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डी.एम.सी.एच में क्रियाशील हुआ वेंटिलेटर युक्त नया आई.सी.यू डी.एम के पर्यवेक्षण में किया गया शुरू

डी.एम.सी.एच में क्रियाशील हुआ वेंटिलेटर युक्त नया आई.सी.यू
डी.एम के पर्यवेक्षण में किया गया शुरू

दरभंगा, 28 अप्रैल : दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में वेंटिलेटर युक्त नया आई.सी.यू क्रियाशील हो गया है। जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस.एम के पर्यवेक्षण में नए आईसीयू के 08 बेड को क्रियाशील कर दिया गया, जिनके दो बेड पर 02 मरीजों को रखकर ड्राई-रन (पूर्वाभ्यास) किया गया और यह सफल रहा। दूसरे कमरे के आई.सी.यू को भी क्रियाशील करने का प्रयास जारी है। इस प्रकार वेंटिलेटर युक्त कुल 25 बेड पर मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल जायेगी। नए आई.सी.यू के क्रियाशील हो जाने से अब डी.एम.सी.एच में भेंडीलेटर युक्त बेडों की संख्या में इजाफा हो गया है, इससे कोरोना मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।
भोजन में हरी शब्जी देने का निर्देश
इस अवसर पर जिलाधिकारी ने उपस्थित चिकित्सकों को कई निर्देश दिए। सभी मरीजों को ससमय बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान करने को लेकर चिकित्सकों व कर्मियों को दिशा- निर्देश दिये। तथा मरीजों को दिए जाने वाले भोजन की भी उन्होंने जाँच की तथा भोजन में एक हरी सब्जी बढ़ाने के निर्देश दिए। वहाँ के आउटसोर्स एजेंसी को वार्ड-बॉय की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए, ताकि रात्रि में कठिनाई न हो सके। डीएमसीएच में ऑक्सीजन आपूर्तिकर्त्ता के साथ भी उन्होंने वार्ता की तथा उसे लगातार ऑक्सीजन आपूर्ति करते रहने एवं कभी भी ऑक्सीजन की कमी न होने के निर्देश दिये। गौरतलब है कि अब शीघ्र ही नये आई.सी.यू के सभी 25 भेंडीलेटर युक्त बेड क्रियाशील हो जाएंगे। इससे कोरोना के गंभीर मरीजों की बेहतर चिकित्सा दी जा सकेगी। भ्रमण के दौरान उप विकास आयुक्त तनय सुल्तानिया, सहायक समाहर्त्ता अभिषेक पलासिया, वरीय उप समाहर्त्ता टोनी कुमारी एवं ललित राही, मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ यू.सी झा एवं संबंधित पदाधिकारी/ चिकित्सक उपस्थित थे।
मृतकों की संख्या मे कमी होने की संभावना
मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ यूसी झा ने बताया वेंटिलेटर युक्त नया आइसीयू शुरू हो जाने से गंभीर मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सकेगी। साथ ही मरीजों के मृत्यू दर मे कमी आने की पुरी संभावना है। कहा कि कोरोना मरीजों के शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. इसलिये शरीर को निर्बाध रूप से ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ती है. साथ ही मरीजों को वेंटिलेटर पर कृत्रिम सांस दी जाती है. इससे मरीजों के रिकवरी होने की संभावना प्रबल हो जाती है।

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