एचबीएनसी कार्यक्रम रख रहा बच्चों का ख्याल , शुरू के 42 दिनों तक शिशु को विशेष देखभाल की जरूरत
•आशा घर-घर जाकर कर रही शिशुओं की देखभाल,माताओं को बताया जा रहा शिशु देखभाल के गुर
•जिले में अप्रैल से दिसंबर तक 28000 से अधिक नवजात की एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत देखभाल
मधुबनी. प्रसव के बाद नवजात के बेहतर देखभाल की जरूरत बढ़ जाती है। संस्थागत प्रसव के मामलों में शुरुआती दो दिनों तक माँ और नवजात का ख्याल अस्पताल में रखा जाता है। लेकिन गृह प्रसव के मामलों में पहले दिन से ही नवजात को बेहतर देखभाल की जरूरत होती है। शिशु जन्म के शुरुआती 42 दिन अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान उचित देखभाल के अभाव में शिशु के मृत्यु की संभावना अधिक होती है। इसको ध्यान में रखते हुए होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर ( एचबीएनसी) यानि गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। इस कार्यक्रम के तहत संस्थागत प्रसव एवं गृह प्रसव दोनों स्थितियों में आशा घर जाकर 42 दिनों तक नवजात की देखभाल करती हैं। जिले में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2021 से दिसंबर 2021 तक 28,629 नवजात की आशा द्वारा गृहभ्रमण कर देखभाल की गई। लांसेट की रिपोर्ट के अनुसार शिशु मृत्यु दर के अनेक कारण हैं जिनमें समय से पहले जन्म एवं कम वजन का होना प्रमुख कारण है। इसकी वजह से 35 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु हो जाती है। इसी तरह 20 प्रतिशत निमोनिया, नवजात की सांस अवरुद्ध होने से मृत्यु होती है। वहीं 16 प्रतिशत घाव का सड़ना या सेप्सिस एवं 9 प्रतिशत विकलांगता से मृत्यु हो जाती है।
गृह आधारित नवजात देखभाल पर अधिक ध्यान:
सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया नवजात देखभाल के लिये आशाओं द्वारा किए जा रहे गृह आधारित नवजात देखभाल पर अधिक ज़ोर दिया जाता है। इसके लिए आशाओं को निर्देशित भी किया गया है कि वह गृह भ्रमण के दौरान नवजातों में होने वाली समस्याओं की अच्छे से पहचान करें एवं जरूरत पड़ने पर उन्हें रेफर भी करें। आशाएं गृह भ्रमण के दौरान ना सिर्फ बच्चों में खतरे के संकेतों की पहचान करती बल्कि माताओं को आवश्यक नवजात देखभाल के विषय में जानकारी भी देती हैं।
अप्रैल से दिसंबर तक 28000 से अधिक नवजात की की गई देखभाल:
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2021 से दिसंबर 2021 तक गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम (एचबीएनसी) के तहत 28629 नवजात की देखभाल की गई। जिसके तहत जयनगर में 2424, मधेपुर में 2855, बेनीपट्टी में 3507, बिस्फी में 2891,बासोपट्टी में 1462, कलुआही में 932, राजनगर में 1870, लदनिया में 1183, लखनौर में 1111, खजौली 879, मधुबनी (रहिका) 1570, लौकहा (खुटौना) 984, पंडौल 1157, मधवापुर 553, घोघरडीहा 762, बाबूबरही 765, लौकही 706, फुलपरास 377, झंझारपुर 322, अंधराठाढ़ी 293 नवजात की गृहभ्रमण कर देखभाल की गयी।
कार्यक्रम का यह है उद्देश्य:
सभी नवजात शिशुओं को अनिवार्य नवजात शिशु देखभाल सुविधाएँ उपलब्ध कराना एवं जटिलताओं से बचाना
समय पूर्व जन्म लेने वाले नवजातों एवं जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों की शीघ्र पहचान कर उनकी विशेष देखभाल करना
नवजात शिशु की बीमारी का शीघ्र पता कर समुचित देखभाल करना एवं रेफर करना
परिवार को आदर्श स्वास्थ्य व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित करना एवं सहयोग करना
माँ के अंदर अपने नवजात स्वास्थ्य की सुरक्षा करने का आत्मविश्वास एवं दक्षता को विकसित करना
संस्थागत प्रसव में 6 एवं गृह प्रसव में 7 भ्रमण:
एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत आशाएं संस्थागत एवं गृह प्रसव दोनों स्थितियों में गृह भ्रमण कर नवजात शिशु की देखभाल करती हैं। संस्थागत प्रसव की स्थिति में 6 बार गृह भ्रमण करती हैं( जन्म के 3, 7,14, 21, 28 एवं 42 वें दिवस पर)। गृह प्रसव की स्थिति में 7 बार गृह भ्रमण करती हैं( जन्म के 1, 3, 7,14, 21, 28 एवं 42 वें दिवस पर)।