टीबी उन्मूलन को लेकर जिलास्तरीय मासिक समीक्षा बैठक का आयोजन
•निक्षय पोषण राशि डीबीटी एवं नोटिफिकेशन संबंधी हुई समीक्षा
•जिले से डीपीसी, एसटीएस हुए सम्मिलित
•जनवरी से नवंबर तक 3328 मरीजों को किया गया चिह्नित
मधुबनी जिले को यक्ष्मा मुक्त बनाने के लिए सदर अस्पताल के एएनएम सभागार में एनटीईपी (नेशनल ट्यूबरक्यूलोसिस एलिमेशन कार्यक्रम) के अंतर्गत निक्षय पोषण राशि डीबीटी एवं टीबी नोटिफिकेशन के संबंध में जिला स्तरीय मासिक समीक्षा बैठक का एएनएम सभागार में आयोजन किया गया। जिसमें जिले के यक्ष्मा कार्यालय के सीडीओ डॉ जीएम ठाकुर सहित सभी कर्मी सम्मिलित हुए। डॉ ठाकुर ने बताया कि विभाग द्वारा प्राइवेट एवं पब्लिक प्लेस से टी.बी.मरीज का नोटिफिकेशन किया जा रहा है। जिसके तहत पब्लिक संस्थानों से 1595 मरीज तथा प्राइवेट संस्थानों से 1733 कुल 3328 मरीज चिह्नित किया गया है। बैठक में उन्होंने निर्देश दिया कि मरीज का नोटिफिकेशन करते हुए बैंक खाता विवरणी, डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन और आधार डिटेल सम्बंधित स्वास्थ्य केंद्र के एसटीएस/एसटीएलएस को उपलब्ध करावें। साथ ही जो भी प्राइवेट डॉक्टर को मरीज के नोटिफिकेशन पर को 500 रु. तथा आउटकम पर भी 500 रु.देने का प्रावधान है। राशि लक्ष्य के अनुरूप डॉक्टरों को भुगतान करने का निर्देश दिया। एमडीआर मरीजों को मिलने वाली राशि भी लक्ष्य के अनुसार भुगतान करने का निर्देश दिया।
टीबी उन्मूलन के लिए समाज में जागरूकता जरूरी:
सीडीओ जी. एम. ठाकुर द्वारा बताया गया जिले में टीबी उन्मूलन के लिए समुदाय पर जागरूकता अभियान चलाया जाना आवश्यक है। यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम की प्रखंडवार उपलब्धियों की समीक्षा कर एक्टिव केस फाइंडिंग एवं निक्षय पोषण राशि का भुगतान करने के लिए निर्देश दिया। दूरस्थ एवं चिह्नित कठिन क्षेत्रों में आशा एवं अन्य सामुदायिक उत्प्रेरक की 2 सदस्य घर-घर विजिट टीम का गठन कर प्रतिदिन कम से कम 50 घर का भ्रमण कर संभावित टीबी रोगियों की पहचान करने का निर्देश दिया एवं स्थानीय निकटतम बलगम जांच केंद्र अथवा ट्रुनेट लैब में सैंपल की जांच करवाने का निर्देश दिया। सभी पंजीकृत टीबी रोगियों का घर भ्रमण कर संपर्क में रहने वाले 5 वर्ष तक के बच्चों एवं वयस्कों में टीबी की स्क्रीनिंग करने का निर्देश दिया तथा योग्य बच्चों की लाइन लिस्टिंग करवाने का निर्देश दिया।
टीबी मरीजों की पहचान होते ही गृह भ्रमण करें:
यक्ष्मा रोग एक जटिल रोग है। इसे जल्द से जल्द पहचान कर इलाज शुरू किया जाना चाहिए, ताकि दूसरों व्यक्तियों में यह संक्रमित बीमारी न पहुंचे। वहीं बैठक के दौरान सभी एसटीएस को यह भी निर्देश दिया कि यक्ष्मा रोग की पहचान होते ही एसटीएस उसके घर का भ्रमण जरूर करें। गृह भ्रमण के दौरान छह वर्ष तक की उम्र के बच्चों को जेएनएच की गोली देना सुनिश्चित करें। वहीं अगर गृह भ्रमण के दौरान उनके घर के किसी व्यक्ति में भी टीबी के लक्षण पाए जाते हैं तो शीघ्र ही उनके बलगम जांच की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय।
एमडीआर-टीबी हो सकता है गंभीर, रहें सतर्क:
एमडीआर-टीबी होने पर सामान्य टीबी की कई दवाएं एक साथ प्रतिरोधी हो जाती हैं। टीबी की दवाओं का सही से कोर्स नहीं करने एवं बिना चिकित्सक की सलाह पर टीबी की दवाएं खाने से ही सामान्यता एमडीआर-टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है।
जनवरी से नवंबर तक 3328 मरीजों को किया गया चिह्नित:
जिले में जनवरी 2021 से 1 नवंबर 2021 तक 3328 मरीज चिह्नित किए गए हैं । जिसमें पब्लिक संस्थानों से 1,595 , प्राइवेट संस्थानों से 1,733 हैं।
समीक्षा बैठक में डीपीसी पंकज कुमार, सत्यनारायण शर्मा, लेखापाल आरके सिंह, भुवन नारायण कंठ, मोहम्मद अमीरूद्दीन, सत्यनारायण शर्मा,लैब टेक्नीशियन, एसटीएस, एसटीएलएस मौजूद रहे।