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स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में मोबाइल की लत एक बड़ी समस्या बन कर उभर रही।

कोरोना काल में स्कूल से दूर रहने से फोन एडिक्टेड हुए बच्चों को इंडोर गेम्स में ज्यादा करें शामिल :डा सुनील

-13 से 18 साल की उम्र के बच्चे हो रहे मानसिक रूप से शिकार

दरभंगा  स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में मोबाइल की लत एक बड़ी समस्या बन कर उभर रही है। बच्चे किताबों से ज्यादा मोबाइल पर समय दे रहे हैं। अभिभावक इससे चिंतित हैं क्योंकि मोबाइल पर पढ़ाई लिखाई के अलावा और भी कंटेंट्स उपलब्ध होते हैं। मोबाइल का ज्यादा उपयोग मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है। मनोरोग विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों को कई घंटों तक इंटरनेट पर कुछ न कुछ सर्च करने, फिल्में और तस्वीरें देखने की आदत पड़ गई है। वह थोड़ी देर के लिए भी फोन से दूर नहीं रहना चाहते हैं। मनोरोग विशेषज्ञों के मुताबिक यह एक मानसिक समस्या है। जिसका समय पर इलाज जरूरी है।

स्कूल से आने के बाद मोबाइल पर लग जाते बच्चे-
अब शिक्षण संस्थान खुल गए हैं। क्लास चल रही है, मगर मोबाइल का नशा कुछ इस कदर बच्चों पर हावी हो गया है कि बच्चे विद्यालय से जाते ही खाना-पीना छोड़कर सीधे मोबाइल फोन में लग जाते हैं। डीएमसीएच के मनोरोग विभाग के डॉ सुनील ने कहा कि यहां बच्चों को फ्री कम्प्यूटर एजुकेशन के साथ आर्ट की पढ़ाई से जोड़ा जा रहा है, ताकि बच्चों को मोबाइल की लत से छुटकारा दिलाया जा सके। पिछले डेढ़ साल से घर में रहने के कारण बच्चों ने मोबाइल  का काफी इस्तेमाल किया है। चाहे ऑनलाइन कक्षाएं  हो या मनोरंजन के लिए गेम खेलना। बच्चों ने अधिकतर समय मोबाइल पर बिताया है। इससे वह फोन एडिक्शन का शिकार हो गए हैं। डॉ सुनील ने बताया कि कोरोना काल में लंबे समय तक लॉकडाउन लगा हुआ था। बच्चे घरों में थे और उनकी पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम से हो रही थी। कई बच्चों को उनका निजी फोन भी मिल गया था। इससे यह हुआ कि पढ़ाई के अलावा मनोरंजन के लिए भी बच्चे फोन का इस्तेमाल करने लगे। वह मोबाइल पर सोशल मीडिया चलाने, वीडियो देखने और गेम खेलने में समय गुजारने लगे। इन चीजों की लत उन्हें ऐसी लगी कि वह अब इससे बाहर नहीं आ पा रहे हैं। इसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।

रोजाना आ रहे चार से पांच मामले-
डॉ सुनील ने बताया कि अस्पताल के मेंटल हेल्थ सेंटर की ओपीडी में रोजाना चार से पांच बच्चे ऐसे आ रहे हैं जिन्हें फोन एडिक्शन हो गया है। इनमें अधिकतर 13 से 18 साल की उम्र के हैं। मनोरोग विशेषज्ञों की सहायता से बच्चों का इलाज़ किया जा रहा है। डॉक्टर ने कहा कि कोरोना से पहले ऐसे मामले काफी कम आते थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़ गई है।

शारीरिक सेहत पर भी पड़ेगा असर-
डॉक्टर ने बताया कि फोन एडिक्शन का प्रभाव बच्चों की शारीरिक सेहत पर भी पड़ेगा। इसका असर कुछ समय बाद दिखाई देगा। फोन पर ज्यादा समय गुजारने से बच्चों को गर्दन में दर्द और आंखों में परेशानी का भी सामना करना पड़ सकता है।

बच्चों का ध्यान रखने की जरूरत –
मनोरोग विशेषज्ञ ने कहा कि बच्चों में फोन एडिक्शन एक गंभीर समस्या बन चुकी है। अगर माता पिता ने अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दिया तो उनका मानसिक स्वास्थ्, बिगड़ सकता है। जिससे उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

ऐसे रखें ध्यान
डॉ सुनील के मुताबिक अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों को इंडोर गेम्स में ज्यादा से ज्यादा शामिल करें और खुद भी उनके साथ खेलें। इनमें लूडो, कैरम आदि खेल खेले जा सकते हैं। जब बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर लें और अपना काम निपटा लें तो उन्हें ज्यादा समय तक मोबाइल अथवा लैपटॉप के साथ व्यस्त न रहने दें।

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