मिथिलावादी पार्टी का अधिवेशन सम्पन्न , मिथिला को राजनीतिक रूप से सशक्त करने की बात पर लड़ी जाएगी आगामी चुनाव।
आगामी चुनावों में मजबूती लड़ेगी चुनाव मिथिलावादी पार्टी : अविनाश भारद्वाज।
लेबर जोन बंनाने वाली पार्टी का होगा बहिष्कार , मिथिलावादी उम्मीदवार चुनेगी मिथिला की जनता : अविनाश भारद्वाज ।
मिथिलावादी पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन , राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश भारद्वाज के नेतृत्व में दरभंगा शहर स्थित बहुउद्देश्यीय भवन में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश भारद्वाज , उपाध्यक्ष श्री दिलीफ़ सिंह , रजनीश प्रियदर्शी , विद्या भूषण राय , गुलफाम रहमानी , बालकृष्ण मिश्रा , सुदर्शन झा ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम का मंच संचालन गोपाल चौधरी एवं विकास पाठक ने संयुक्त रूप से किया।
प्रथम अधिवेशन को पार्टी के विभिन्न पदाधिकारी ने संबोधित किया। सबों ने एक स्वर , एक आवाज में राजनीतिक विकल्प के रूप में मिथिलावादी पार्टी को स्थापित करने की बात कही। वहीं संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अविनाश भारद्वाज ने कहा कि : मिथिला का विकाश सिर्फ और सिर्फ मिथिलावादी पार्टी ही कर सकती है, क्षेत्रीय समस्या का सामाधान करने के लिए क्षेत्रिय पार्टी की आवश्यकता है और वो है मिथिलावादी पार्टी । यहां के युवा कौशलयुक्त श्रेष्ठ उद्यमी हैं, परंतु जितनी भी संभावनाएं थीं उसे इन अविकसित सोच के पटना व दिल्ली बैठे निरकुंश नेताओ ने नष्ट करने का काम किया है। जन-जन से सरोकार रखने वाले युवा अब आगामी चुनाव में जाकर मिथिला के मुद्दों को मुखर होकर रखने का काम करेंगे।आगामी दिन में पार्टी पंचायत से लेकर मिथिला के प्रत्येक जिला में पार्टी विस्तार करेगी ।
मिथिला में केंद्र सरकार के सभी योजनाओं को यहाँ के सांसद के अकर्मण्यता के कारण लटकी – अटकी हैं। यह उनके कार्य करने की मिथिला विरोधी एवं अविकसित मानिसकता को दर्शाता हैं। यह मिथिला को पलायन बेरोजगारी कुव्यवस्था में धकेलने हेतु जयचंद की भूमिका निभा रही है। दरभंगा एम्स जैसे लोक-कल्याणकारी योजाना इन्ही के कारण धरातल पर क्रियान्वयन से कोसों दूर है। मिथिला के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, शैक्षणिक, साहित्यिक और भाषा के क्षेत्र में समग्र विकास के लिए , मिथिला सूखा और बाढ़ का निरंतर शिकार होता आ रहा है । जहां एक और खेती चौपट हो गई है, वहीं मिथिला के मजदूर पलायन करने को विवश हो रहे हैं। चीनी मिल, पेपर मिल, जूट मिल व अन्य उद्योग – धंधे आदि यहां कबाड़ का ढेर मात्र बने हुए हैं। कृषि , उद्योग-धंधा , पर्यटन , शिक्षा एवं संस्कृति के विकास से ही इस क्षेत्र की दुर्दशा तथा बेरोजगारी का अंत हो सकता है। संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित विश्व की सबसे मधुर एकमात्र भाषा मैथिली को राज-काज की भाषा , प्राथमिक शिक्षा में अनिवार्यता । भौगौलिक , आर्थिक , ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से मिथिला के पास एक राज्य की सारी योग्यताएं हैं ।
पार्टी के मुख्य एजेंडा में मिथिला राज्य एवं मिथिला का राजनीतिक शशक्तिकरण हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के क्षेत्र में पूरे देश भर के सबसे पिछड़े इलाकों से आने वाला यह क्षेत्र अपनी अस्मिता के लिए आजादी के दशकों- दशक बीत जाने के बाद भी संघर्षरत है। निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इसका अंतिम स्वरूप मिथिला राज्य के निर्माण से ही संभव है एवं इस हेतु पटना से लेकर दिल्ली तक हमारा चरणबद्ध आंदोलन चलता आ रहा है।
अधिवेशन को पार्टी के कोषाध्यक्ष सागर नवदिया , रजनीश प्रियदर्शी , विद्या भूषण राय , गोपाल चौधरी , शिवेंद्र वत्स , संजय झा , गुलफाम रहमानी , मनीष पांडे, भगवान राय, अमन सक्सेना , संतोष सिंह, रोहित मिश्रा , अभिषेक झा , राघव झा इत्यादि ने संबोधित किया