मिथिला स्टूडेंट यूनियन के द्वारा मिथिला मखाना का नाम बिहार मखाना कर देने के विरोध में प्रेस वार्ता का आयोजन लहेरियासराय जेल गेट एक्मी टावर के समीप एमएसयू कार्यालय पर किया गया प्रेस वार्ता को एमएसयू के अविनाश भारद्वाज संस्थापक सदस्य अनूप मैथिल राष्ट्रीय टीम के सदस्य आदित्य मोहन एलएनएमयू के छात्र नेता अमन सक्सेना व विकाश चौधरी ने सम्बोधित किया
इस बाबत अनूप मैथिल ने कहा विदित हो की मखाना की GI टैगिंग संबंध में बिहार सरकार मिथिला के साथ अन्याय कर रही है। बिहार सरकार कोशिश कर रही है की इसका GI टैग “बिहार का मखाना” नाम से लिया जाए। हमारी स्पष्ट मांग है की मखाना मिथिला का मूल फसल है और इसका 90℅ से अधिक उत्पादन केवल मिथिला क्षेत्र में होता है, इसलिए इसकी GI टैगिंग “मिथिला मखान” के नाम से होनी चाहिए कहा पूरा मामला ये है की पहले केंद्र सरकार ने मखाना आदि के प्रोसेसिंग संबंधी 10000 करोड़ घोषित किया, तब मखाना के GI टैग की बात उठी। करीब साल भर पहले BAU सबौर भागलपुर यूनिवसिर्टी ने बिहार मखाना नाम से GI टैग के लिए एप्लीकेसन डाला। मिथिला में इसको लेकर विरोध उठा की मखान मिथिला का है तो GI टैगिंग “मिथिला मखान” के नाम से होना चाहिए। कैम्पेन चला, हजारों लोग जुड़े, आवाज उठा, अनेकों बार ट्विटर ट्रेंड हुआ। मिथिला क्षेत्र की मिथिलावादी संगठन मिथिला स्टूडेंट यूनियन (MSU) ने मिथिला क्षेत्र के सांसदों, विधायकों से संवाद किया। 12 विधायकों और 4 सांसदों ने यूनिवर्सिटी सहित राज्य सरकार को चिट्ठी लिखी की नाम मिथिला मखान ही होना चाहिए संगठन के अविनाश भारद्वाज ने कहा MSU का एक तीन सदस्यीय दल अनूप मैथिल, रजनीकांत पाठक, आदित्य मोहन जी के नेतृत्व में भागलपुर गया, 2 दिन यूनिवर्सिटी में रहा, कुलपति से मिलकर उन्हें अपनी बात समझाई। मखान के मिथिला संबंधित होने और मिथिला के भौगालिक साक्ष्य प्रस्तुत किया, उन्हें कन्विंस किया। अंततः यूनिवर्सिटी मान गया और उन्होंने हमारे नाम लेटर जारी किया की हम आपके तथ्यों से कंविस्ड हैं और GI टैग में नाम मिथिला मखान ही रहेगा आदित्य मोहन ने कहा यूनिवर्सिटी ने GI एप्लीकेसन में अमेंडमेंट डाला की नाम मिथिला मखाना ही रहना चाहिए। और अब साल भर बाद ज्ञात हुआ है की इस सबको नकार के पुनः GI टैग में नाम “बिहार का मखाना” किया जा रहा है जीआई टैग का किसी प्रॉडक्ट के व्यापारिक हित से क्या संबंध है ? और क्यों मखान के जीआई टैग मिथिला मखान के नाम से होने की आवाज उठ रही है ?
जीआई टैग का मतलब है ज्योग्राफिकल इंडीकेशन, ये किसी प्रोडक्ट को मिलने का मतलब होता है की वो प्रोडक्ट एक खास क्षेत्र में खास तरीके से उत्पन्न होता है और पर उस क्षेत्र का खास अधिकार है
छात्र नेता अमन सक्सेना ने कहा जीआई टैग मिलने से उस प्रोडक्ट पर क्षेत्र को लीगल राइट्स मिलता है। यदि इसका जीआई टैग “मिथिला मखान” नाम से लिया जाता है तो इस पर मिथिला क्षेत्र का अधिकार होगा। इसे उपजाने व प्रोसेस करने की विधि वो मानी जाएगी जो मिथिला क्षेत्र में उपयुक्त होती है। इससे मिथिला के किसानों, व्यापारियों को फायदा होगा।
इसको इस तरीके से समझिए की जीआई टैग मिलने के बाद “मिथिला मखान” अपने आप में एक प्रॉडक्ट हो जाएगा। इसकी ब्रांडिंग होगी तो लोग देशभर में इसे इसी नाम से जानेंगे। अब जैसे लीची देशभर में हर जगह उपजता है लेकिन एक्सपोर्ट होने वाला शाही लीची मुज़फ्फरपुर में ही उपजता है क्योंकि शाही लीची के नाम पर जीआई टैग है। या यूं कहिए की शाही लीची उसी लीची को कहते हैं जो मुजफ्फरपुर के खास क्षेत्र में उपजता है। एक और उदाहरण, पान हर जगह उपजता है लेकिन इंटरनेशनल मार्केट में एक्सपोर्ट होने वाला मगही पान उसी पान को कहते हैं जो मगध में खास तरीके से उपजाया जाता है। जीआई टैग मिलने के बाद मखान भी अन्य किसी भी जगह उपज सकता है लेकिन “मिथिला मखान” उसी मखान को कहेंगे जो मिथिला क्षेत्र में उपजा है। ठीक से ब्रांडिंग होने पर विदेशों में एक्सपोर्ट होने अथवा अन्य व्यापारिक कामों में मिथिला मखान ही स्थापित हो जाएगा। इससे मिथिला क्षेत्र के किसानों और व्यापारियों को फायदा होगा। मिथिला मखान के जीआई टैग के बाद मखान संदर्भ में केंद्रीय योजनाओं का लाभ भी सेंट्रलाइज्ड वे में मिथिला क्षेत्र के किसानों को ही मिलेगा। भविष्य में मखाना मार्केट, क्लस्टर बेस्ड एग्रीकल्चर सहित अन्य अनेक व्यापारिक हितों में मिथिला मखान नाम से जीआई टैग बेहद लाभकारी हो सकता है।
संगठन के विकाश चौधरी ने कहा “ये कोई संयोग नहीं है की कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने मखाना के व्यापारिक ब्रांडिंग संदर्भ में विशेष पैकेज की बात की और आज अचानक बिहार मखाना नाम से जीआई टैग हथियाने की कोशिश हो रही है। ये सब दूर का व्यापारिक हित साधने की कोशिश है।” इसका पुरजोर विरोध होगा इस मौके पर संधीर कुमार अभिषेक कुमार झा अनीश कुमार नीरज कुमार आदि भी मौजूद रहे।