मणिकांत रचित महेशवाणी एवं नचारी गीतों की आकर्षक संगीतमय प्रस्तुति
मैथिली के चर्चित साहित्यकार एवं भारत निर्वाचन आयोग के जिला आइकॉन मणिकांत झा द्वारा विगत एक वर्ष के दौरान मैथिली में रचित महेशवाणी एवं नचारी गीतों का गायन के माध्यम से लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन शनिवार को एमएमटीएम महाविद्यालय के सभागार में किया गया। दरभंगा नगर निगम की महापौर बैजयंती देवी खेड़िया, विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू, मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा, पं. विष्णु देव झा विकल, डाॅ बासुकी नाथ झा, डॉ कृष्ण कुमार आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत की।
अपने संबोधन में मेयर बैजयंती देवी खेड़िया ने कहा कि कोरोना काल में मणिकांत झा की लिखी महेशवाणी एवं नचारी के रूप में आम मिथिला वासी को एक अनुपम उपहार मिल गया है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि मणिकांत रचित महेशवाणी एवं नचारी की गूंज जल्दी ही मिथिला के गांव-गांव में स्थापित शिवालयों में गुंजेगी। डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि मिथिला के जन जीवन में शिव पूजा अत्यंत प्रशस्त है। हिंदू धर्म की सभी जाति के लोगों में शिव आराधना के प्रति काफी आकर्षण रहता आया है। यही कारण है कि मिथिला में शिव की मान्यता जन देवता के रूप में है और मिथिला के हर गांव में शिव मंदिर की प्रधानता है।
पं कमलाकांत झा ने वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा की मैथिली में रचित महेशवाणी एवं नचारी को मिथिला में शिव पूजा की संस्कृति का संवाहक बताया। डाॅ भीमनाथ झा ने मणिकांत झा के रचना-कर्म की जमकर तारीफ की। डाॅ विद्यानाथ झा, डॉ बासुकीनाथ झा, प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ ओमप्रकाश, लनामिवि के छात्र कल्याण अध्यक्ष डाॅ अशोक कुमार झा, विष्णु कुमार झा आदि ने भी मणिकांत झा के रचनात्मकता की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
अध्यक्षीय संबोधन में मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार पं विष्णु देव झा विकल ने कहा कि मिथिलाि में देवों के देव महादेव की मोक्ष प्रदान करने वाले विशिष्ट देवता के रूप में मान्यता है। यही कारण है कि विद्यापति की महेशवाणी और नचारी को यहां काफी प्रसिद्धि मिली है। उन्होंने मणिकांत झा की रचनाओं को मैथिली भक्ति साहित्य जगत को मजबूती प्रदान करने वाला बताया।
कार्यक्रम में दीपक कुमार झा, डॉ सुषमा झा, अनुपमा मिश्र, जानकी ठाकुर, प्रभाकर चौधरी, प्रतिभा प्रीति, साक्षी, जया आदि ने मणिकांत की रचनाओं पर सुमधुर गायिकी प्रस्तुत कर समां बांध दिया। जबकि तबला पर गौड़ीकांत झा एवं कैसियो पर नीरज कुमार झा ने जमकर अपनी उंगली का जादू बिखेरा।
मौके पर प्रो. जीवकांत मिश्र, विजय कांत झा, संतोष कुमार झा, नीलम झा, अशोक झा, विनोद कुमार झा, मोहन मुरारी आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।