डी.एम. की अध्यक्षता में हुई मस्तिष्क ज्वर के रोकथाम को लेकर बैठक
‘‘चमकी को धमकी’’ का माईकिंग के माध्यम से प्रचार-प्रसार कराने के दिए निर्देश
बी.डी.ओ./एम.आई.ओ.सी. जिंगल के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार करावें : डीएम
जिलाधिकारी, दरभंगा राजीव रौशन की अध्यक्षता में दरभंगा, समाहरणालय परिसर अवस्थित बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर सभागार में मस्तिष्क ज्वार के रोकथाम के लिए जिला स्तरीय पदाधिकारी, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी एवं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के साथ समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गई।
बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि गर्मी और उमस के बढ़ते ही बच्चों में एम्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बीमारी का खतरा बढ़ने लगता है।
उन्होंने जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (समेकित बाल विकास परियोजना) डॉ. रश्मि वर्मा को निर्देश दिये कि आँगनवाड़ी केन्द्रों के पोषण क्षेत्र में सभी बच्चों को खीर आदि बनाकर सेविका/सहायिका के माध्यम से सुलभ कराना सुनिश्चित करें।
उन्होंने जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (शिक्षा) को निर्देश दिया कि विद्यालयों में भी एम.डी.एम. के माध्यम से सभी बच्चों को गुणवर्त्तायुक्त भोजन उपलब्ध करावें।
उन्होंने जिलावासियों से अपील किया कि वे कोशिश करें छोटे-छोटे बच्चे पूर्वाह्न 09ः00 बजे से 10ः00 बजे के बाद अनावश्यक कार्य से घर से बाहर नहीं निकले, अधिक से अधिक पानी का प्रयोग करें, ताकि शरीर में पानी की कमी नहीं हो।
उन्होंने संबंधित पदाधिकारियों को आँगनवाड़ी केन्द्रों/विद्यालयों में ओ.आर.एस. घोल सुलभ कराने का निर्देश दिया।
वरीय पुलिस अधीक्षक ने कहा कि थाना प्रभारी, जन प्रतिनिधियों आदि से भी मस्तिष्क ज्वार के रोकथाम के लिए आवश्यक सहायता लें। माईकिंग के माध्यम से इसका प्रचार-प्रसार करावें, ओ.आर.एस. घोल पर्याप्त मात्रा में वांछित लोगों तक पहुँचावें।
जिलाधिकारी ने प्रखण्ड विकास पदाधिकारी एवं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को अपने गाड़ी में जिंगल के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार कराने का निर्देश दिया।
उन्होंने जिलावासियों से अपील किया कि वे अपने छोटे बच्चों को रात में बिना खाना खाए सोने नहीं दे। उन्होंने कहा कि मस्तिष्क ज्वार बीमारी (चमकी को चमकी) का जागरूकता ही बचाव है।
चमकी को धमकी के अन्तर्गत *पहली धमकी (खिलाओ)* – बच्चे को रात में सोने से पहले भरपेट खाना जरूर खिलाएँ और उस भोजन में पीठा पदार्थ भी शामिल करें, *दूसरी धमकी (जगाओ)* – रात में एवं सुबह उठते ही देखें कि कहीं बच्चा बेहोश या उसे चमकी तो नहीं तथा *तीसरा धमकी (अस्पताल ले जाओ)* – बेहोशी या चमकी दिखते ही तुरंत आशा को सूचित कर नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाए।
*मस्तिष्क ज्वर के लक्षण -*
01. सरदर्द, तेज बुखार आना, जो 5-7 दिनों से ज्यादा का ना हो।
02. अर्द्ध चेतना एवं मरीज में पहचाने की क्षमता नहीं होना/भ्रम की स्थिति में होना/बच्चे का बेहोश हो जाना।
03. शरीर में चकमी होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना।
04. पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मारना या हाथ पैर का अकड़ जाना।
05. बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक नहीं होना।
उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखने पर अविलम्ब अपने गाँव की आशा/ए.एन.एम. दीदी से सम्पर्क कर अपने सबसे निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर चिकित्सीय परामर्श लें। इसके उपरान्त ही सदर अस्पताल/मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बच्चों को इलाज हेतु ले जायें।
*सामान्य उपचार एवं सावधानियाँ* -*सिविल सर्जन दरभंगा ने बताया कि
01. अपने बच्चों को तेज धूप से बचाएँ।
02. अपने बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएँ।
03. गर्मी के दिनों में बच्चों को ओ.आर.ए. अथवा नींबू-पानी-चीनी का घोल पिलाएँ।
04. रात में बच्चों को भरपेट खाना खिलाकर ही सुलाएं
*ध्यान देने वाली बातें -*
*क्या करें*
01. तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें एवं पंखा से हवा करें, ताकि बुखार 100 डिग्री से कम हो सके।
02. पारासिटामोल की गोली/सीरप मरीज को चिकित्सीय सलाह पर दें।
03. यदि बच्चा बेहोश नहीं है तब साफ एवं पीने योग्य पानी में ओ.आर.एस. का घोल बनाकर पिलायें।
04. बेहोशी/मिर्गी की अवस्था में बच्चे को छायादार एवं हवादार स्थान पर लिटाएँ।
05. चमकी आने पर, मरीज को बाएँ एवं दाएँ करवट में लिटाकर ले जाएं।
06. बच्चे के शरीर से कपड़े हटा लें एवं गर्दन सीधा रखें।
07. अगर मुँह से लार या झाग निकल रहा हो तो साफ कपड़े से पोछें, जिससे कि सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो।
08. तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आँखों को पट्टी या कपड़े से ढ़ँके।
*क्या न करें*
01. बच्चे को कम्बल या गर्म कपड़ों में न लपेटें।
02. बच्चे की नाक बंद नहीं करें।
03. बेहोशी/मिर्गी की अवस्था में बच्चे के मुँह से कुछ भी न दें।
04. बच्चे का गर्दन झुका हुआ नहीं रखें।
05. चूंकि यह दैविक प्रकोप नहीं है, बल्कि अत्यधिक गर्मी एवं नमी के कारण होने वाली बीमारी है। अतः बच्चे के ईलाज में ओझा गुणी में समय नष्ट न करें।
06. मरीज के विस्तर पर ना बैठें तथा मरीज को बिना वजह तंज न करें।
07. ध्यान रहें की मरीज के पास शोर न हो और शांत वातावरण बनाये रखें।
बैठक में अपर जिला दण्डाधिकारी (विधि-व्यवस्था) राकेश रंजन, सिविल सर्जन डॉ. अनिल कुमार, उप निदेशक, जन सम्पर्क सत्येन्द्र प्रसाद, डी.आई.ओ., डी.पी.ओ. (आई.सी.डी.एस), यूनिसेफ के प्रतिनिधि, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी एवं अन्य संबंधित पदाधिकारीगण उपस्थित थे।