जिले के 30 नवनियुक्त सीएचओ को परिवार नियोजन का मिला प्रशिक्षण:
-अस्थायी माध्यम में अन्तरा एवं छाया बेहतर उपाय: आरपीएम
-विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में “फैमिली प्लानिंग कार्नर” पर अस्थायी साधनों की उपलब्धता:
समस्तीपुर,
सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों की सेहत को संवारने के उद्देश्य से सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) की प्रतिनियुक्ति की जाती है। इस क्रम में ज़िले के 30 नवनियुक्त सीएचओ को बनारस स्टेट कैंपस परिसर में स्वास्थ्य विभाग व जपाइगो के सहयोग से दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। इसमें स्थानीय स्तर पर प्राथमिक प्रबंधन, नवजात शिशुओं में खतरे के संभावित लक्षणों की पहचान, रेफर करने की प्रक्रिया, उच्च जोखिम वाले प्रसव की पहचान, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की जानकारी के अलावा जन्म के समय नवजात शिशुओं को त्वरित देखभाल, बच्चे की सांसों का चलना, रक्त संचार, एचडब्ल्यूसी एनसीडी, टेलीमेडिसिन, टीबी, वीडीएमएस सहित कई अन्य कार्यक्रमों की जानकारी दी गयी।
सीएचओ की प्रतिनियुक्ति के बाद प्रारंभिक चरण में दिया जाता है प्रशिक्षण:
क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमुल होदा ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दिन प्रतिदिन सीएचओ की प्रतिनियुक्ति कर लगातार सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। विभागीय स्तर पर सीएचओ की प्रतिनियुक्ति के बाद उनको प्रारंभिक चरण में प्रशिक्षण दिया जाता है। ताकि अधिक से अधिक सीएचओ प्रशिक्षित होकर अपने-अपने स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से किसी भी प्रकार की बीमारियों को गंभीर होने से बचा सकें।
अस्थायी माध्यम में अन्तरा एवं छाया बेहतर उपाय:
होदा ने बताया कि आज के समय में परिवार नियोजन के अस्थायी माध्यमों में अन्तरा एवं छाया सबसे बेहतर विकल्प के रूप में उभरा हुआ है। आम नागरिकों द्वारा इसके इस्तेमाल करने की संख्या में भी लगातार वृद्धि देखी गई है। इसमें अन्तरा इंजेक्शन तीन महीने के लिए गर्भ निरोधक का कार्य करता है, जबकि छाया साप्ताहिक गोली है जो प्रत्येक सप्ताह गर्भ निरोधक के तौर पर हर महिलाएं इस्तेमाल कर सकतीं हैं। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है व किसी भी सामान्य महिला द्वारा इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में “फैमिली प्लानिंग कार्नर’ पर अस्थायी साधनों की उपलब्धता:
जपाइगो के क्षेत्रीय कार्यक्रम पदाधिकारी प्रभात ठाकुर ने बताया कि परिवार नियोजन के लिए अस्थायी गर्भ निरोधक के तौर पर अन्य प्रकार के कई विकल्प भी उपलब्ध हैं। अन्य विकल्पों के रूप में कॉपर-टी, माला-एन की गोलियां, इजी पिल्स के अलावा पुरुषों के लिए कंडोम सबसे बेहतर साधन के रूप में अपनाया जा रहा है। परिवार नियोजन से संबंधित जानकारी या सलाह लेने के लिए सभी प्रखंडों के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर सहित स्वास्थ्य केंद्रों में “फैमिली प्लानिंग कार्नर” खोला गया है। जहां प्रशिक्षित जीएनएम या एएनएम द्वारा जानकारी व साधन उपलब्ध कराई जाती है।
नसबंदी कराने पर मिलती है प्रोत्साहन राशि:
जिला योजना समन्वयक आदित्य कुमार झा ने बताया नसबंदी कराने वाले लाभार्थी को सरकार द्वारा 3000 रुपये एवं उत्प्रेरक को 400 रुपये मिलते हैं। वहीं प्रसव के तुरंत बाद बंध्याकरण कराने पर लाभार्थी महिला को 3000 रुपये तथा उत्प्रेरक को 400 रुपये ,पीपीआईयूसीडी बंध्याकरण पर लाभार्थी को 2000 रुपये, एएनएम को 150 रुपये आशा को 150 रुपये,प्रसव पश्चात कॉपर टी लगवाने पर 300 रुपये, गर्भपात उपरांत कॉपर टी लगवाने पर लाभार्थी को 300 रुपये, एमपी अंतरा प्रति सुई लगाने पर प्रति लाभार्थी 100 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
आयोजन में डीसीक्यूए डॉ ज्ञानेंद्र कुमार,जापाईगो के प्रभात ठाकुर व रीजनल अकाउंट मैनेजर विकाश रौशन, क्षेत्रीय अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी किताबउर रहमान सहित अन्य कर्मी उपस्थित थे.