अब्दुल कुद्दूस सागर, मोतिउर रहमान, डा० राहत अली, मो० तालिब, जकी अहमद, कारी मो० सईद जफर, अबरार अहमद, मो० चांद, अर्जुन यादव, पप्पू पासवान, सोनू मंडल, विजय कुमार मिश्रा, संजय झा, मो० हुसैन, मो० तौकीर, मो० इमरान, मो० मदनी, मो० शादाब, प्रहलाद जी, मो०.इम्तियाज, मो० नावेद, मो० सिराज, मो० मेराज समेत सैकड़ों की संख्या में संगठन और स्थानीय लोग ने चक्का जाम में हिस्सा लिया।

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