मिथिला लोकमंथन द्वारा आयोजित “सर्जना कौशल विकास शिविर” के 15वें दिन समीक्षा बैठक सह संस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन संस्कृत विश्वविद्यालय के दरबार हॉल में किया गया।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलानुशाक व धर्म विभागाध्यक्ष श्रीपति त्रिपाठी जी ने कौशल ज्ञान को परिभाषित करते हुए कहा कि शैक्षणिक ज्ञान अर्जन कर आप अर्थ संचयन कर सकते हैं परंतु विभिन्न प्रकार के कौशलात्मक ज्ञान से आप स्वयं, परिवार एवं समाज को विकास कर जीविकोपार्जन तथा मानवता के गुण को प्राप्त कर सकते हैं।
वहीं मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित नेहरू युवा केंद्र, दरभंगा के जिला युवा अधिकारी रोशन कुमार ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम से इस क्षेत्र के युवातियों के जीवन में एक नई अध्याय व रेखा का अंकन होगा, जिससे लाभान्वित होकर वे अपने जीवन में आगे बढ़ सकेंगी।*
*वहीं मिथिला लोकमंथन के संयोजक डॉ कन्हैया चौधरी ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि चिति बिहार प्रांत द्वारा स्वीकृत व मिथिला लोकमंथन के द्वारा आयोजित मासिक सर्जना कौशल विकास शिविर का आयोजन के आज 15 वें दिन समीक्षा बैठक सह सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि कल से दुर्गा पूजन के कारण सभी वर्ग 7 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक स्थगित किया गया है, तथा 20 अक्टूबर से सभी विषयों की वर्ग पूर्व निर्धारित समयानुसार संचालित होगा।
इस कार्यक्रम में मिथिला पेंटिंग प्रशिक्षक हेरंब कुमार, योग प्रशिक्षक राम विनोद ठाकुर व हीरा रानी, संगीत प्रशिक्षक मनीष आनंद, व्यक्तित्व विकास प्रशिक्षक ललित झा, खेल प्रशिक्षक पवन सहनी,नृत्य प्रशिक्षक मोहित खंडेलवाल व उनका समूह, ब्यूटीशियन प्रशिक्षक अंबे कुमारी,मेंहदी प्रशिक्षक प्रियंका कुमारी, ने भी अपने अपने विषयों पर प्रकाश डाला।।
कार्यक्रम का संचालन सुष्मिता कुमारी ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन मणिकांत ठाकुर ने किया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में दामिनी, संध्या, मेनका, पूजा, रूपाली, डॉली, प्रतिभा, पिंटू भंडारी, सूरज मिश्रा, आनंद मोहन, राजेश कुमार, बृजेश पाठक एवं विवेक जायसवाल आदि की भूमिका महत्वपूर्ण रही।