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रविंद्र नाथ सिंह उर्फ चिंटू सिंह पूर्व जिला सांसद प्रतिनिधि समस्तीपुर के नेतृत्व में सैकड़ो समर्थको के साथ दरभंगा प्रमंडल आयुक्त के समक्ष दिया धरना। 

रविंद्र नाथ सिंह उर्फ चिंटू सिंह पूर्व जिला सांसद प्रतिनिधि समस्तीपुर के नेतृत्व में सैकड़ो समर्थको के साथ दरभंगा प्रमंडल आयुक्त के समक्ष दिया धरना।

 

दरभंगा। धरना के माध्यम से मुख्यमंत्री बिहार पटना को ध्यान आकर्षित कराया गया। जिसमे सिपाही भर्ती फर्जीवाड़ा में पूर्व डीजीपी सह सिपाही

चयन पर्षद के पूर्व अध्यक्ष, संजीव सिंघल पर प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तारी सहित अन्य पांच सूत्री मांगो को धरना दिया गया। और इस धरना के माध्यम से उचित कारवाई की जा सके को लेकर आयुक्त को ज्ञापन दिया गया। दिए गए ज्ञापन में ध्यान आकृष्ट करते हुए रविंद्र कुमार सिंह और चिंटू सिंह ने कहा के जिस तरह से संजीव सिंघल

जिन्होंने बिहार के पुलिस महानिदेशक के पद पर रहते

जितनी बड़ी बड़ी गलतीया की गई है अपराधी, देशद्रोही और भ्रष्ट्र कर्मियों को बचाने की कोशिश की शायद बिहार के जितने भी डीजीपी बने है उनके कार्यकाल में कभी ऐसा न देखने ना ही कभी सुनने को मिला है।

श्री चिंटू सिंह ने बताया पुलिस मुख्यालय बिहार पटना के ज्ञापांक 1116, जो 27.5.22 के आलोक में वरीय पुलिस अधीक्षक गया के ज्ञापांक .4387 गोपनीय 28.5.2022 के निर्देशानुसार तत्कालीन वरीय पुलिस अधीक्षक, आदित्य कुमार पर गया जिला के अंतर्गत फतेहपुर थाना काण्ड संख्या 312/22 जो 28.5.22 बिहार उत्पाद अधिनियम 2018 घरा 51 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। तत्कालीन वरीय पुलिस अधीक्षक आदित्य कुमार के ऊपर दर्ज काण्ड फतेहपुर थाना काण्ड संख्या 312/22 को

पुलिस महानिदेशक बिहार पटना संजीव कुमार सिंघल के दबाब में तथ्य का भूल दिखाते हुए प्राथमिकी को रद्द करवा दिया गया था। उसका एक वजह था आदित्य कुमार वरीय पुलिस अधीक्षक के मित्र के द्वारा माननीय उच्च न्ययालय के मुख्य न्ययाधीश के नाम पर फर्जी काल बिहार के डीजीपी, संजीव कुमार सिंघल के द्वारा किया गया था। इसी आधार पर उक्त काण्ड को रफा दफा कर दिया गया। उक्त प्रकरण में यह मामला सामने तब आया था जब पुनः पटना उच्चय न्ययालय के मुख्य न्यायाधीश के नाम पर फर्जी काल कर आदित्य

कुमार को किसी जिले में पोस्टिंग करने हेतु काल किया गया और मुख्यमंत्री महोदय और कुछ मुख्यालय में पदस्थापित वरीय

पुलिस अधिकारी को जानकारी हुई तब इस मामले की जांच आर्थिक अपराध इकाई बिहार से कराई गई जो आर्थिक अपराधी इकाई पटना थाना काण्ड संख्या 33/22, 15.10.22 धारा 353/387/419/420/467/468/120 (B )66 (C) 66 (D) दर्ज की गई। पुलिस महानिदेशक संजीव कुमार सिंघल जी का एक और कारनामा सामने आया जब रोसड़ा के सफाईकर्मी रामसेवक राम के मौत के मामले में अपर पुलिस महानिदेशक कमजोर वर्ग अनिल किशोर यादव ने जांच करवाई और दोषी नगर परिषद के कर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज

