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पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर की स्मृति में विद्यापति सेवा संस्थान ने की श्रद्धांजलि सभा

 

 

पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर की स्मृति में विद्यापति सेवा संस्थान ने की श्रद्धांजलि सभा

अर्पण के आगामी अंक का प्रकाशन डॉ रामदेव झा एवं पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर केंद्रित होने की घोषणा

मैथिली साहित्य के शीर्ष पुरूष रहे अमर जी बहुविधा में रचनाशील होने के साथ-साथ अनुशासन एवं समय के काफी पाबंद थे। यह अत्यंत अनुकरणीय है। यह बात बिहार सरकार के श्रम संसाधन तथा सूचना एवं प्रावैधिकी मंत्री जिवेश कुमार ने शनिवार को मैथिली साहित्य जगत के महा मनीषी एवं विद्यापति सेवा संस्थान के आजीवन अध्यक्ष पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर के देहावसान पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में कही। उन्होंने कहा कि जनक-जानकी की भाषा मैथिली की समृद्धि के लिए उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
एमएलएसएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ विद्यानाथ झा की अध्यक्षता में महाविद्यालय के संगोष्ठी कक्ष में आयोजित सभा में उपस्थित लोगों ने दिवंगत पुण्यात्मा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि प्रदान की।
मौके पर विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने अमर जी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व की विस्तार से चर्चा करते हुए उन्हें सरल व्यक्तित्व, विलक्षण कृतित्व एवं सामाजिक प्रवृत्ति का निष्णात विद्वान बताया। अपने संबोधन के क्रम में उन्होंने बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार द्वारा प्रेषित शोक संदेश को भी पढ़कर सुनाया। मौके पर उन्होंने विद्यापति सेवा संस्थान की मुख पत्रिका ‘अर्पण’ के अगले अंक का प्रकाशन डॉ रामदेव झा एवं पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर विशेषांक के रूप में प्रकाशित करने के साथ ही समुचित स्थल चयन होने के पश्चात अन्य विभूतियों की तरह विद्यापति सेवा संस्थान के द्वारा डाॅ रामदेव झा के साथ अमरजी की प्रतिमा की स्थापित करने की घोषणा की।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने अमरजी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में शत-प्रतिशत मिथिलावासी एवं प्रवासी मैथिलों से जनगणना में मातृभाषा के कॉलम में मैथिली दर्ज करने का आह्वान किया। भारत निर्वाचन आयोग के दरभंगा जिला आइकॉन एवं वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने अमरजी को विभिन्न विधाओं में पारंगत प्रबुद्ध साहित्यकार होने के साथ-साथ एक कुशल रंगकर्मी बताते कहा कि अपनी कृतियों में वे सदा अमर रहेंगे।
डाॅ बुचरू पासवान ने कहा कि अमरजी भारतीय मनीषा के एकमात्र ऐसे साहित्यकार हुए, जिनके पास मिथिला, मैथिली व मैथिल के विकास के चिंतन की समग्र सामग्री उपलब्ध थी। प्रो जीवकांत मिश्र ने उनके कृतित्व पर आधारित शोध कार्य को बढ़ावा देने को उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि बताया।
डाॅ महेन्द्र नारायण राम ने कहा कि उनके महाप्रयाण से मिथिला का साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक परिदृश्य अभिभावक विहीन हो गया। एम एल एकेडमी में पढ़े पूर्व विधान पार्षद डॉ विनोद कुमार चौधरी, संस्थान के शोभा यात्रा प्रभारी प्रो विजयकांत झा एवं मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने एक अनुशासन प्रिय एवं समय के पाबंद शिक्षक के रूप में उनके गुणों का बखान किया।
अध्यक्षीय संबोधन में डाॅ विद्यानाथ झा ने अमर जी को मैथिली साहित्य के विकास की दिव्य दृष्टि से संपन्न कालजयी साहित्यकार बताते हुए मैथिली साहित्य के भंडार को भरने में उनके महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया। शोक सभा में डॉ टुनटुन झा, प्रो अयोध्या नाथ झा, प्रो प्रेम मोहन मिश्र, डाॅ मुरलीधर झा, शीतलाम्बर झा, फूलचन्द्र प्रवीण, हीरेन्द्र कुमार झा, पं विष्णुदेव झा विकल, श्रवण कुमार चौधरी, डॉ सुषमा झा, डॉ चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, डॉ चंद्र मोहन झा पड़वा, डाॅ गणपति ठाकुर, डॉ रमेश झा, डॉ गणेश कांत झा आदि ने भी अपने विचार रखे। सभा के अंत में पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर एवं बीते दिनों दिवंगत हुए डायट के सेवानिवृत्त प्राचार्य डाॅ सुभाष चंद्र झा व केवीएस काॅलेज, उच्चैठ के सेवानिवृत्त प्राचार्य डाॅ गुणाकांत झा के की स्मृति में दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत पुणायात्माओं की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई।

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