सीएए-एनआरसी-एनपीआर की पूर्णतः वापसी तक छात्र- संगठनों ने किया संघर्ष का एलान.1 जनवरी को संविधान के प्रस्तावना का पाठ, 5 जनवरी को बनाई जाएगी मानव श्रृंखला ,8 जनवरी को छात्र हड़ताल का एलान
छात्र संगठन AISA AISF,BHIM ARMY,SFI, AIDSO,dmch छात्र ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर CAA- NPR- NRC खिलाफ और इसे पूर्णतः वापसी तक संघर्ष करने का ऐलान किया।
संवादाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आइसा के राज्य सह-सचिव संदीप कुमार चौधरी,SFI के राज्य सचिव मुकुल राज,भीम आर्मी के राष्ट्रीय सलाहकार डॉ वीरेंद्र पासवान ‘गुरु जी’,ज्ञानेंद्र पासवान,aisf के जिला अध्यक्ष शशि रंजन प्रताप सिंह,aidso के दयानंद कुमार ने संयुक्त तौर पर कहा कि सीएए-एनआरसी-एनपीआर की पूर्णतः वापसी तक आंदोलन जारी रखने का संकल्प दुहराया. इसके खिलाफ चरणवद्ध संघर्ष की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए छात्र नेताओं ने कहा की 1 जनवरी 2020 को संविधान के प्रस्तावना का सामूहिक प्रस्ताव का पाठ किया जाएगा, 5 जनवरी को पूरे राज्य में मानव श्रृंखला बनाई जाएगी।जबकि आठ जनवरी को सभी छात्र संगठनों ने छात्र हड़ताल का ऐलान किया है।
एनआरसी-सीएए व एनपीआर को वापस लेने की मांग की.वक्ताओं ने अपने संबोधन में कहा कि आज जब पूरे देश में एनआरसी के खिलाफ बड़ा आंदोलन उठ खड़ा हुआ है, तब देश के प्रधानमंत्री झूठ बोलकर देश की जनता को बरगलाने का काम कर रहे हैं. कह रहे हैं कि एनआरसी पर कोई चर्चा ही नहीं हुई, जबकि गृहमंत्री अमित शाह के सैंकड़ों बयान एनआरसी पर बहुप्रचारित है. अब ये लोग एनपीआर यानि राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर की बात कर रहे हैं. हम इसका भी पुरजोर विरोध करते हैं क्योंकि यह एनआरसी की दिशा में पहला कदम है. इसे हम कभी स्वीकार नहीं करेंगे.
सीएए कानून पूरी तरह धार्मिक भेदभाव पर आधारित है, यह देश के मूल चरित्र के खिलाफ है. यह संविधान की मूल आत्मा व उसकी मौलिक संरचना तथा आजादी के आंदोलन के संपूर्ण मूल्यबोध के खिलाफ है. मोदी-अमित शाह की सरकार की नागरिकता संशोधन कानून व एनआरसी पूरी तरह संविधान की मौलिक संरचना तथा आजादी के आंदोलन के संपूर्ण मूल्यबोध के खिलाफ है. देश के करोड़ों नागरिकों को नागरिकता-विहीन करने की इस साजिश को नाकाम करना होगा. नागरिकता से ही हमारे सारे अधिकार बनते हैं. आज पूरे देश में इसके खिलाफ व्यापक जनप्रतिरोध उठ खड़ा हुआ है. यह स्वागतयोग्य कदम है.
सबसे शर्मनाक यह कि भाजपा व संघ के लोग एनआरसी के खिलाफ चलने वाले आंदेालन को सांप्रदायिक आधार पर दुष्प्रचारित करने का काम कर रहे हैं. हकीकत यह कि आज आजादी के आंदोलन के बाद पहली बार देश के हिंदु-मुसलमान और अन्य धर्मों के लोग एक साथ मिलकर इन काले कानूनों का विरोध कर रहे हैं. भाजपा का सपना इस देश में कभी स्वीकार नहीं होगा. यह देश गांधी, मौलाना अबूल कलाम, अंबेदकर, नेहरू और भगत सिंह का देश है. यह उनके सपने को पूरा करने की लड़ाई है.तमाम कार्यक्रम के सहयोग के लिए सभी राजनीतिक दल को पत्र लिख कर सहयोग करने की अपील करेंगे।