कर कारवाई हेतु पुलिस अधीक्षक समस्तीपुर को पुलिस मुख्यालय अपराध अनुसन्धान विभाग कमजोर वर्ग प्रभाग के पत्र संख्या,15.16.2022/1153 22/7/22 को आदेश दिया था। इस आदेश को मिथिला रेंज के आईजी ललन मोहन प्रसाद ने दरकिनार कर दिया। जिसका नतीजा यह हुआ की आईजी के दबाब में उच्चय सेटिंग को लेकर अपर पुलिस महानिदेशक कमजोर वर्ग पटना अनिल किशोर यादव का स्थानांतरण आनन फानन में करवा दिया। अपर पुलिस महानिदेशक कमजोर विभाग के निर्देश पर 16/09/2022 को समस्तीपुर scst थाना काण्ड संख्या 72/22 दर्ज किया गया,जबकी इस काण्ड में समस्तीपुर पुलिस अधीक्षक 16.9.22 को रात्री 8:30 में रोसड़ा स्वयं पहुंचे और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के कार्यालय में पीड़ित परिवार का ब्यान दर्ज किया गया। जिसमे पीड़ित परिवार ने चार लोगो का नाम बताया बाद में पता चला अज्ञात पर प्राथमिकी दर्ज कर दी गई है मुख्य अभियुक्तों को बचाने के लिए यह सब खेल खेला गया।

जबकी अनिल किशोर यादव, नैय्यर हसनैन खान, शुशील कुमार, मानवजित सिंह जैसे

इमानदार आईपीएस के वजह से पुलिस की छवि अब भी बची हुई है। जब तक बिहार में ऐसे पुलिस अधिकारी है बिहार पुलिस की

छवि को कोई धूमिल नहीं कर सकता है। और निश्चित रूप से आगे भी भ्रष्ट्र कर्मियों पदाधिकारीयों पर कारवाई होती रहेगी। मुंगेर जिला के अंतर्गत 22 AK 47 की बरामदगी हुई थी जिसमे 7 केशो के अनुसंधानकर्ता मुंगेर के तत्कालीन एएसपी के द्वारा 4 केशो में AK 47 जैसे प्रतिबंधित हथियार के मुख्य आरोपी को 167 (2) द०प्र०स० का लाभ दिया गया। जिससे मुख्य

कारोबारी को शेषन न्ययालय से जमानत दे दी गई। मुंगेर मुफस्सिल थाना काण्ड संख्या – 334 / 18 मुंगेर मुफ्सिल्ल थाना काण्ड संख्या – 352/18,मुंगेर मुफ्सिल्ल थाना काण्ड संख्या – 353/18, मुंगेर मुफ्फिसिल थाना काण्ड संख्या-357/18

167(2 ) द ०प्र०स० का लाभ देना पुलिस में अत्यधिक गंभीर अपराध माना जाता है। इसमें 90 दिन के अन्दर अगर आरोपी

पर चार्जशीट नहीं दिया जाय तो 91 वे दिन अपराधी जेल से जमानत पर आ जाता है। ऐसे मामले में अनुसंधानकर्ता को

तुरंत निलंबित करते हुए विभागीय कारवाई चलाई जाती है। जबकी प्रतिबंधित हथियार AK47 जैसे हथियार मामले में एक लिपि सिंह पुलिस अधीक्षक को छोड़कर अन्य पुलिस

अधीक्षक और पुलिस उप महानिरीक्षक के द्वारा विभिन्न पत्रांक विभिन्न दिनांक को पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखकर

तत्कालीन एएसपी पर कारवाई करने के लिए अनुशंषा की गई

एसपी श्री गौरव मंगला ज्ञापांक- 6142 / गो, 14.09.2019 डीआईजी श्री मनु महराज ज्ञापांक- 3718 / गो. 15.09.2019 डीआईजी, मनु महराज, डीआईजी, मनु महराज, डीआईजी, मनु महराज, डीआईजी, मनु महराज, डीआईजी, शाफिउल हक ज्ञापांक- 3913/ गो० दिनांक 10-10-2019

ज्ञापांक- 1134 / गो 31.05.2020 ज्ञापांक- 1292 / गो ०दिनांक 2.07.2020 ज्ञापांक- 1651 / गो ०दिनांक 22.09.20 20

