राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्कूलों में बच्चों की हो रही स्क्रीनिंग
• कोविड-19 के कारण बाधित हो गई थी स्कूलों में स्क्रीनिंग
• अंधराठाढ़ी प्रखंड के मध्य विद्यालय अलपुरा स्कूल में किया गया स्क्रीनिंग
मधुबनी कोरोना संक्रमण काल में आंगनबाड़ी केंद्रों एवं सरकारी तथा सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों को बंद कर दिया गया था। जिसके कारण आंगनबाड़ी केंद्रों एवं विद्यालयों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच गतिविधियां बाधित थी।वहीं चलंत चिकित्सा दलों को कोविड-19 संबंधी रोकथाम कार्यों में लगाया गया था। अब सभी सरकारी तथा सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को 50 प्रतिशत उपस्थिति के साथ खोल दिया गया है। इसी परिपेक्ष में चलंत चिकित्सा दलों द्वारा अंधराठाढ़ी प्रखंड , के अलपुरा मध्य विद्यालय में बच्चों का जांच किया गया जिसमें चलंत चिकित्सा दलों द्वारा 150 से अधिक बच्चों का स्क्रीनिंग किया गया। बच्चों के स्क्रीनिंग कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन करते हुए बच्चों की स्वास्थ्य जाचं की गई।
बच्चों का ऐसे होता है इलाज :
आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. कमलेश कुमार शर्मा ने बताया स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यक्रम की सफलता के लिए गठित मोबाइल मेडिकल टीम जिले के हर आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों में पहुंचती है। तब टीम में शामिल आयुष चिकित्सक बच्चों की स्क्रीनिंग करते हैं। ऐसे में जब सर्दी- खांसी व जाड़ा – बुखार जैसी सामान्य बीमारी होगी, तब तुरंत बच्चों को दवा दी दिया जाती ता है, लेकिन बीमारी गंभीर होगी तब उसे आवश्यक जांच एवं समुचित इलाज के लिए निकटतम पीएचसी में भेजा जाता है। टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी ऊंचाई (हाइट), सिर की परिधि, बांह की मोटाई की नापतौल करेंगी करेगी। फार्मासिस्ट रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों से संबंधित बातों को ऑन द स्पॉट क्रमवार अंकित किया जाता है हे।
क्या है राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम:
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत 0 से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों के चार डी पर फोकस किया जाता है| जिनमें मे डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिशिएंसी, डिसीज, डेवलपमेंट डिलेज इन्क्लूडिंग डिसएबिलिटी यानि किसी भी प्रकार का विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता है। इसमें 30 बीमारियों को चिह्नित चिन्हित किया गया है।
बच्चों को दिया जाता है हेल्थ कार्ड :
आरबीएसके कार्यक्रम में 0 शून्य से 18 (अठारह) वर्ष तक के सभी बच्चों की बीमारियों का समुचित इलाज किया जाता है। 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग आंगनबाड़ी केंद्रों में होती है जबकि 6 से 18 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग उनके स्कूलों में जाकर की जाती है ,ताकि चिह्नित बीमारियों के समुचित इलाज में देरी न हो। आंगनबाड़ी केंद्रों पर साल में दो बार यानि प्रति 6 महीने पर जबकि स्कूलों में साल में सिर्फ एक बार बच्चों के इलाज के लिए स्क्रीनिंग की जाती है। स्क्रीनिंग करते वक्त बच्चों को हेल्थ कार्ड भी उपलब्ध कराया जाता है।
मौके पर आरबीएस के टीम के डॉक्टर प्रदीप पासवान, डॉक्टर त्रिवेश गोईत, फार्मासिस्ट अजय कुमार आदि उपस्थित थे।