कोरोजन रेसिस्टेन्ट एवं डिजास्टर रेजिलिएन्ट पुल का निर्माण हो:डा सुनील
मधुबनी जिला के खिरहर गाँव निवासी एवं पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता डा सुनील कुमार चौधरी ने हैदराबाद में आयोजित “इन्टरनेशनल वर्कशाप आन लौन्ग स्पैन ब्रीज कन्सट्रक्सन ”
मे दो शोध पत्र प्रस्तुत कर बिहार के कोरोजन रेसिस्टेन्ट एवं डिजास्टर रेजिलिएन्ट पुल अभिकल्प एवं निर्माण के क्षेत्र में एक्सपर्टीज की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।इस वर्कशाप में लौंग स्पैन ब्रीज, केबलस्टेड ब्रीज एवं स्टील कम्पोजिट ब्रीज पर दो शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले डा चौधरी भारत, बिहार एवं पथ निर्माण विभाग के पहले अभियंता है । डा चौधरी के शोध पत्र का शीर्षक था- 1.डेवलपमेंट एण्ड फ्यूचर ट्रेन्ड्स आफ लौंग स्पैन कम्पोजिट स्टील कंक्रीट केबल स्टेड ब्रीज एवं 2.कम्पोजिट स्टील ब्रीज:प्रजेन्ट एण्ड फ्यूचर प्रोस्पेक्ट्स इन इण्डिया ।डा चौधरी ने बताया कि लौंग स्पैन केबल स्टेड हाई वेदरिन्ग स्टील कम्पोजिट ब्रीज कोरोजन रेसिस्टेन्ट एवं डिजास्टर रेजिलिएन्ट पुल निर्माण एवं प्रबंधन की दिशा में अभिनव एवं सस्टनेबल प्रयोग है ।उन्होने बताया कि भारत नदियों के जाल वाला देश है।बिहार की भी स्थिति कमोबेश यही है जहाँ हर साल बाढ़ का तांडव नृत्य देखने को मिलता है। भारत का 12%हिस्सा से् प्रभावित है जबकि बिहार का 73% हिस्सा।ऐसे में जरूरी है कि पुल निर्माण एवं प्रबंधन में नवाचार प्रयोग किये जाय।उन्होंनें बताया कि हर नदी पर बड़ी संख्या में पुल निर्माण हो रहे हैं जिससे वाटर वे कम हो रहा है एवं सिल्टेसन की समस्या बढती जा रही है ।लौंग स्पैन केबल स्टेडियम स्टील कम्पोजिट ब्रीज के निर्माण को बढ़ावा देने से न केवल बाढ की समस्या के न्यूनीकरण में मददगार साबित होगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण एवं आपदा रोधी समाज के निर्माण में भी कारगर साबित होगा ।हाई वेदरिन्ग स्टील का प्रयोग न केवल संरचना को कोरोजन रेसिस्टेन्ट बनाता है बल्कि सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल भी ।उन्होने कम्पोजिट ब्रीज डिजाइन एवं लौंग स्पैन ब्रीज के अर्थक्वेक रेजिलिएन्ट निर्माण एवं प्रबंधन के बारे में विस्तार से चर्चा की ।पुलों को कोरोजन रेसिस्टेन्ट बनाने की विभिन्न तरीकों पर भी प्रकाश डाला । डा चौधरी ने इस शिखर सम्मेलन में अभियंताओ् से आह्वान किया कि पुल निर्माण एवं प्रबंधन में कोरोजन रेसिस्टेन्ट, डिजास्टर रेजिलिएन्ट, सस्ते, ग्रीन एवं क्लीन टेक्नोलॉजी अपनाये , साथ ही पॉलिसी एवं गवरनेन्स में आमूल-चूल परिवर्तन लाकर लागू करने की हिम्मत दिखाये। इसके लिए समाज में लोगो को जागरूक करना होगा ।डा चौधरी ने लौंग स्पैन ब्रीज के निर्माण कार्य में अभिकल्प एवं मटेरियल के विशिष्टयो एवं प्रबंधन नीतियों में बदलाव की जरूरत की जोरदार वकालत की एवं इस दिशा में शोध को बढ़ावा देने की जरूरत बताई।उन्होने निम्नलिखित पंक्तियों के साथ अपनी बात समाप्त की-
कथानक व्याकरण समझे तो सुरभित छन्द बन जाये,
इन्जीनियर अभिकल्प अगर समझे तो पुल बुलंद बन जाये ।
लौंग स्पैन स्टील कम्पोजिट ब्रीज की ठान लें हम सब,
कोरोजन रेसिस्टेन्ट डिजास्टर रेजिलिएन्ट केबल स्टेड बन जाये ।
अन्त मे उन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया ।