टीबी के एमडीआर मरीजों को बेडाकुलीन दवा देगी नयी जिंदगी
टीबीडीसी सभागार में न्यूपीएमडीटी गाईड लाइन- 2019 के तहत दिया गया प्रशिक्षण
दरभंगा. जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय परिसर स्थित टीबीडीसी सभागार में 15 जिला में पदस्थापित सभी वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक, वरीय यक्ष्मा प्रयोगशाला एवं डॉटस प्लस सुपरवाइजर को

न्यू पीएमडीटी गाईड लाइन 2019 के तहत प्रशिक्षण दिया गया. जिला यक्ष्मा प्रतिरक्षण एवं प्रदर्शन केन्द्र डॉ रामचन्द्र साफी के नेतृत्व में प्रशिक्षकों ने यह प्रशिक्षण दिया. इस दौरान प्रशिक्षुओं को टीबी बिमारी के लक्षण, उसको पहचनाने, व उसके उपचार में हुये बदलाव के बारे में विस्तार से बताया. कहा कि समस्त टीबी रोगियों को संभावित गंभीर क्षय रोगी मानते हुये युनिवर्सल डीएसटी के तहत डीएसटी जांच कराना जरूरी है. एमडीआर टीबी (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस) के मरीजों को इसी साल से नया इलाज मिलेगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से प्रोग्रामेटिक मैनेजमेंट ऑफ ड्रग रेजिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस (पीएमडीटी-2019) को मंजूरी मिल गई है. उसके बाद मरीजों को इंजेक्शन से छुटकारा मिल जाएगा. इलाज की अवधि 18 से 20 माह हो जाएगी. बताया गया कि एमडीआर के व्यस्क मरीजों को बेडाकुलीन दवा दी जायेगी. यह दवा सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में दी जायेगी. विदित हो कि इस दवा की कीमत करीब नौ लाख रूपये है. जो नीजी क्लीनिकों में उपलब्ध नहीं है. मरीजों को यह दवा टीबी के एमडीआर मरीजों को शुरू में रोज और उसके बाद छह माह तक एक- एक दिन छोड़कर यह दवा खिलाई जाएगी. इस दवा के सेवन से साढ़े पांच महीने में मरीज को क्षय रोग से निजात मिल जाएगी. बताया कि अभी एमडीआर टीबी के रोगियों का इलाज पीएमडीटी -2015 के आधार पर चल रही है. एक तो इलाज की अवधि 24 से 30 माह होती थी. मरीजों को छह से नौ माह तक दर्द भरे इंजेक्शन लगवाने पड़ते थे. इस वजह से पीड़ित बीच में ही इलाज छोड़ देते थे, इस कारण उनके संक्रमण से मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. नयी उपचार पद्धति 18 से 20 माह में ही पूरा हो जाएगा. प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर प्रशिक्षक डॉ अमिताभ कुमार सिन्हा, डॉ कुमार गौरव, डॉ अमित आनंद ने प्रशिक्षित किया.
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