अंतिम सोमवारी पर बाबा सिद्धेश्वरनाथ के दरबार में जुटी भक्तों की भारी भीड़
मनोकामना सिद्धि के लिए इलाके में प्रसिद्ध हैं बाबा सिद्धेश्वर नाथ
मनीगाछी प्रखंड अंतर्गत पंचायत राज टटुआर के बिशौल गांव में अवस्थित प्राचीन सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर में अंतिम सोमवारी को भक्तों की भारी भीड़ देर शाम तक जुटी रही। सैकड़ों कमरथुओं ने जहां पैदल एवं विभिन्न वाहनों से सिमरिया से गंगा जल लाकर बाबा सिद्धेश्वरनाथ का जलाभिषेक किया वहीं गांव के युवकों द्वारा आयोजित भव्य रूद्राभिषेक अनुष्ठान एवं भजन संध्या का आयोजन भक्तों के विशेष आकर्षण के केन्द्र में रहा।
बाबा सिद्धेश्वरनाथ महादेव की महिमा इस इलाके में काफी प्रसिद्ध है। भक्तों का मानना है निर्मल मन से बाबा सिद्धेश्वर नाथ के दरबार में हाजिरी लगाने वालों के मन की मुराद निश्चय ही सिद्ध होती है।
मंदिर में लगे शिलापट्ट के अनुसार नर्मदा कुंड से प्राप्त शिव दंपति व गणेश की मूर्ति के साथ शिवलिंग की स्थापना 1763 शाके की चैत्र शुक्ल दशमी बृहस्पति को महान शिव उपासक एवं अपने समय के प्रकांड विद्वान सिद्धेश्वर नाथ मिश्र ने की। जानकार बताते हैं कि यहां स्थापित तीनों मूर्तियों में से दो मूर्तियां गिरजापति भगवान शिव की सायुज्य मुक्ति की प्राप्ति के लिए तथा तीसरी गणेश की मूर्ति के साथ शिवलिंग की स्थापना सकल अभिलाषित मनोकामना की शीघ्र प्राप्ति के लिए की गई है। मंदिर में प्रवेश करते ही यहां स्थापित शिवलिंग भक्तों को विशेष रूप से आकर्षित करता है।
समय के प्रवाह में खंडहर में तब्दील हो चुके इस मंदिर का वर्ष 1982 में ग्रामीणों ने एकजुट होकर जीर्णोद्धार कराया और तब से बड़े ही धूमधाम के साथ यहां तीन दिवसीय महाशिवरात्रि महोत्सव का आयोजन किया जाता है।