अपनी विलुप्त होती संस्कृति को उजागर कर रही है नटराज फिल्म्स बिहार

मिथिला” जहाँ के पाहून राम और बहन सीता है उस मिथिला में बहुत-सी संस्कृति एवं कथाऐं है जो धीरे – धीरे विलुप्त होते जा रही है ये अब सिर्फ गीत एवं नृत्य में ही सिमट के रह गया है । अपनी लुप्त होती संस्कृति को उजागर करने एवं अपनी संस्कृति की लोक कथाओं से सबको रूबरू कराने नटराज फ़िल्म बिहार के माध्यम से विश्व विख्यात वरिष्ठ नर्त्तक व फ़िल्म निर्देशक श्री मोहित खंडेलवाल जी ने “झिझिया” फ़िल्म का निर्माण किया है ताकि अपनी समाज को अपने संस्कृति की कथाओं सबको सामने ला सके !
वैसे तो मिथिला संस्कृति की बहुत से कथा है, उन्हीं कथाओं में से एक है झिझिया, जो मिथिला की तंत्रीय दन्तकथा है ! कहा जाता है की नवरात्रा के पहली पूजा से छठी पूजा तक डायन अपनी भगवती की पूजा करती है और शक्तियाँ अर्जित करती है ताकि वो उसके प्रभाव से समाज को क्षति पहुंचाए या समाज में अपने दुश्मनों से बदला ले सके। उसी बुरी शक्ति के प्रभाव से बचने के लिए महिलाएं झिझिया खेलती है और हमारी फ़िल्म में उसी संस्कृति की झलक को दिखाने की कोशिश की गई है और उसे नाटकीय रूप से दिखाया गया है कि एक अनाथ लड़की जो बचपन से भगवती की पूजा करती है जब बड़ी होती है तो उसकी शादी गाँव के ठाकुर से होती है लेकिन ठाकुर का दोस्त आपसी मतभेद में उसे मार देता है तो वो लड़की अपने बच्चे को लेकर वहाँ से भाग जाती है और दुःख काट के अपने बच्चे को पालती है फिर उसके बच्चे को डायन कर दिया जाता है डायन के उसी प्रभाव से बचाने के लिए झिझिया खेलती है और अपने बच्चे को बचाती है इस फ़िल्म में एक माँ कैसे अपने बच्चे के लिए डायन से लड़ जाती है उसी प्रसंग को दिखाया गया है। इसी क्रम में श्री मोहित जी से बात करने के दौरान उन्होंने कहा कि फ़िल्म के परिकल्पना के समय मै डायन से ही पूछ रहा था की डायन क्या होता है और डायन क्या-क्या करती है।
श्री मोहित जी ने समस्त दर्शकों से अपील की है कि ज्यादा से ज्यादा लोग फ़िल्म को देखें और अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाए, यह फ़िल्म यूट्यूब चैनल “नटराज फिल्म्स बिहार” पर 24 मार्च 2021 को शाम 7 बजे आएगा ।

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