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हालैंड की टीम ने की यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम की समीक्षा -आईआईएच बनेंगे निक्षय मित्र, एमडीआर मरीज को लेंगे गोद ( खबर के लिए व्हाट्सप्प करें – 8340418209)

हालैंड की टीम ने की यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम की समीक्षा

-आईआईएच बनेंगे निक्षय मित्र, एमडीआर मरीज को लेंगे गोद
निक्षय मित्र बनने के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र से कर सकते हैं सम्पर्क

मधुबनी आईआईएच संस्था इनोवेटरस इन हेल्थ (इंडिया ) के हॉलैंड टीम के सदस्यों ने जिले में यक्ष्मा उन्मूलन के लिए चल रहे कार्यक्रमों का समीक्षा किया टीम का नेतृत्व कर रहे मिरिंडा ब्रेवर ने जिले में यक्ष्मा उन्मूलन को लेकर चल रही गतिविधियों की समीक्षा के साथ साथ जिला यक्ष्मा निरीक्षण केंद्र का निरीक्षण किया और टीबी यूनिट, डीआर टीबी सेंटर, आईआईएच ऑफिस, का भ्रमण किया। साथ ही जिला टीबी सेंटर में उपचाराधीन यक्ष्मा रोगी से मिल कर उनसे इलाज को लेकर फीडबैक भी लिया इस दरमियान टीम के सदस्यों ने यक्ष्मा रोगियों के इलाज पर संतुष्टि जताई। साथ ही आईआईएच संस्था ने जिले में निक्षय मित्र के लिए सहमति भी दिया जिसके तहत एमडीआर मरीज को गोद लगी तथा वैसे मरीजों को दवा, पोषण तथा निगरानी करेगी. इस दौरान सीडीओ डॉक्टर जीएम ठाकुर के द्वारा बताया गया कि जिले में यक्ष्मा के उपचाराधीन मरीजों को सरकार के द्वारा निक्षय पोषण से तहत पांच सौ रुपये पोषण भत्ता भी मिल रहा है। टीम के सदस्यों ने यक्ष्मा उन्मूलन को लेकर चर्चा की और जिले में संचालित गतिविधियों पर संतुष्टि जाहिर की। और अधिक से अधिक मरीजों के नोटिफिकेशन कराने पर जोर दिया।

अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सच्ची मित्रता निभायें:

संचारी रोग पदाधिकारी डॉक्टर जीएम ठाकुर ने बताया समाज का प्रत्येक सक्षम व्यक्ति टीबी रोगियों की सहायता के लिये नि-क्षय मित्र बनने का संकल्प लें और इस राष्ट्रीय अभियान में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सच्ची मित्रता निभायें। इस अभियान में सभी सरकारी विभागों, निर्वाचित प्रतिनिधियों गैर सरकारी संगठनों और कॉपोर्रेट्स संस्थानों का सहयोग अपेक्षित है।

2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य:

राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 2025 तक जिले से टीबी का पूरी तरह से उन्मूलन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसके लिए सरकार और विभाग अपने स्तर से पूरी तरह से प्रयासरत है। लेकिन, अब जरूरत है लोगों के जागरूक होने की। ताकि, टीबी के खिलाफ लड़ाई जीती जा सके।जिले के सभी सरकारों अस्पतालों में इसके इलाज से लेकर जांच तक की मुफ्त व्यवस्था है। साथ ही, दवाओं के साथ टीबी के मरीज को पौष्टिक भोजन के लिए पांच सौ रुपये प्रतिमाह सहायता राशि भी दी जाती है। इसके बावजूद देखा जा रहा है कि कुछ लोग इलाज कराने के लिए बड़े निजी अस्पताल या फिर बड़े शहर की ओर जाते हैं। फिर वहां से निराश होकर जिले के सरकारी अस्पतालों का चक्कर काटना पड़ता है। ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है। जैसे ही टीबी के बारे में पता चले तो पहले नजदीकी सरकारी अस्पताल ही जाएं। जिले में अब टीबी के इलाज के साथ मुकम्मल निगरानी और अनुश्रवण की व्यवस्था की जाती है।

निक्षय मित्र बनने के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र से कर सकते हैं सम्पर्क:

डीपीसी पंकज कुमार ने बताया निक्षय मित्र बनने के लिए अपने जिला यक्ष्मा केंद से संपर्क किया जा सकता है। निक्षय मित्र बनने के लिए communitysupport.nikshay. in पर लॉगिन कर प्रधानमंत्री टीबी मुक्त अभियान पर क्लिक कर निक्षय मित्र रजिस्ट्रेशन फॉर्म पर क्लिक कर कर अपनी पूरी जानकारी देकर इस अभियान से जुड़ा जा सकता है। इसके अलावा इस निक्षय हेल्प लाइन नंबर 1800116666 पर कॉल कर के विस्तृत जानकारी ली जा सकती है। वहीं निक्षय मित्र बनने के लिए टीबी से ग्रसित मरीजों की सहमति लेकर पोषण के लिए उन्हें सहायता उपलब्ध करानी होगी।

मौके पर मनीष कुमार, प्रोग्राम मैनेजर सूर्य प्रकाश राय, प्रोजेक्ट मैनेजर पितांबर सोरेन, शैलजा शाह, रंजीत कुमार शर्मा सहित अन्य कर्मी उपस्थित थे.

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