टीबी मरीजों को उपलब्ध कराया जा रहा स्वरोजगार
-आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है उद्देश्य
-मरीजों में स्वरोजगार की प्रवृत्ति होगी विकसित

दरभंगा केंद्र सरकार ने 2025 तक भारत को टीबी (यक्ष्मा) मुक्त करने का निर्णय लिया है। सरकार इसके लिए प्रयासरत भी है। इसी आलोक में टीबी मरीजों के लिए सरकार तथा अन्य संस्थाओं के द्वारा कई पहल किए जा रहे हैं। .सरकार यक्ष्मा मरीजों को उपचार व पौष्टिक आहार लेने के लिए निक्षय पोषण राशि भी उपलब्ध करवा रही है। . साथ ही कई संस्थाओं एवं आम लोगों के लिए सरकार निक्षय मित्र योजना का भी संचालन कर रही है। जिसके तहत कोई भी व्यक्ति टीबी मरीजों को गोद लेकर पौष्टिक आहार व अन्य प्रकार से सहयोग कर सकता है। . वहीं कुछ संस्थाएं यक्ष्मा मरीजों को स्वरोजगार भी उपलब्ध करा रही है। इसी क्रम में सदर प्रखंड दरभंगा के डीआरटीबी टीबी मरीज (दिनेश कुमार दास) को डेमियन फॉउण्डेशन इंडिया ट्रस्ट की ओर से किराना दुकान (₹=25000/-) जीविका उपार्जन के लिए दिया गया। . पूर्व में भी जिले के 3 डीआरटीबी मरीजों को डेमियन फॉउंडेशन संस्था के द्वारा स्वरोजगार उपलब्ध कराया गया है । . कार्यक्रम का उद्घाटन संचारी रोग पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार के द्वारा फीता काटकर किया गया। . संचारी रोग पदाधिकारी ने टीबी मुक्त मरीज को माला पहना कर जीविका उपार्जन हेतु नसीहत दी और उन्होंने बताया कि दरभंगा जिले में और कई कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इसके लिए हम सब मिलकर संकल्पित हैं कि जिले को जल्द से जल्द टीबी मुक्त बनाया जाए.।
2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाना लक्ष्य:
संचारी रोग पदाधिकारी ने कहा कि भारत सरकार ने टीबी उन्मूलन के लिए 2025 का वर्ष निर्धारित किया है। जिसके लिए जमीनी स्तर (ग्रास रूट) पर कार्य करने की आवश्यकता है। वहीं लोगों में भी समेकित रूप से जागरूकता हेतु प्रयास करना होगा। उन्होंने बताया स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रखंड स्तर पर प्रत्येक समुदाय में कार्य कर रही है। ज्यादा से ज्यादा रोगियों की खोज और उपचार हमारा संपूर्ण लक्ष्य है। जिससे टीबी पर विजय पाई जा सके। टीबी पूर्ण रूप से ठीक होने वाली बीमारी है,बशर्ते वह नियमित रूप से दवा का सेवन करें। . टीबी के रोगियों को नि:शुल्क दवा का वितरण सरकारी अस्पतालों के द्वारा किया जाता है। प्रत्येक प्रखंड में स्पुटम जांच की व्यवस्था की गई है।
टीबी (क्षयरोग) के लक्षण:
• लगातार 3 हफ्तों से खांसी का आना और आगे भी जारी रहना
• खांसी के साथ खून का आना
• छाती में दर्द और सांस का फूलना
• वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना
• शाम को बुखार का आना और ठंड लगना
• रात में पसीना आना।
कार्यक्रम में डीपीएस दीपांकर प्रसाद, डीएफआईटी के प्रदीप कुमार,, सी एस डब्ल्यू विवेक कुमार ने भाग लिया |
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