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दरभंगा फाइलेरिया उन्मूलन मुहिम को ले स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध- सिविल सर्जन

फाइलेरिया उन्मूलन मुहिम को ले स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध- सिविल सर्जन

बीमारी के लक्षण, बचाव व उपचार को ले कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

दरभंगा. स्वास्थ्य विभाग फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर लगातार प्रयास कर रहा है. इसी कड़ी में शुक्रवार को विभिन्न प्रखंडों से आये प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व बीसीएम को बीमारी के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी. इसे लेकर डब्लूएचओ के डॉ दिलीप ने स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया. इसके तहत कर्मियों को फाइलेरिया के लक्षण, फैलने के तरीका, बचाव व मरीजों की चिकित्सा के बावत विस्तार से बताया गया. प्रशिक्षण कार्यक्रम सिविल सर्जन कार्यालय स्थित टीबीडीसी सभागार में दिया गया. बताया गया कि पूर्व में विभिन्न प्रखंडों में लोगों के रक्त में फाइलेरिया के परजीवी की मौजूदगी का पता लगाने के लिये नाइट ब्लड सर्वे कराया गया. उसके बाद आवश्यकता पड़ने पर फाइलेरिया उन्मूलन के लिए आवश्यक दवा सेवन के लिए अभियान चलाया जा रहा है. अभियान के तहत अल्बेंडोजोल और डीईसी की दवा दी जाती है. फाइलेरिया से संक्रमित हो जाने पर लंबे समय तक इलाज चलने और दवा की खुराक पूरी करने पर रोगी सामान्य जीवन जी सकता है. दवाई की खुराक पूरी नहीं करने पर यह रोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक है. सभी सरकारी अस्पताल पर डीईसी दवा नि:शुल्क उपलब्ध है जिसे पांच सालों तक साल में एक बार लेना जरूरी है. मौके पर एसीएमओ डॉ एसएस झा, डीएमओ डॉ जेपी महतो, गणेश महासेठ, केयर के प्रमोद कुमार सिंह आदि मौजूद थे.

क्यूलेक्स मच्छर काटने से होता है फाइलेरिया

सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है. इसके उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है. बताया कि जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है. इसका कोई पर्याप्त इलाज संभव नहीं है, लेकिन, इसे शुरुआत में ही पहचान करते हुए रोका जा सकता है. इसके लिए संक्रमित व्यक्ति को फाइलेरिया ग्रसित अंगों को पूरी तरह स्वच्छ पानी से साफ करना चाहिए. साथ ही सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही डीईसी व एल्बेंडाजोल की दवा का नियमित सेवन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि फाइलेरिया मुख्यतः मनुष्य के शरीर के चार अंगों को प्रभावित करता है, जिसमें पैर, हाथ, हाइड्रोसील एवं महिलाओं का स्तन शामिल है. हाइड्रोसील के अलावा फाइलेरिया संक्रमित अन्य अंगों को ऑपरेशन द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है. संक्रमित व्यक्ति को सामान्य उपचार के लिए किट उपलब्ध कराई जाती है, जबकि हाइड्रोसील फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को मुफ्त ऑपरेशन की सुविधा मुहैया कराई जाती है.

फाइलेरिया क्या है

डीएमओ डॉ जेपी महतो ने कहा कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है. किसी भी उम्र के व्यक्ति फाइलेरिया से संक्रमित हो सकता है. फाइलेरिया होने पर हाथ और पैर में सूजन (हाथीपाँव) व हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) हो जाता है. किसी भी व्यक्ति को संक्रमण के पश्चात बीमारी होने में पांच से 15 वर्ष लग सकते हैं.

फाइलेरिया से बचाव के उपाय :

एसीएमओ डॉ एसएस झा ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव के लिये सोने के समय मच्छरदानी का निश्चित रूप से प्रयोग करें. घर के आसपास गंदा पानी जमा नहीं होने दें. एल्बेंडाजोल व डीईसी दवा का निश्चित रूप से सेवन करें. वहीं साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें.

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