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• सरकार सुन रही है महिलाओं की आवाज,जिलाधिकारी स्वयं ले रहे फीडबैक

 

• सरकार सुन रही है महिलाओं की आवाज,जिलाधिकारी स्वयं ले रहे फीडबैक

 

दरभंगा  बिहार सरकार द्वारा ग्रामीण विकास विभाग एवं जीविका के सहयोग से दरभंगा जिले में संचालित “महिला संवाद” कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रभावशाली पहल के रूप में सामने आ रहा है।

यह कार्यक्रम जिले के प्रत्येक गाँव और समुदाय तक पहुंच रहा है,जहाँ महिलाएं न केवल अपनी समस्याएं साझा कर रही हैं,बल्कि अपने सपनों और विचारों को भी खुलकर रख रही हैं।

कार्यक्रम की विशेष बात यह है कि महिलाओं द्वारा उठाए गए मुद्दों को जिले के जिलाधिकारी स्वयं अपनी यूज़र आईडी के माध्यम से सुन रहे हैं और उनके समाधान की प्रक्रिया को प्राथमिकता दे रहे हैं।

राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्राप्त समस्याओं का समाधान दो माह की अवधि में सुनिश्चित करें। इस संबंध में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सभी जिलों को ऑनलाइन निर्देश भी भेजे गए हैं,ताकि कार्यक्रम की क्रियान्वयन पक्रिया प्रभावी ढंग से पूरी हो सके।

महिला संवाद के अंतर्गत महिलाओं की समस्याओं को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है–छोटी और बड़ी समस्याएं। छोटी समस्याएं सीधे जिलाधिकारी को भेजी जाती हैं ताकि उनका समाधान जिला स्तर पर शीघ्रता से किया जा सके। साथ ही बड़ी समस्याओं को संबंधित विभागों और कार्यालयों के सहयोग से हल किया जाता है।

कार्यक्रम के प्रभाव से जिले की महिलाओं में आत्मविश्वास की भावना प्रबल हुई है। उन्हें यह विश्वास हुआ है कि उनकी आवाज सुनी जा रही है और समाधान भी हो रहा है। इससे उनमें उत्साह का माहौल बना है और वे समाज में विकास की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित हो रही हैं।

यह कार्यक्रम 18 अप्रैल से प्रतिदिन दो पालियों–सुबह 9 से 11 बजे एवं शाम 4 से 6 बजे तक आयोजित किया जा रहा है। अब तक दरभंगा जिले के 830 ग्राम संगठनों में 25 प्रचार रथों के माध्यम से महिला संवाद कार्यक्रम आयोजित हो चुका है,जिसमें 1.6 लाख से अधिक महिलाओं ने भाग लिया है। इनमें से 18,000 से अधिक महिलाओं ने व्यक्तिगत रूप से अपने संघर्ष,समस्याएं और भविष्य की योजनाएं साझा की हैं।

महिलाओं द्वारा कार्यक्रम में उठाई गई प्रमुख मांगों में जीविका भवन,विवाह भवन,खेल मैदान का निर्माण,जीविका समूहों के लिए बैठने की समुचित व्यवस्था,स्थानीय रोजगार सृजन हेतु छोटे उद्योगों की स्थापना,ऋण पर ब्याज दर में कमी, वृद्धावस्था पेंशन में वृद्धि, स्कूल और कॉलेज की स्थापना, चापाकल और शौचालय निर्माण,पक्की सड़कों की उपलब्धता,पीने के पानी की व्यवस्था,सौर ऊर्जा,आवास सुविधा और सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ शामिल हैं। साथ ही कई महिलाओं ने वंचित बच्चों को छात्रवृत्ति देने की भी मांग की।

कार्यक्रम के माध्यम से यह स्पष्ट हो रहा है कि महिलाएं अब केवल श्रोता नहीं,बल्कि समाज की सशक्त आवाज बन रही हैं।

वे शिक्षा,स्वास्थ्य,कौशल विकास और रोजगार जैसे विषयों पर मुखर हैं और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सजग होकर खड़ी हो रही हैं।

कई महिलाओं ने सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध शपथ ली है और समानता आधारित,न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का संकल्प लिया है।

 

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