• जिले को फाइलेरिया मुक्त करने के लिए जीविका दीदियों ने संभाला मोर्चा, • लोगों को जागरूक कर मुफ्त में बांट रही हैं फाइलेरिया रोधी दवा

जिले को फाइलेरिया मुक्त करने के लिए जीविका दीदियों ने संभाला मोर्चा,

लोगों को जागरूक कर मुफ्त में बांट रही हैं फाइलेरिया रोधी दवा

सामूहिक भागीदारी से जड़ से खत्म होगा फाइलेरिया : सघन अभियान

जीविका दीदियों ने ठाना है, फाइलेरिया मुक्त बिहार बनाना है।

दरभंगा जिले में फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी के खिलाफ एक व्यापक जनजागरण अभियान शुरू किया गया है, जिसमें जीविका दीदियों ने अहम भूमिका निभाते हुए मोर्चा संभाला है। इस अभियान के तहत, वे घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाएं बांटने के साथ-साथ उन्हें इस बीमारी के प्रति जागरूक भी कर रही हैं। जीविका डीपीएम डा० ऋचा गार्गी ने बताया 10 अगस्त से जिले में सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम की शुरुआत की गई, दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सभी को फाइलेरिया रोधी दवाएं दी जा रही हैं। इस कार्य के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों के साथ मिलकर जीविका दीदियों ने जिम्मेदारी संभाली है कि हर घर तक डीईसी और एल्बेंडाजोल की खुराक पहुंचाई जाए और लोग इसे सही तरीके से सेवन करें।

युवा पेशेवर रिंकू ने जानकारी देते हुए बताया फाइलेरिया, जिसे आमतौर पर हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है, एक लाइलाज बीमारी है जो मुख्य रूप से शरीर के लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाती है। यह बीमारी क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से फैलती है। जब यह मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो उसके शरीर में मौजूद माइक्रोफाइलेरिया परजीवी उस मच्छर में प्रवेश कर जाते हैं। फिर वही मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो वह व्यक्ति भी इस संक्रमण का शिकार हो जाता है। यह बीमारी गंभीर दिव्यांगता का कारण बन सकती है और इसका समय रहते इलाज न किया जाए, तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं।

संचार प्रबंधक राजा सागर ने कहा समाज में कई भ्रांतियां फैली हुई हैं जिनके कारण लोग दवा का सेवन करने से कतराते हैं। गांवों में कई लोग दवा खाने से मना कर देते हैं या फिर रात में खा लेंगे कहकर दवा रख लेते हैं, लेकिन बाद में सेवन नहीं करते। इस अभियान में जीविका दीदी लोगों को यह समझाने का प्रयास कर रही हैं कि फाइलेरिया की दवा का सेवन पूरी तरह से सुरक्षित है और यह बीमारी के प्रसार को रोकने में अत्यधिक प्रभावी है। दवा का सेवन करने से यदि किसी को हल्की समस्याएं होती भी हैं, तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति में माइक्रोफाइलेरिया के जीवाणु हैं और दवा उनके खिलाफ काम कर रही है। ऐसे मामलों में दवा से परहेज करने की बजाय इसे खाना जरूरी है, और यदि समस्या बढ़ती है, तो नजदीकी अस्पताल से संपर्क करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, सही खुराक और दवा सेवन के तरीकों की जानकारी दी जा रही है। डीईसी और एल्बेंडाजोल की खुराक उम्र के अनुसार निर्धारित की गई है।

दवा का सेवन स्वास्थ्य कर्मियों की मौजूदगी में ही करना अनिवार्य है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी लोग दवा का सही तरीके से सेवन कर रहे हैं। इस सामूहिक अभियान का उद्देश्य बिहार को फाइलेरिया मुक्त बनाना है। जीविका दीदियों का कहना है कि यदि इस अभियान को सफल बनाया गया और सभी लोगों ने समय पर दवा का सेवन किया, तो फाइलेरिया को जड़ से खत्म किया जा सकता है। फाइलेरिया से बचाव और इसके प्रसार को रोकने में सामूहिक भागीदारी और जागरूकता की अहम भूमिका है।

जीविका दीदियों के सहयोग से चलाए जा रहे इस अभियान में सामूहिक भागीदारी का महत्व स्पष्ट है। फाइलेरिया, जो कि विश्व की दूसरी सबसे बड़ी दिव्यांगता फैलाने वाली बीमारी है, से छुटकारा पाने के लिए यह अभियान एक महत्वपूर्ण पहल है। यदि सभी लोग इस अभियान में सक्रिय भागीदारी दिखाते हैं और दवा का सेवन करते हैं, तो दरभंगा को फाइलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम साबित होगा। फाइलेरिया जैसी बीमारी, जो लोगों की आजीविका और जीवनशैली पर गहरा प्रभाव डालती है, के उन्मूलन के लिए इस अभियान में जीविका दीदियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके अथक प्रयास और समर्पण से ही इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का सपना साकार हो सकता है।

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