दरभंगा मिथिला लेखक मंच के तत्वावधान में आयोजित शोध प्रबृत्ति पर चर्चा करते हुए डा मुनेश्वर यादव ने कहा कि सत्य की खोज ही शोध
है। सुकरात ने शोध के मध्यम से ही सत्य को उद्घाटित किया गया। जिसके परिणामस्वरूप उन्हें जहर दे दिया गया। डा मुनेश्वर यादव ने कहा कि मिथिला विश्वविद्यालय में भी गुणवत्ता पूर्ण शोध हो और उसके परिणाम स्वरुप यहां का विकास हो।
मिथिला लेखक मंच दरभंगा के इस संगोष्ठी की अध्यक्षता डा टुनटुन झा संचालन श्री चन्द्रेश ने की।इस संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रो श्रीउदय शंकर मिश्र ने कहा कि 1978में अमेरिकन समाजशास्त्री प्रो पौल आर ब्रास ने मिथिला के भाषा संस्कृति पर शोध करते हुए तीन कारण बताये।मातृभाषा प्रेम;राजिनिज्ञयों का भाषा प्रेम;धर्म की भाषा हो;।इसी तरह यहां के विद्वान भी मैथिली के लिए शोध करें।
डा विद्यानाथ झा ने अपने मखान के शोध पर कहा कि मैं केवल मिथिला के उपयोग पर केन्द्रीत था जब शोध आगे बढ़ा तो जाना कि इसका उपयोग सारे देश में हो रहा है वह जाना।
इस अवसर पर डा श्री शंकर झा डा योगानंद झा श्री कमलेश झा प्रो चन्द्रशेखर झा बुढ़ा भाई कौशल कुमार स्वर्णिम किरण मुन्नी मधु संतोष कुमार शंभु कुमार मुन्नूजी बिनय कुमार यादव दीपेन्द्र कुमार सुबोध झा आदि।
अध्यक्षीय भाषण में डा टुनटुन झा ने कहा कि आज जो शोध हो रहे हैं ओ बहुत निम्न अस्त्र के हैं शोध की गुणवत्ता पर जोर दिया। शोधकर्ताओं द्वारा समाज को दिशा दी जाती है।
प्रो श्रीउदय शंकर मिश्र प्रवक्ता मिथिला लेखक मंच दरभंगा