मिथिला विभूति पर्व के 52वें समारोह को भव्य बनाने की तैयारी
मिथिला विभूति पर्व समारोह मिथिला की साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक अस्मिता के उत्कर्ष का जीवंत प्रतीक है और इस समारोह में मिथिला मैथिली के विकास के लिए सभी को दल, जाति, वर्ग और समुदाय के लोगो को एक मंच पर लाकर मिथिला मैथिली के सर्वांगीण विकास का ब्लूप्रिंट तैयार करने का प्रयास किया जाता रहा है। यह बात विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने रविवार को आयोजित प्रेस वार्ता में कहा। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संरक्षण एवं संवर्धन के लिए उपयुक्त माहौल तैयार करने के साथ ही मिथिला की गौरवशाली विरासत से नई पीढ़ी को रूबरू कराने के उद्देश्य से इस वर्ष भी मिथिला पेंटिंग व व्यंजन प्रदर्शनी के साथ ही साहित्य अकादमी, दिल्ली व मैथिली अकादमी, पटना के सौजन्य से आकर्षक पुस्तक मेला का आयोजन तीनों दिन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस सांस्कृतिक महाकुंभ में स्वत: स्फूर्त भाव से आम मिथिला वासी और देश-विदेश में रहने वाले प्रवासी व अप्रवासी मैथिलों के संग अनेक साहित्यकार, गीतकार, शिक्षाविद, राजनेता, गायक और गायिका सहित संस्कृति कर्मी द्वारा एक मंच पर आकर अपनी गौरवशाली संस्कृति को जीवंत बनाने के लिए एकजुटता का प्रदर्शन करना न सिर्फ काबिले तारीफ है बल्कि आने वाले पीढ़ी में अपनी संस्कृति और संस्कार के प्रति जागरूकता पैदा करने में सफल है।
डा बैजू ने कहा कि कवि कोकिल विद्यापति के निर्वाण दिवस पर विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान आगामी 13, 14 एवं 15 नवम्बर को होने वाले तीन दिवसीय मिथिला विभूति पर्व के 52वें समारोह की विधिवत शुरुआत 13 नवम्बर को प्रातः बेला में विद्यापति चौक स्थित महाकवि विद्यापति की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ होगा। इसके उपरांत मिथिला के पारंपरिक परिधान में शोभायात्रा निकाली जाएगी। कवि कोकिल विद्यापति के महानिर्वाण दिवस पर दरभंगा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा एम्स की आधारशिला रखे जाने का स्वागत करते हुए उन्होंने मिथिला में पर्यटन के विकास सहित मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने में राज्य सभा सांसद संजय झा के प्रयासों की सराहना की।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष सह आयोजन की सांस्कृतिक एवं सलाहकार समिति के अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने बताया कि तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन पूर्व की भांति एमएलएसएम काॅलेज परिसर में किया जायेगा। इस ऐतिहासिक आयोजन में नई पीढ़ी के कलाकारों एवं कवियों को अधिक अवसर प्रदान किए जाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। समारोह के पहले एवं तीसरे दिन रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया जाएगा। जबकि कवि सम्मेलन एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी अनेक मायने में उपलब्धि पूर्ण होगा।
संगोष्ठी प्रभारी मणिकांत झा ने बताया कि दूसरे दिन पूर्वाह्न वेला में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में ‘मिथिलाक गाम’ विषय पर करीब चार दर्जन से अधिक प्रतिभागी मिथिला के गांव की ऐतिहासिक, भौगोलिक, सामाजिक, साहित्यिक एवं आर्थिक यथा स्थितियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। जबकि इन आलेखों को पुस्तकाकार में संग्रहित कर प्रकाशित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में मिथिला के गांवों के बारे में विस्तृत जानकारी होगी। जो मिथिला के विभिन्न गांवों पर केंद्रित अमूल्य साहित्यिक दस्तावेज होगा।
संस्थान के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने बताया कि इस समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ साहित्यिक आयोजन पर भी रहेगा विशेष जोर रहेगा। समारोह के दूसरे दिन के कार्यक्रम के दौरान विद्यापति सेवा संस्थान की मुख्य पत्रिका ‘अर्पण’ के साथ संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित वरिष्ठ साहित्यकार डा महेंद्र नारायण राम एवं प्रवीण कुमार झा की लिखी पुस्तक ‘मिथिलाक संघर्ष दूत डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू’, मैथिली पुत्र प्रदीप की कालजयी रचनाओं के संग्रह सहित 1990 में संस्थान द्वारा प्रकाशित गजल संग्रह ‘लोकवेद आ लालकिला’ के नये तेवर एवं कलेवर में प्रकाशित दूसरे संस्करण का लोकार्पण किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि दूसरे दिन संध्या वेला में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार लेखक रमेश के संयोजन में आयोजित होने वाले कवि सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से आए चार दर्जन से अधिक कवि एवं कवयित्री अपनी रचनाओं का पाठ करेंगे। इसमें भाग लेने वाले कवियों में उदय चंद्र झा विनोद, बुद्धिनाथ झा, ताराचंद वियोगी, डा जयप्रकाश चौधरी जनक, अर्जुन कविराज, डा अशोक कुमार मेहता, डा चंद्रमणि, वैद्यनाथ मिश्र विमल, फूलचंद झा प्रवीण, सतीश साजन, रामकुमार झा, मणिकांत झा, रामसेवक ठाकुर, अजित आजाद, आनंद मोहन झा, सदरे आलम गौहर, रघुनाथ मुखिया, आभा झा, सोनी चौधरी, मालती मिश्र , रूपम झा, निक्की प्रियदर्शिनी आदि ने अपने आगमन की स्वीकृति दे दी है।
*मैथिली ठाकुर व शंभु शिखर सहित दो दर्जन से अधिक लोगों को मिलेगा मिलेगा मिथिला विभूति सम्मान*
मिथिला विभूति सम्मान के लिए संस्थान द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी के निर्णय की जानकारी देते हुए सम्मान समिति के संयोजक पं कमलाकर झा ने बताया कि संस्कृत साहित्य, मैथिली साहित्य, समाज सेवा, चिकित्सा, लोक गायन, शास्त्रीय गायन, लोक कला एवं शिक्षण आदि क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिए डा अर्कनाथ चौधरी, डा हीरा नाथ झा, राइजिंग स्टार मैथिली ठाकुर, अंतरराष्ट्रीय कवि शंभु शिखर, केदारनाथ कुमर, भोलेनाथ प्रसाद, डा नागेंद्र यादव, डा गगन कुमार गिरि, अनिल झा, कमल मोहन चुन्नू, योगाचार्य रवि व्योम शंकर झा, डा विष्णु कांत मिश्र, अवधेश कुमार कर्ण, पंडित राणा झा, नेवी लाल राय, शीला कुमारी, डा शिवशंकर कुमार डा जितेंद्र ठाकुर, डा सौरभ शर्मा, प्रो अजीत कुमार चौधरी, डा नरेंद्र नाथ झा, जटाधार पासवान, डा केश्वर ठाकुर आदि सहित दो दर्जन से अधिक विशिष्ट लोगों को मिथिला विभूति सम्मान से अलंकृत किया जाएगा। इसके अतिरिक्त मातृभाषा मैथिली में पद एवं गोपनीयता की शपथ लेने वाले बिहार सरकार के काबीना मंत्री हरि सहनी एवं नीतीश मिश्रा, राज्यसभा सांसद संजय झा, डा धर्मशीला गुप्ता, मनोज झा, लोकसभा सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, लवली आनंद आदि को भी मिथिला विभूति सम्मान प्रदान किया जाएगा