दरभंगा
यूनिसेफ एवं दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे त्रिदिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह के अवसर पर कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने कार्यशाला की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस कार्यशाला में शिक्षा के प्रदाता, शिक्षा के विद्वान एवं शिक्षा के नीति निर्माता, तीनो ही एक मंच पर उपस्थित हैं। इससे इन तीन कड़ियों के बीच जो संवादहीनता की स्थिति रहती थी वह दूर हुई है एवं तीनों मिलकर शैक्षिक सुधार एवं नवाचार के लिए समेकित प्रयास करेंगे। जहाँ तक अकादमिक नेतृत्व की बात है हमारा ध्यान एवं प्रयास प्रशासकों एवं शिक्षकों दोनों में अपेक्षित अकादमिक नेतृत्व विकास पर होना चाहिए। मेरा यह मानना है कि नेतृत्व की तीसरी कड़ी अर्थात विद्यार्थियों में भी नेतृत्व गुणों का विकास करना होगा, तभी अकादमिक नेतृत्व की कड़ी पूर्ण होगी। उन्होंने आगे कहा कि शैक्षिक संस्थानों की पूर्ण क्षमता का लाभ तब तक नहीं मिलेगा। जबतक वहां अकादमिक नेतृत्व का विकास नहीं होगा। दूरस्थ शिक्षा निदेशालय एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में आकदमिक नेतृत्व की कार्यशाला का आयोजन एक बहुत ही सराहनीय कदम है। कार्यशाला के अंतिम दिन प्रस्तुतीकरण सत्र में चेयरपर्सन के रूप में डाॅ. सत्यनारायण पासवान, प्राचार्य, बहेरी एवं डाॅ. सीमा कुमार, पूर्वनिदेशक, आई.बी.एम. बेला की उपस्थिति में पुर्णिया से आयीं प्रियम्वदा भारती, वैशाली के नरेन्द्र कुमार सिंह, पश्चिम चम्पारण की अर्पणा कुमारी, मुजफ्फरपुर के सौरभ कुमार, सहरसा की अन्नु कुमारी, नालंदा के शिशिर कुमार सिन्हा एवं विनोद कुमार ने पावरप्वाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से विद्यालय में किए गए नवाचारी कार्यों की प्रस्तुति की। समापन सत्र में यूनिसेफ बिहार की शिक्षा विशेषज्ञ, प्रमिला मनोहरन ने कहा कि यह यूनिसेफ एवं विश्वविद्यालय का एक अनुठा प्रयास है जिसमें विद्यालय के बच्चों की शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए एक विश्वविद्यालय ने सार्थक पहल की है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में प्रस्तुत किए गए केस स्टडी को थीमेटिक आधार पर वर्गीकृत कर एक कोर्स माड्यूल के रूप में विकसित किये जाने की आवश्यकता है। यह कार्यशाला इस दिशा में अगला कदम है। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद्, पटना की एस.पी.ओ. किरण कुमारी ने कहा कि हमें जमीनी परिस्थिति को समझते हुए ऐसे कोर्स को विकसित करने की आवश्यकता है जो हमारे शिक्षा अधिकारियों में अकादमिक नेतृत्व के कौशलों का प्रभावी विकास कर सकें।
दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. सरदार अरविन्द सिंह ने इस त्रिदिवसीय कार्यशाला
को बेहद सफल एवं प्रभावी बताया। उनहोंने कहा कि प्राथमिक स्तर से ही विद्यार्थियों में
नेतृत्व करने की क्षमता का विकास होना चाहिए। यूनिसेफ प्रोजेक्ट के डाॅ. एस. ए. मोईन ने
कार्यशाला में प्रस्तुत किए गए प्रस्तुतीकरण को केस मोड्यूल के रूप में राज्य के अन्य
शिक्षकों के लिए एक प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत करने का सुझाव दिया ताकि इस आधार पर
अन्य विद्यालयों के शिक्षकों में भी जागरूकता आये और वे इस दिशा में आगे आकर अपने
अच्छे विद्यालय को बेहतर बना सकें। डाॅ. चन्दन श्रीवास्तव ने इस त्रिदिवसीय कार्यशाला के विभिन्न सत्रो के प्रस्तुतीकरण के उद्देश्यों, महत्ता एवं आगे की कार्य योजना पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यशाला में मंच संचालन, सहायक निदेशक डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र एवं धन्यवाद ज्ञापन उपनिदेशक, डाॅ. शम्भु प्रसाद ने किया।
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