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कलकत्ता और पारू(मुजफ्फरपुर) के बलात्कार और हत्या कांड के खिलाफ आइसा, ऐपवा, आरवाईए, जसम, इंसाफ मंच तथा भाकपा–माले ने सामूहिक प्रतिवाद मार्च किया 

कलकत्ता और पारू(मुजफ्फरपुर) के बलात्कार और हत्या कांड के खिलाफ आइसा, ऐपवा, आरवाईए, जसम, इंसाफ मंच तथा भाकपा–माले ने सामूहिक प्रतिवाद मार्च किया

 

दरभंगा  कलकत्ता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल, पारू मुजफ्फरपुर एवं परवतिया टोला, मधुबनी में हुए बलात्कार एवं हत्या कांड के खिलाफ आइसा, ऐपवा, आरवाईए, जन संस्कृति मंच, इंसाफ मंच एवं भाकपा–माले ने प्रतिवाद दिवस के तहत संयुक्त रूप से प्रतिवाद मार्च एवं प्रतिवाद सभा की।

 

प्रतिवाद सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले पोलित ब्यूरो सदस्य कॉ. धीरेंद्र झा ने कहा कि कलकत्ता, यूपी, दिल्ली और बिहार में महिलाओं के साथ दरिंदगी की जो घटनाएं सामने आईं हैं, उससे पूरा देश शर्मसार है। और 75 वर्षों के लोकतांत्रिक समाज निर्माण पर प्रश्न चिह्न खड़ा करता है। हर रंग के सत्ताधारी ऐसी अमानवीय घटनाओं पर रोक लगाने, ऐसी प्रवृत्तियों से दृढ़ता से लड़ने का संकल्प लेने के बदले अपने–अपने को बचाने में लगे हैं, जो और भी खतरनाक है। महिलाएं–लड़कियां घर, कार्यस्थल, स्कूल–कॉलेज में सुरक्षित नहीं हैं तो हम कैसे समाज में रह रहे हैं? हम सबलोगों को मिलकर इसका सामूहिक प्रतिवाद करना चाहिए और ऐसे तत्व देश, समाज और राष्ट्र के विरोधी हैं। इसका मिलकर मुकाबला किया जाना चाहिए। बिहार के मुजफ्फरपुर के पारू में जो घटना घटी है वो तो और भी नृशंस है लेकिन ताज्जुब की बात है कि बिहार के मुख्यमंत्री को ऐसी घटनाओं के प्रति कहीं से कोई संवेदनशीलता 15 अगस्त को भी नहीं दिखी। इसपर जरूर सोचा जाना चाहिए।

 

माले के वरिष्ठ नेता आर. के.सहनी ने कहा कि कलकत्ता या मुजफ्फरपुर में जो बलात्कार व हत्या की घटनाएं हुई, उसे सिर्फ कानून और व्यवस्था की विफलता नहीं मानना चाहिए बल्कि आज के फासीवादी शासन के दौर में जब लोकतंत्र को कुचला जा रहा है और समाज के अंदर मुट्ठी भर लोगों के हाथों में सारी संपत्ति केंद्रित हो रही है। दूसरी तरफ भयानक दरिद्रता और बेरोजगारी पैदा हो रही है। इसलिए समाज में अराजकता और असंतोष है। कुछ भी करके जिंदा रहने की प्रवृत्ति बढ़ चली है। ऐसी प्रवृत्तियों का दुष्परिणाम हैं ऐसी घटनाएं। व्यवस्थागत बदलाव के साथ सामाजिक–आर्थिक बदलाव आज का अनिवार्य कार्यभार है।

 

माले जिला सचिव बैद्यनाथ यादव ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा मनुवादी विचारधारा को प्रश्रय देने के कारण समाज में आदिम, सामंती सोच को बेहिसाब बढ़ावा मिल रहा है। दूसरी बात, तीन नए प्रशासनिक कानूनों के कारण प्रशासन को खुली छूट मिल गई है। जिससे स्त्रियों, महिलाओं के शोषण–उत्पीड़न में और इजाफा हुआ है। आज मनुवादी मानसिकता से लड़ने की जरूरत है।

 

वहीं जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रो. सुरेंद्र सुमन ने कहा कि आए दिन दरिंदगी की घटनाओं को देखकर ऐसा लगता है कि हमारे देश में गुंडे–लफंगे और बलात्कारियों की सरकार चल रही है। खासकर मोदी जी के तीसरे शासन काल में इस प्रकार की घटनाओं में इजाफा हुआ है।

 

ऐपवा जिला सचिव शनिचरी देवी ने कहा कि आज देश में एक नए जुझारू तेवर वाले प्रखर स्त्री आंदोलन की जरूरत है। उसी से स्त्री मुक्ति का सपना पूरा होगा।

जसम जिलाध्यक्ष डॉ. रामबाबू आर्य ने कहा कि पूरे देश में भाजपा प्रायोजित बलात्कार, हिंसा, लूट–पाट से दमन–शोषण का वातारण बन गया है। वास्तव में, ऐसी घटनाओं के पीछे कहीं न कहीं ब्राह्मणवादी विचारधारा होती है।

 

प्रतिवाद सभा को आरवाईए के राज्य सहसचिव संदीप कुमार चौधरी, आइसा जिला सचिव मयंक कुमार, ओणम सिंह, सबा रौशनी, मौसमी कुमारी, जुबैदा कुमारी, मधु सिन्हा, शम्स तबरेज, माले नेता अभिषेक कुमार, देवेंद्र साह, भोला पासवान, एहसान, प्रिंस कर्ण, राजेश राम, उमेश साह, मिथिलेश कुमार, दीपक कुमार, अरविंद कुमार राम, सुरेंद्र राम, रविदास सेवा संघ के जिला अध्यक्ष बलराम राम, बिल्टू राम, मंजुला कुमारी, अमरजीत, योगेंद्र राम, जसम जिला सचिव समीर कुमार, प्रभात कुमार चौपाल समेत सभी संगठनों के नेताओं ने संबोधित किया।

 

कार्यक्रम का समापन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व ममता बनर्जी के पुतला दहन से हुआ।

 

इस अवसर पर बड़ी संख्या में छात्र–नौजवान, महिलाएं और स्थानीय नागरिक उपस्थित थे।

 

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