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  Darbhanga जिलाधिकारी   राजीव रौशन की अध्यक्षता में कालाजार उन्मूलन अभियान को लेकर स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों एवं सिविल सर्जन के साथ बैठक आयोजित की गई।    

कालाजार उन्मूलन अभियान को लेकर हुई बैठक

जिलाधिकारी दरभंगा  राजीव रौशन की अध्यक्षता में उनके कार्यालय कक्ष में कालाजार उन्मूलन अभियान को लेकर स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों एवं सिविल सर्जन के साथ बैठक आयोजित की गई।
बैठक में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ.अमरेंद्र कुमार मिश्र ने बताया कि दरभंगा जिले में चार प्रखंड क्रमशः दरभंगा सदर, सिंहवाड़ा, कुशेश्वरस्थान एवं बहादुरपुर में विगत महीनों में कालाजार के मरीज मिले हैं। वर्ष में दो बार कालाजार उन्मूलन अभियान के अंतर्गत प्रभावित पंचायतों में कीटनाशक दवा का छिड़काव करवाया जाता है। इस बार के अगस्त अभियान में जिले के 69 गाँव में 10 अगस्त से कीटनाशक दवा का छिड़काव कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो 66 उप स्वास्थ्य केंद्र के क्षेत्र में पड़ता है एवं 03 लाख जनसंख्या को अच्छादित करता है।
जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि वैसे पंचायत जहाँ कालाजार के मरीज मिले हैं, उस पंचायत के सभी घरों में कीटनाशक दवा का छिड़काव कराई जाए।
उन्होंने कहा कि कीटनाशक दवा का छिड़काव अच्छी तरह कराई जाए जिसमें दीवार पूरी तरह से भीग जाए, इसके साथ ही छिड़काव के पूर्व उस घर के बर्तन, खाने-पीने की समान को अच्छी तरह से ढकवा दिया जाए। कालाजार उन्मूलन हेतु सभी कमरों, शौचालय व गौशाला में भी कीटनाशक दवा का छिड़काव करवाना आवश्यक है।
उन्होंने कालाजार के उपचार की दवा उपलब्धता की भी समीक्षा की, बताया गया कि कालाजार के उपचार के लिए लिए दवा उपलब्ध है। जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि पी.के.डी.एल. के मरीज का भी 02 से 03 साल तक केयर किया जाए।
बैठक में बताया गया कि पी.के.डी.एल. के मरीज को तीन महीने तक दवा दी जाती है। लेकिन 02 से 03 साल के बाद ही मरीज की जाँच में नेगेटिव लक्षण आता है।
जिलाधिकारी ने प्रभावित क्षेत्रों में जन जागरूकता कार्यक्रम करवाने के निर्देश दिए तथा जिन प्रखंड में अभियान चलाना है, वहाँ के प्रखंड विकास पदाधिकारी की अध्यक्षता में ब्लॉक लेवल टास्क फोर्स का गठन कर तैयारी कर लेने के निर्देश दिए।
साथ ही इस अभियान में पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों को भी जोड़ने के निर्देश दिए,ताकि लोगों के बीच जागरूकता लायी जा सके ।
जिलाधिकारी ने कहा कि दीवार से एक फीट की दूरी पर बिस्तर रखने से भी इस बीमारी से बचाव हो सकता है। क्योंकि, बालू मक्खी दीवार से चिपकी रहती है और बिस्तर दीवार से सटे रहने पर वह बिस्तर पर आ जाती है। इस बीमारी से बचने के लिए मच्छरदानी का नियमित प्रयोग भी कारगर साबित होता है।
बैठक में सिविल सर्जन डॉ.अनिल कुमार, उप निदेशक जन संपर्क नागेंद्र कुमार गुप्ता, जिला पंचायती राज पदाधिकारी आलोक राज, एनसीडीओ डॉ. सत्येंद्र कुमार मिश्रा एवं संबंधित पदाधिकारी गण उपस्थित थे।

 

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