ज्ञापांक- 825 / गो० दिनांक 18.06.2021 आश्चर्य की बात यह है के पुलिस मुख्यालय को इतने गंभीर मामले में एएसपी पर कारवाई करने को लेकर पत्र के माध्यम से अवगत करवाया गया। लेकिन तत्कालीन डीजीपी, संजीव सिंघल इस जघन्य मामले में कारवाई के बदले उन्हें आईपीएस में प्रोन्नति दे दिया।

यह बिहार के कानून व्यवस्था पर बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है क्या रक्षक ही भ्रष्ट्राचार और अनैतिक रूप से कमाई के चक्कर में माफिया अपराधी देशद्रोही को संरक्षण देते है।

जिन अधिकारियों ने पुलिस मुख्यालय को एएसपी के विरुद्ध पत्र लिखा उनका या तो स्थांतरण करवा दिया गया या उन्हें

राजनीति पहुंच एवं साजिश के तहत फसाकर ट्रांसफर करवा दिया गया? ऐसे जघन्य मामले में एक डीजीपी के द्वारा भ्रष्ट्र पुलिस कर्मियों बचाया जाना अपराध और भ्रष्ट्राचार के श्रेणी में आता है। इस परिस्थिति में आम जनता न्याय के प्रति जागरूक होने के नाते ऐसे कर्मियों, अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्जकर

गिरफ्तारी की मांग रखने का वाजिब अधिकार है। अपने समाज और राज्य की रक्षा हेतु

अभी बिहार सिपाही भर्ती में प्रश्नपत्र लिक हुआ। जिसमे बिना जाँच करवाए ही पूर्व पुलिस महानिदेशक बिहार केन्द्रीय

सिपाही चयन पर्षद के अध्यक्ष, संजीव कुमार सिंघल द्वारा कुछ न्यूज चैनलों पर ब्यान दिया गया की कोई पेपर लिक नहीं हुआ है।

जबकी मुख्यमंत्री के निर्देश पर आर्थिक अपराध इकाई से जांच करवाई गई तो प्रशन पत्र लिक का मामला दर्ज करवाया गया। आर्थिक अपराध इकाई ने विभिन्न काण्ड दर्ज किए गए।

जबकी सिपाही भर्ती मामले में मुख्य जिम्मेवार कोई होते है तो वह अध्यक्ष और अध्यक्ष, संजीव सिंघल जी पूर्व डीजीपी का यह

ब्यान आना की कोई प्रश्नपत्र लिक नहीं हुआ है, और आर्थिक अपराध इकाई के दुआरा अपने जांच में पूर्व डीजीपी तत्कालीन अध्यक्ष सिपाही चयन पर्षद संजीव सिंघल जी पर कारवाई की अनुशंषा की जानकारी विभिन्न अखबार और न्यूज चैनलों से प्राप्त हुई लेकिन

अभी तक इनपर प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है। रोसरा थाना काण्ड संख्या 439/23 माननीय उच्य न्ययालय के आदेश पर काण्ड दर्ज किया गया जबकी यह काण्ड वर्ष 2019 का था

और महिला थाना बेगुसराय के द्वारा डीआर न 050 19 25/09/2019 के माध्यम से पीड़ित का फरद ब्यान दर्ज कर रोसरा थाना में प्राथमिकी दर्ज करने हेतु अग्रसारित कर दिया था। लेकिन रोसरा थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष अभियुक्त और दलाल के प्रभाव में आकर रिश्वत लेकर प्राथमिकी दर्ज नहीं कर साक्ष्य को मिटा दिया जाता है। जिसके विरुद्ध पीड़ित लड़की के पिता उच्चय न्ययालय CRWJC – 434 / 2021 में पुलिस अधीक्षक समस्तीपुर को नोटिश किया गया तब रोसरा थाना कांड संख्या 439/23 दर्ज

की गई, तत्कालीन थानाध्यक्ष के विरुद्ध स्पष्टीकरण की मांग पुलिस अधीक्षक समस्तीपुर से की गयी जिसका ज्ञापांक 354 विधि कोषांग 21.07.2023 है, फिरभी ऐसे भ्रष्ट्र पुलिस निरीक्षक को विभाग के अधिकारी बचा रहे है क्योंकि इससे पूर्व दरभंगा के पूर्व आईजी ललन मोहन प्रसाद

