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बोधगया मंदिर अधिनियम 1949 को निरस्त करने की मांग का उपेंद्र कुशवाहा ने समर्थन किया।  

 

बोधगया मंदिर अधिनियम 1949 को निरस्त करने की मांग का उपेंद्र कुशवाहा ने समर्थन किया।

 

पटना  • राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा में भाग लेने के दौरान विगत कुछ वर्षों से बोधगया में बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा चलाए जा रहे बोधगया मंदिर अधिनियम को निरस्त करने की मांग का समर्थन किया। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया की पूरे विश्व में तथागत गौतम बुद्ध से ही भारत की पहचान है और भारत में बुद्ध का एकमात्र मंदिर बोधगया में है इस मंदिर का प्रबंधन पूरी तरह से बौद्ध भिक्षुओं के हाथों में सौंप दिया जाए ऐसा करने से किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

पार्टी के प्रदेश महासचिव प्रवक्ता इंजीनियर हेमंत कुमार ने जानकारी दी कि विगत कुछ वर्षों से बोधगया में महाबोधि मंदिर पर नियंत्रण को लेकर बौद्ध भिक्षुओं द्वारा आंदोलन चल रहा है, जिसमें उनकी मुख्य मांगें हैं कि “बोधगया टेंपल एक्ट 1949 खत्म हो” और ” बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति के सभी सदस्य बौद्ध हों”।

हेमन्त ने कहा कि महाबोधि मंदिर एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जहाँ गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्त हुई थी, आजादी के बाद सरकार द्वारा प्रबंधन समिति गठित किया गया था जिसके अनुसार चार सदस्य बौद्ध धर्म के और चार सदस्य हिंदू धर्म के होंगे साथ ही साथ वहां के जिला अधिकारी अगर हिंदू हो तो वह पदेन अध्यक्ष होगे, बाद में इसमें संशोधन कर जिला अधिकारी किसी भी धर्म से हो वह उसके अध्यक्ष रहेंगे किया गया। बौद्ध भिक्षुओं की मांग है कि मंदिर का प्रबंध समिति के सभी सदस्य बौद्ध धर्म के ही हो।

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