“विश्वविद्यालय अंगीभूत इकाई शिक्षा-शास्त्र विभाग शिक्षक संघ,बिहार (U.C.U.D.E.T.A)के द्वारा बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन सभागार ,कदम कुआं ,पटना में प्रेस वार्ता आयोजित की गई जिसे साझा रूप से प्रदेश के अध्यक्ष डॉ. रूपेश कुमार झा एवं प्रदेश प्रवक्ता डॉ.रीता सिंह ने संबोधित किया ।इसमें मुख्य रूप से दो बातों की मांग की गई ।

1.वेतन विसंगति एवं
2.बिहार राज्य के अंतर्गत जितने भी अंगीभूत महाविद्यालयों में शिक्षा-शास्त्र विभाग (बी०एड०) चल रहें हैं सरकार उसका अधिग्रहण कर कार्यरत प्राध्यापकों को स्थाई करें। वेतन पर बात करते हुए डॉ.रीता सिंह ने कहा कि शिक्षा शास्त्र पाठ्यक्रम में हमेशा से एन०सी०टी०ई० नियमावली लागू हुई है ।उस नियमावली के अनुसार शिक्षक कर्मी को नियमित वेतन देने का प्रावधान है | इसी नियम के तहत हाईकोर्ट ने भी वेतन देने संबंधी निर्णय दिया है, लेकिन बिहार के विश्वविद्यालय एवं संबंधित महाविद्यालयों अपनी मर्जी से वेतन की व्याख्या करते हैं और कभी मानदेय कभी फिक्स वेतन जैसे शब्दावली का प्रयोग कर शिक्षा-शास्त्र विभाग के शिक्षक समाज को अपमानित करते हैं। वही शिक्षक को प्रशिक्षित करने का काम जो प्राध्यापक कर रहें हैं ,अफसोस ना तो उन्हें सम्मानजनक वेतन मिल रहा है और ना ही शिक्षक प्रशिक्षण विभाग पर सरकार कोई ठोस निर्णय ले पा रही है। हद तो यह हो गई है कि विश्वविद्यालय के पदाधिकारी अपने आपको माननीय उच्च न्यायालय एवं राजभवन से भी ऊपर समझते हैं। वही संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रूपेश ने यह भी बताया कि वह शिक्षा मंत्री एवं अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग को लगातार इसकी लिखित शिकायत कई बार किया है फिर भी शिक्षा विभाग इस पर कोई ठोस निर्णय पर आज तक नहीं पहुंच है राजभवन द्वारा बिहार के सभी विश्वविद्यालयों को रिमाइंडर लेटर भेजने पर एक, दो विश्वविद्यालय को छोड़कर अभी भी बिहार के लगभग सभी विश्वविद्यालयों ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं किया हैं |प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रुपेश का कहना है कि हद तो तब हो गई कि समाधान यात्रा के दौरान माननीय मुख्यमंत्री जी को सहरसा में इसकी जानकारी 3 से 4 मिनट की बातचीत में हमने खुद इसकी जानकारी दिया है एवं इस पर मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जल्द ही मैं इस पर अच्छा एवं ठोस विचार करूंगा, फिर उसकी एक प्रति माननीय मुख्यमंत्री जी के सचिवालय में भी रिसीव कराते हैं |इसके बावजूद इस पर शिक्षा विभाग द्वारा कोई निर्णय आज तक नहीं लिया गया है। ऐसे में लगता है कि मजबूर होकर हम शिक्षकों को आंदोलनात्मक कदम उठाते हुए न्यायालय की शरण में जाना होगा। संगठन सरकार से सिर्फ दो मांगे करती है एक स्ववित्तपोषित योजना अंतर्गत जितने भी अंगीभूत महाविद्यालयों में शिक्षा-शास्त्र विभाग(बी०एड०) चल रहे हैं ,सभी में जो हाई कोर्ट ने निर्णय दिया है,उसके अनुसार एक समान वेतन लागू हों एवं
एन०सी०टी०ई० के द्वारा सृजित पद पर जो प्राध्यापक अंगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षा-शास्त्र विभाग में कार्य कर रहे हैं ,उसका पद समायोजन करते हुए सेवा स्थाई की जाए । प्रेसवार्ता में संगठन के महासचिव डॉo गौतम कुमार, सचिव नीता सिंह, प्रदेश प्रवक्ता डॉo रीता सिंह, प्रदेश पदाधिकारी डॉo मृणाल कुमार, डॉo संजीव कुमार, रविशंकर मिश्र एवम बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के अध्यक्ष, महासचिव एवम कार्यकारिणी के सदस्य डॉo धनंजय सिंह यादव , डॉo सतीश कुमार ,अमित कुमार गणपति कुमार ,कुंदन कुमार ,अमरजीत कुमार ,डॉo ए. एन पांडे, डॉo आर पी मौर्या, आशुतोष कुमार झा,डॉ रंजन कुमार,डॉ ए जन प्रियदर्शिनी,डॉ अभिषेक कुमार, डॉ राजेश रंजन एवं अन्य प्राध्यापक मौजूद थे|
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