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मधुबनी जिले में पहली बार मिला मायेलोमिंगोसिसेल से ग्रसित बच्ची

जिले में पहली बार मिला मायेलोमिंगोसिसेल से ग्रसित बच्ची

•एक लाख बच्चे में किसी एक बच्चे को होती है यह गंभीर बीमारी
•स्पाइना बिफिडा के सबसे गंभीर रूप को कहा जाता है मायेलोमिंगोसिसेल
•आरबीएसके के टीम ने बेहतर इलाज के लिए एम्स पटना किया रेफर
• गुरुवार को जिले से 4 बच्चे को भेजा गया पटना

मधुबनी

प्रेग्नेंसी के बाद हर माता-पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा स्वस्थ पैदा हो, लेकिन प्रसव के बाद कुछ बच्चों में ऐसे ही जन्मजात विकृतियां उत्पन्न हो जाती है जो जीवन भर के लिए अपाहिज बना देती है. ऐसे ही जन्मजात बीमारियों के उपचार के लिए जिले में आरबीएसके की टीम कार्य कर रही है जो बच्चों में विभिन्न प्रकार के विकृतियों को चिन्हित कर उनका समुचित इलाज करवाती है. ऐसे ही एक जन्मजात विकृति बीमारी है स्पाइना बिफिडा। इसमें बच्चे की रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है, जिस कारण बच्चे को पूरी जिंदगी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉक्टर कमलेश शर्मा ने बताया स्पाइना बिफिडा एक न्यूरल ट्यूब दोष है – जो भ्रूण के मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। यह तब होता है, जब गर्भावस्था के पहले महीने के दौरान भ्रूण के रीढ़ की हड्डी का कॉलम पूरी तरह से बंद नहीं होता है। यह नसों और रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान स्क्रीनिंग टेस्ट के जरिए स्पाइना बिफिडा का पता लगाया जा सकता है, लेकिन कभी-कभी जन्म के बाद ही इसका पता चलता है। ऐसे बच्चे एक हजार की आबादी में 1.09 होते हैं स्पाइना बिफिडा का एक गंभीर रूप मायेलोमिंगोसिसेल है यह स्पाइना बिफिडा का सबसे गंभीर प्रकार है। इस स्थिति में बच्चे की पीठ से तरल पदार्थ की एक थैली बाहर निकल आती है। भ्रूण के स्पाइनल कॉर्ड और नसों का हिस्सा इस थैली में ही होती है, जो क्षतिग्रस्त हो जाता है। यह बीमारी 1 लाख बच्चों में किसी एक बच्चे को होती है. जिले में पहली बार ऐसे एक बच्चे को चिन्हित किया गया है जो बिस्फी प्रखंड के 16 माह के बच्ची दिव्या कुमारी, पिता राम मंडल है जिसे बेहतर चिकित्सीय प्रबंधन के लिए गुरुवार को आरबीएसके की टीम के द्वारा एम्स पटना रेफर किया गया. इस क्रम में चार और बच्चे को जिला स्वास्थ समिति से रेफर किया गया जिसमें 3 बच्चे दिल में छेद से ग्रसित तथा एक बच्चे गर्दन में छेद से ग्रसित थे. सभी को बेहतर चिकित्सीय परामर्श के लिए पटना रेफर किया गया है.

नवजात को हो जाता है लकवा:

सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया स्पाइना बिफिडा तंत्रिकीय नाल की विकृति है। दरार युक्त रीढ़ के पूरी तरह से घिरे न होने पर यह रोग होता है। यह रोग तब बहुत गंभीर होता है, जब दरार वाली जगह के नीचे की पेशियां कमजोर होती हैं या नीचे का हिस्सा लकवा मार जाता है। मरीज का मल-मूत्र पर भी कोई नियंत्रण नहीं रह जाता। बच्चे के न्यूराल ट्यूब के पूरा बंद नहीं होने के कारण होता है। गर्भ में 20 हफ्ते के शिशु होने पर इस रोग का पता लगाया जा सकता है। रोग की पहचान होने पर डिलीवरी से पहले सर्जरी कर स्थिति सुधारने की कोशिश की जा सकती है।

45 प्रकार की बीमारियों का समुचित इलाज :
आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. कमलेश कुमार शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत बच्चों में 45 तरह की बीमारियों की जांच कर उसका समुचित इलाज किया जाता है। इन सभी बीमारियों को चार मूल श्रेणियों में बांटकर इसे 4 डी का नाम दिया गया है। इसके तहत जिन बीमारियों का इलाज होता है उनमें दांत सड़ना, हकलापन, बहरापन, किसी अंग में सून्नापन, गूंगापन,मध्यकर्णशोथ, आमवाती हृदयरोग, प्रतिक्रियाशील हवा से होने वाली बीमारियां, दंत क्षय, ऐंठन विकार, न्यूरल ट्यूब की खराबी, डाउनसिंड्रोम, फटा होठ एवं तालू/सिर्फ़ फटा तालू, मुद्गरपाद (अंदर की ओर मुड़ी हुई पैर की अंगुलियां), असामान्य आकार का कुल्हा, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बहरापन, जन्मजात हृदयरोग, असामयिक दृष्टिपटल विकार आदि शामिल है।

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