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महात्मा गांधी का मिथिला से गहरा संबंध– प्रोफेसर एस के सिंह शैक्षणिक कार्यक्रमों से सी एम कॉलेज में बनी जीवंतता–कुलपति महात्मा गांधी बहुआयामी प्रतिभा के धनी महापुरुष

महात्मा गांधी का मिथिला से गहरा संबंध– प्रोफेसर एस के सिंह शैक्षणिक कार्यक्रमों से सी एम कॉलेज में बनी जीवंतता–कुलपति महात्मा गांधी बहुआयामी प्रतिभा के धनी महापुरुष

रिपोर्ट राजु सिंह अजित कुमार सिंह दरभंगा news24live

–डॉ मोहन मिश्र महात्मा गांधी का मिथिला से गहरा संबंध रहा है।मिथिला के चंपारण में नील की अनैतिक खेती को गांधी ने अहिंसक रूप से रोका, जिसका सकारात्मक प्रभाव आसपास के क्षेत्रों पर पड़ा। उक्त बातें विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में साहित्य अकादेमी,नई दिल्ली तथा सी एम कॉलेज, दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में ‘महात्मा गांधी : मिथिला और मैथिली(विशेष संदर्भ: चंपारण) विषयक संगोष्ठी के समापन समारोह में कहा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से संबद्ध संगोष्ठी में आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।संगोष्ठी में 2 दिनों तक जो विचार- विमर्श हुआ,उसकी समीक्षा कर तदनुसार आगे उसपर अध्ययन-अध्यापन एवं शोध- कार्य करना चाहिए।कुलपति ने कहा कि शैक्षणिक कार्यक्रमों से उच्च शिक्षा का उत्तम वातावरण बनता है तथा छात्रों में शिक्षा की ललक जागृत होती है।ऐसे आयोजन होते ही सी एम कॉलेज में जीवंतता बनी है।प्रसिद्ध चिकित्सक तथा मैथिलीप्रेमी पद्मश्री डॉ मोहन मिश्र ने समापन वक्तव्य में कहा कि गांधी नाम से ही हम लोगों का स्वाभाविक आकर्षण होता है।गांधीजी बहुआयामी प्रतिभा के धनी महापुरुष थे।उनके द्वारा प्रारंभ चरखा-तकली और सूत-कटाई जहां एक और यहां के निवासियों को जीवन का आधार प्रदान किया,वही अंग्रेजीराज के लिए कफन का कार्य भी किया।गांधी ने आदर पूर्वक ब्रिटिश नियमों को तोड़ा,जिसके कारण ही अंततः ब्रिटिश शासन का अंत हुआ।उन्होंने बिहारी मजदूरों की मदद से ही दक्षिण अफ्रीका में अपने प्रथम सत्याग्रह को सफल बनाया था,पर भारत में गांधी को प्रथम विजय मिथिला के चंपारण में ही 1917 में मिली थी।मिथिला दक्षिण में गंगा से उत्तर में पर्वतीय तराई तक फैला हुआ विस्तृत क्षेत्र है।अध्यक्षीय संबोधन में साहित्य अकादमी के मैथिली परामर्श मंडल के संयोजक डॉ प्रेम मोहन मिश्र ने कहा कि सेमिनार का मुख्य उद्देश्य गांधी के संपूर्ण वांग्मय को बृहत रूप में तैयार कर नई पीढ़ी को गांधी के आचार- विचार तथा उनके दर्शनों से अवगत कराना है,तभी हमारा देश वास्तव में भारत रूप में बना रहेगा।साहित्य समाज का दर्पण होता है,इसलिए अकादमी सभी सामाजिक समस्याओं पर कार्य कर रहा है।उन्होंने अकादमी की ओर से इस सफल आयोजन हेतु प्रधानाचार्य के प्रति आभार व्यक्त करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की कि संगोष्ठी में दोनों दिन प्रतिभागियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही है।महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एस के सिंह अपनी तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद हमारे बीच ससमय आए,यह उनकी शैक्षणिक रुचि का सूचक है।इनके सद्प्रयास से ही आज मिथिला विश्वविद्यालय राज्य में प्रथम विश्वविद्यालय के रूप में जाना जा रहा है।मिथिला के पद्मश्री डॉ मोहन मिश्र ना केवल प्रसिद्ध चिकित्सक हैं, बल्कि सामाजिक रूप से संवेदनशील व्यक्ति भी हैं,जिनका मातृभाषा मैथिली के प्रति अगाध प्रेम प्रशंसनीय है। विज्ञान के शिक्षक होते हुए भी मैथिली से प्रेम रखने वाले डा प्रेम मोहन मिश्र भी बधाई के पात्र हैं,जिन्होंने इस सेमिनार को इस महाविद्यालय में आयोजित करवाया। प्रधानाचार्य ने प्रतिभागियों एवं महाविद्यालय के शिक्षकों, मीडिया कर्मियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
सेमिनार में मारवाड़ी महाविद्यालय,भागलपुर मैथिली विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शिव प्रसाद यादव की पुस्तक “मैथिली ज्योति लोकमहागाथा” नामक पुस्तक का विमोचन किया गया,जिसमें मिथिला भाषा- संस्कृति के विविध आयाम- खान-पान,रहन-सहन,भाषा- बोली,आचार-विचार, धर्म-दर्शन,विधि-व्यवहार आदि का बृहद् वर्णन है।सेमिनार मे प्रोफेसर प्रीति झा,डा पी के चौधरी,डॉ आर एन चौरसिया,डॉ अमलेन्दु शेखर पाठक,डॉ शैलेंद्र श्रीवास्तव,प्रो अखिलेश राठौर,नीरज कुमार सहित एनएसएस एवं एनसीसी के स्वयंसेवक उपस्थित थे। अतिथि स्वागत प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद ने किया, जबकि डॉ सुरेश पासवान के संचालन में आयोजित समारोह में धन्यवाद ज्ञापन डॉ आर एन चौरसिया ने किया।

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