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“जहांगीर ने कहा था” और “बादशाहत का खात्मा” की धमाकेदार प्रस्तुति के साथ हुआ ” 2nd दरभंगा रंग महोत्सव” का समापन।  

 

“जहांगीर ने कहा था” और “बादशाहत का खात्मा” की धमाकेदार प्रस्तुति के साथ हुआ ” 2nd दरभंगा रंग महोत्सव” का समापन।

संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक श्याम कुमार सहनी के अगुवाई में नाट्य संस्था कलर व्हील,दरभंगा ” 2nd दरभंगा रंग महोत्सव” के आयोजन का आज तीसरा और अंतिम दिन था। दरभंगा के मैथिली साहित्य परिषद के दिग्गी पश्चिम में चल रहे तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव में आज कई बेहतरीन प्रस्तुति हुई। बताते चलें कि 3 दिनों का यह महोत्सव यहां के लोकल कलाकारों एवं रंगमंच को समर्पित रहा। इस महोत्सव में दरभंगा, मधुबनी, बेगूसराय, पटना, भागलपुर, हैदराबाद के कलाकारों के द्वारा अलग अलग नाट्य प्रस्तुतियां दी गई।

 

इस महोत्सव में आज के अतिथि के रूप मे हमारे बीच नारायण जी चौधरी( मैथिली साहित्य परिषद कार्यकर्ता), मोदनाथ मिश्रा, प्रो. विद्या नाथ झा (retd. Principal & prof. Botany LNMU)उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत में अभिषेक कुमार गामी एंड टीम की तरफ से लोकगीत की प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति में सिंगर अभिषेक कुमार गामी, श्रुति कुमारी और संगत कलाकार में संगम, चंद्रमणि, चन्द्रप्रकाश, शिवम शेखर, अविनाश कुमार

थे। इसके अलावा डांस अड्डा टीम की तरफ से जट-जटीन नृत्य की प्रस्तुति की गई जिसके निर्देशक प्रेम सिंघानिया थे। इस जट-जटीन नृत्य में मंच पर प्रिया भास्कर, ॠतु कुमारी, पिंकी कुमारी, सौम्या कुमारी, रूचि कुमारी ने शानदार प्रस्तुति दी। वहीँ किलकारी दरभंगा द्वारा जट-जटीन की प्रस्तुति दी गई।

 

“2nd दरभंगा रंग महोत्सव” के तीसरे दिन नाट्यकृति मंच, पटना की ओर से नाटक ” जहांगीर ने कहा था” की धमाकेदार प्रस्तुति हुई । जिसका निर्देशन सारिका भारती ने किया।

 

पति-पत्नी के बीच शक की नुकीली सुई की चुभन का अहसास कराता नाटक “जहाँगीर ने कहा था” दर्शकों को रिश्तों को सलीके से संभालने का संदेश देता हैं। नाटक में दोस्त के शहंशाह जहांगीर के जीवन से जुड़े एक संदेश को सुझाव के तौर पर देने से दूसरे दोस्त के दामपत्य जीवन के उलझन के सुलझ जाने की कहानी है। प्रस्तुत नाटक में डॉली अपने पति को टोकती रहती है, उस पर शक करती रहती है परंतु रंजीत दोस्तों के साथ पाटी में रमी खेलकर अपना दिन व्यतीत करता रहता है। एक दिन जब रंजीत देर से पर आता है और पार्टी में जाने की बात करता है तो डॉली और रंजीत के बीच झगड़ा हो जाता है। तब धीर रंजीत को शहंशाह जहांगीर के जीवन से जुड़े एक संदेश को सुझाव के तौर पर बताता है। यह कहता है कि अपनी पत्नी से कहे की मैं तो जोक का गुलाम हूं। जो तुम कहोगी, मैं वही करूंगा। इससे डॉली खुश हो जाती है। और दोनो के रिश्ते सुलझ जाते हैं। मंच पर मौसमी भारती, राहुल कुमार रवि, रौशन कुमार ने दर्शकों को बांधे रखा। प्रकाश परिकल्पना रवि वर्मा व संगीत संयोजन रौशन कुमार का रहा।

वहीं दूसरी प्रस्तुति द स्ट्रगलर्स, पटना की ओर से नाटक “बादशाहत का खात्मा ” की प्रस्तुति हुई। जिसका निर्देशन “रौशन कुमार ” ने किया।

 

मुंबई शहर से शुरू होती है यह कहानी, जहां एक फुटपाथ पर सोने वाला शख्स अपने दोस्त के दफ्तर में रहने आता है। यहां रखी टेलीफोन से एक मिस कॉल आता है और कहानी वहीं से आगे बढ़ जाती है। टेलीफोन पर एक आवाज लगातार उसे फोन करती है और दोनो में बातचीत शुरू हो जाती हैं। मिस कॉल करने वाली मोहतरमा जिसे वो आवाज के नाम से जानता है, उससे मनमोहन को मोहब्बत हो जाती है। बातचीत का सिलसिला यूं बढ़ता है जिससे दोनों के दिल में मोहब्बत अंगड़ाई लेने लगती हैं। उनमें भी वही गुदगुदी होने लगती जो अक्सर इश्क के मारे युवक-युवतियों में होती है। वे महाशय सपने देखने लगते हैं और उस मोहतरमा के बारे में न जाने क्या-क्या सोचने लगते हैं। सामने वाली आवाज जिस रोज से मिलने का वादा करती है उसके ठीक पहले दफ्तर का मालिक आने वाला होता है। लेकिन उसका फोन नहीं आता है। उधर मनमोहन हर पल उसके फोन का इंतजार करता है और एक समय ऐसा भी आता है, जब फोन आने की घड़ी की बाट जोहते- जोहते मनमोहन बदहवासी की हालत में चला जाता है और उसकी जान चली जाती है। कहानी बिना किसी अंजाम के खत्म हो जाती है। नाटक में मंच पर सागर सिंह और सौम्या भारती ने दर्शकों को बांधखर रखा। प्रकाश परिकल्पना राहुल रवि व संगीत संयोजन रवि वर्मा ने किया। आज के इस महोत्सव का समापन महोत्सव में सम्मिलित सभी अतिथियों, कलाकारों और सहयोगियों को सम्मानित कर किया गया। इस महोत्सव के तकनीकी निर्देशक विक्रम ठाकुर साउंड पर पंकज कुमार थे। इस महोत्सव में स्वागत समिति, मीडिया व महोत्सव संयोजक का प्रभार निकिता कुमारी ने सम्भाला। कलर व्हील संस्था के सदस्य के रूप मे शिवम कुमार,मुकेश पोद्दार, ऋषभ कुमार , नीतीश कुमार, रोहित वर्मा, रवि वर्मा, रौशन कुमार, विशाल कुमार, आदित्य कुमार, प्रशांत राणा, अमरजी राय, मोहन कुमार, मोहन प्रजापति, रौशन राज, सुभाष, गौरी, स्वराज, ने पूरा कार्यक्रम बखूबी सम्भाला। इस पूरे महोत्सव के निर्देशक एवं कलर व्हील सचिव श्याम कुमार सहनी ने सफल आयोजन के लिए सभी को धन्यवाद दिया।

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