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दरभंगा सी एम कॉलेज में आयोजित दिव्यांगता विषयक सेमिनार में विभिन्न विद्वानों ने रखें महत्वपूर्ण विचार अवसाद विश्व

दरभंगा
सी एम कॉलेज में आयोजित दिव्यांगता विषयक सेमिनार में विभिन्न विद्वानों ने रखें महत्वपूर्ण विचार
अवसाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी मानसिक बीमारी–डॉ नीरज

रिपोर्ट न्यूज़ डेस्क दरभंगाnews24live

सी एम कॉलेज,दरभंगा के मनोविज्ञान विभाग तथा भारतीय स्वास्थ्य,शोध एवं कल्याण संघ,हिसार, हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान में *दिव्यांगों के मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का मूल्यांकन एवं हस्तक्षेप* विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के तकनीकी सत्र में रांची इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूरो साइकियाट्री एंड एलाइड साइंसेज,रांची के नैदानिक चिकित्सा डॉ रंजन कुमार ने अत्यंत ही सरल एवं सहज शब्दों में बच्चों तथा किशोरों से संबंधित विभिन्न मानसिक विकारों का विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा कि एडीएचडी,अवसाद,नशा, चिंता,मनोग्रस्तता,बाध्यता तथा विकार आदि प्रमुख मनोरोग हैं।किशोरों में उन्होंने रोगों की पहचान संबंधी विभिन्न समस्याओं को रखा, जो उनके अपने घर तथा समाज से संबंधित हैं।उन्होंने इन समस्याओं के निराकरण हेतु माता-पिता तथा बुजुर्गों के कर्तव्यों का उल्लेख करते हुए,अभिभावकों को इन समस्याओं के निराकरण का सूत्रधार बताया।
केंद्रीय मनोविज्ञान चिकित्सा संस्थान,रांची के डॉ जयदीप दास में मानसिक विकारों के मूल्यांकन से संबंधित विभिन्न पहलुओं को विस्तार से रखा। उन्होंने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित व्यावहारिक तथा संज्ञानात्मक समस्याओं का उल्लेख किया है। *दिव्यांग बच्चों एवं किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य में अभिभावकों की भूमिका* विषय पर चर्चा करते हुए साधनसेवी के रूप में पारस हॉस्पिटल,पटना के नैदानिक मनोचिकित्सक डॉ नीरज कुमार वेदपुरिया ने बताया कि दिव्यांगजनों के मानसिक स्वास्थ्य के निराकरण में अभिभावकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।अभिभावकों एवं चिकित्सकों से ही बच्चे हर परिस्थिति का सामना करने में समर्थ हो सकते हैं। अभिभावक बच्चों में संवेदनात्मक स्थिरता तथा अपने प्रभावशाली बातचीत से बच्चों को मानसिक समर्थन दे सकते हैं।डॉ नीरज ने कहा कि आज अवसाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी मानसिक बीमारी है।यूं तो बिहार में आत्महत्या की दर पूरे देश की तुलना में सबसे कम है,परंतु देश के दक्षिणी प्रांतों में यह समस्या एक विकराल रूप लेते हुए आत्महत्या को बढ़ावा दे रही है।शारीरिक मजबूती के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य अधिक महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम के विभिन्न तकनीकी सत्रों में विभिन्न प्रांतों से आए हुए 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया जबकि अनेक प्रतिभागियों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। विषय विशेषज्ञों ने श्रोताओं के विभिन्न प्रश्नों के समुचित उत्तर देकर उन्हें संतुष्ट किया।
आज के विभिन्न तकनीकी सत्रों में रिपोर्टीयर का कार्य मनोविज्ञान के प्राध्यापक प्रो अमृत कुमार झा ने किया। कार्यशाला में समन्वयक डॉ नथुनी यादव,आइक्यूएसी के कोऑर्डिनेटर डॉ जिया हैदर, आयोजन सचिव डॉ विजयसेन पांडे,डा पुनीता कुमारी एवं आयोजन समिति के सदस्य डॉ आर एन चौरसिया आदि विशेष रूप से सक्रिय रहे। संयुक्त सचिव डॉ एकता श्रीवास्तव के संचालन में आयोजित कार्यशाला में अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो नथुनी यादव ने किया,जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ विजयसेन पांडे ने किया।
भवदीय प्रो नथुनी यादव,अध्यक्ष,मनोविज्ञान विभाग,सी एम कॉलेज, दरभंगा

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