का संरक्षण प्राप्त था, आखिर साक्ष्य मिटाने वाले फब्यान गायब करने वाले रोसेरा के तत्कालीन थानाध्यक्ष पर कब प्राथमिकी दर्ज होगी और विभागीय कारवाई | हायाघाट थाना काण्ड संख्या 80/24 में झूठा हत्या का मुकदमा करवाया गया अभी तक यह काण्ड लंबित है, क्यों नहीं

झूठा प्राथमिकी दर्ज करवाने वाले के ऊपर धारा 182/211 की कारवाई की गयी जबकी जिन लोगो पर झूठी प्राथमिकी

दर्ज करवाया गया है वह कई काण्ड के गवाह है गवाह को सुरक्षा देने के बदले उस पर झूठा प्राथमिकी दर्ज किया जाता है

अब इस परिस्थिति में कैसे अपराधियों को सजा मिल पायेगा क्यों नहीं गवाह सुरक्षा अधिनियम के तहत गवाहों को सुरक्षा दी जाती है। सिंघिया थाना कांड संख्या 80/24 में पुलिस की बर्बरता सामने आई सिंघिया थाना और रोसेरा जेलर के वजह से मोनू सिंह की मृत्यु हुई और आज तक इस काण्ड का निष्पक्ष जांच नहीं हुआ जबकि सिंघिया थाना का सीसीटीवी फूटेज और मोबाइल का सीडीआर निकालने

कर दोषी पर कारवाई हो सकती थी। समस्तीपुर जिले के शिवाजीनगर अंचल के करियन मौजा में कर्मचारी राकेश रौशन अवैध रूप से दलालों को रखकर

कर्मचारी पैसा लेकर गलत तरीके से दाखिल खारिज करते है जिसके मोबाइल का सीडीआर से स्पष्ट हो जाएगा। दाखिल खारिज वाद संख्या 1271/23/24) (2632/23/24) (2786/23/24) अंचलाधिकारी सह अंचल कार्यालय के द्वारा तिन बार अस्वीकृत कर दिया गया कर्मचारी के रिपोर्ट पर फिर मोटी रकम लेकर वही खाता खेसडा रकवा बाद संख्या बदलकर जिसका बाद संख्या (180/24/25 ) धनिक साह के नाम से स्वकृत कर दिया है। बाद संख्या 1353 /23/24 (2633

/23/24) (2794/23/24) ये भी तिन बार अस्वीकृत कर दिया अंचलाधिकारी और कर्मचारी के दुआरा फिर वाद संख्या 181 /24/25 में इसे स्वीकृत कर दिया गया है। जानकारी मिली है की डीड का नंबर एडिट करके ये लोग मोटी रकम लेकर फर्जी तरीके से दाखिल खारिज कर देता है। जिसमे आधा पैसा अंचलाधिकारी को ये लोग देते है। उक्त सभी मामले की गंभीरता को देखते हुए दोषी अधिकारियो पर कारवाई करने को लेकर बिहार सरकार को ध्यान आकृष्ट कराते हुए कारवाई की मांग रखता हू। धरना कार्यकर्म में मुख्य रूप से दरभंगा समस्तीपुर मधुबनी के युवा शामिल हुए जिसमे राजू सिंह चौहान, लालू यादव, नितीश यादव,प्रकाश सिंह, आशिश रंजन उर्फ़ बिपि सिंह, मनीष सिंह, अनिश राय, प्रकास लाल देव, नारायण साह, मुन्ना कुमार यादव, ऋतिक

कुमर सिंह, सुरेश साह, संजीव कुमार राम, दीपक स्टार, जगदीश राय, प्रिंस कुमार, शिवम कुमार, मदन चौधरी, चुनचुन राय, विजय कुमार साहू, मोहमद दुलारे, धर्मवीर कुमार यादव, रोहित कमती, विम्लेस कुमार यादव, बिनोद सिंह, लालबाबू साहू, मुकेश कुमार शर्मा

, विपुल कुमार राय, अवधेश पटवा, अमित कुमार महता, मोहन यादव, भोला सिंह, राम भरोष पासवान धर्मेन्द्र यादव, रौशन कुमार, रविशंकर सिंह, सुधांशु लालदेव, अभिषेक झा चन्दन सिंह, सहित सैकरो लोगो ने धरना को संबोधित किया।

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