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बिहार के सीतामढ़ी में बाल विवाह मुक्त गांव बना महादलित बस्ती दूबे टोल, राज्य भर में हो रही प्रशंसा

बिहार के सीतामढ़ी में बाल विवाह मुक्त गांव बना महादलित बस्ती दूबे टोल, राज्य भर में हो रही प्रशंसा

बिहार में सबसे पहले सीतामढ़ी जिला के परिहार प्रखंड में बथुआरा पंचायत की महादलित बस्ती दुबे टोल गांव को बाल विवाह मुक्त गांव का टैग दिया गया है। बाल विवाह की प्रथा को रोकने के प्रयास में राज्य सरकार द्वारा की जा रही पहल और नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित संगठन बचपन बचाओ आंदोलन, ग्राम पंचायत एवं बाल संरक्षण समिति के द्वारा तीन वर्ष तक किए गए निरंतर सार्थक पहल से महादलित बस्ती दुबे टोल गांव अब बाल विवाह मुक्त गांव बन गया है अब इस गांव में एक भी बाल विवाह नहीं होने दिया जाएगा दुबे टोल गांव बाल विवाह के खिलाफ इस अनूठी पहल से राज्य में प्रेरणा स्रोत गांव बना है बथुआरा पंचायत के मुखिया धनेश्वर पासवान ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के जन्मदिन सुरक्षित बचपन दिवस पर आयोजित बाल विवाह मुक्त दूबे टोल गांव घोंसना सह माझी महोत्सव कार्यक्रम में इसकी घोषणा की है। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने बाल विवाह पर नाटक और नृत्य प्रस्तुत किया और बाल विवाह से होने वाली समस्याओं पर नृत्य के मध्यम से संदेश दिया। बचपन बचाओ आंदोलन के केन्द्रीय प्रतिनिधि राकेश कुमार ने ग्रामीणों को बधाई देते हुए सार्थक प्रयास की प्रशंसा की वही बाल संरक्षण समिति के सदस्य चंदन मांझी ने कहा कि यह हम सभी के सार्थक प्रयास की जीत है। कार्यक्रम में बाल विवाह के खिलाफ उत्कृष्ट कार्य करने को लेकर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम का मंच संचालन बचपन बचाओ आंदोलन के मुकुंद कुमार चौधरी ने किया , बाल विवाह के खिलाफ इस अनूठी पहल की प्रशंसा राज्य भर में हो रही है।

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