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दरभंगा » कालाजार नियंत्रण के छिड़काव के लिये कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

कालाजार नियंत्रण के छिड़काव के लिये कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

प्रशिक्षण कार्यक्रम में बहादुरपुर, सदर व बहेड़ी के छिड़काव कर्मी हुये शामिल

आगामी पांच से जिला के 17 प्रखंडों में चलाया जायेगा छिड़काव कार्यक्रम

सात दिनों तक संचालित अभियान में 3.99 लाख घरों में किया जायेगा छिड़काव

छिड़काव के लिये 22 दलों का किया गया गठन

कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन को ले डीभीबीडीसीओ ने दिये निर्देश

दरभंगा. जिले में कालाजार नियंत्रण के लिये सिंथेटिक पैराथायराइड पाउडर का द्वितीय चक्र का छिड़काव पांच सितंबर से शुरू किया जाएगा. यह कार्यक्रम सात दिनों तक 17 प्रखंडों में चलाया जायेगा. विगत तीन वर्षों में जिस गांव में कालाजार के रोगियों की पहचान हुई है, वहां विभाग की ओर से टीम गठन कर छिड़काव किया जायेगा. इसके तहत 3.99 लाख घरों में छिड़काव करने का निर्देश दिया गया है. इसके लिये 22 दल का गठन किया गया है. शुक्रवार को सामुदायिक स्वास्स्थ्य केन्द्र बहादुरपुर में छिड़काव कर्मी को प्रशिक्षण दिया गया. इसमें बहादुरपुर, सदर व बहेड़ी के कर्मी शामिल हुये. मौके पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जेपी महतो ने बताया कि 7.5 लीटर पानी में 125 ग्राम सिंथेटिक पैराथायराइड पाउडर का घोल तैयार कर निर्धारित मापदंड के अनुसार सभी घरों के सभी कमरों की दीवार पर छह फीट की ऊंचाई तक (छत को छोड़कर) छिड़काव करना है. प्रत्येक दिन 2.76 किलोग्राम एसपी पाउडर से 60 घरों में छिड़काव करने का निर्देश दिया गया है. भीबीडीसीओ आशुतोष कुमार ने बताया कि इसके प्रचार- प्रसार के लिये आशा, स्थानीय शिक्षक व जनप्रतिनिधियों का सहयोग लिया जायेगा. कार्यक्रम की निगरानी एवं अनुश्रवण के लिए जिला नियंत्रण कक्ष का गठन किया गया है.

बुखार होने पर निकट के सरकारी अस्पताल में करावें जांच
भीबीडी कंसलटेंड बबन प्रसाद ने कहा कि कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस(बालू मक्खी) के काटने के कारण होता है, जो कि लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है. किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा. इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है. बताया कि छिड़काव के क्रम में अगर किसी घर के सदस्य को 15 दिन से बुखार है तो तुरंत जाकर निकट के सरकारी अस्पताल में जांच करावें.

कालाजार के लक्षण
डॉ महतो ने कहा कि की बुखार होने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श करें. बताया कि कालाजार होने पर मरीज को लगातार रुक- रुक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आता है. वजन में लगातार कमी होती है. दुर्बलता की शिकायत रहती है. मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव, व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं.

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