• सरकारी योजनाओं से बदली तस्वीर,महिलाओं ने साझा की सफलता की कहानियाँ
• दरभंगा की महिलाओं ने उठाई अतिक्रमण,जाम और स्वच्छता की समस्याएँ
• स्वरोजगार,प्रशिक्षण और लघु उद्योगों की मांग लेकर सामने आईं दरभंगा की महिलाएं

दरभंगा महिला सशक्तिकरण हेतु सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से समाज के हर सभी वर्गों के महिलाओं की सर्वांगीण विकास हो रहा हैं, उनकी आर्थिक व सामाजिक स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव आया है।
महिला संवाद कार्यक्रम के 22 वें दिन 25 जागरूकता रथ के द्वारा दो शिफ्टों में 50 ग्राम संगठनों में कार्यक्रम आयोजित किया गया,महिलाओं ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिये।
*बिहार सरकार द्वारा प्रारंभ किया गया “महिला संवाद” दरभंगा जिले में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सार्थक,प्रभावशाली और जनसरोकार से जुड़ी पहल बनकर उभरा है।*
यह मंच न केवल ग्रामीण और शहरी महिलाओं को उनकी समस्याओं और सुझावों को सामने रखने का अवसर देता है, बल्कि उन्हें सरकार की विभिन्न योजनाओं,उनके अधिकारों और उपलब्ध संसाधनों की जानकारी भी देता है। इसके माध्यम से महिलाएं अपने अनुभव,आकांक्षाएं और जमीनी हकीकतों को साझा कर रही हैं।
कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में जीविका समूहों से जुड़ी महिलाएं भी उपस्थित रहीं। उन्होंने बताया कि जीविका से जुड़ने के बाद उनके जीवन में आत्मनिर्भरता आई है। उन्होंने छोटे व्यवसायों जैसे किराना दुकान, सब्जी व्यापार, सिलाई-कढ़ाई, पशुपालन, ब्यूटी पार्लर, मुरई (चूड़ा बनाने) या अगरबत्ती निर्माण जैसे कार्यों को शुरू किया है। इनसे उनकी आय में वृद्धि हुई है और उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा,घर के खर्च, स्वास्थ्य और सामाजिक प्रतिष्ठा को बेहतर किया है।
महिलाओं ने यह भी बताया कि जीविका और सरकार की योजनाओं से उन्हें न केवल आर्थिक मदद मिली,बल्कि वे अपने आत्मविश्वास को भी पुनः प्राप्त कर पाईं। पहले जो महिलाएं सार्वजनिक रूप से बोलने से डरती थी,आज वे मंच से अपनी बातें बेझिझक रख रही हैं।
कार्यक्रम में महिलाओं ने अपनी स्थानीय समस्याओं पर भी खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के किनारे अतिक्रमण और अव्यवस्थित यातायात जाम एक गंभीर समस्या बन गया है।
महिलाएं खासकर यह कहती हैं कि जब वे बच्चों को स्कूल छोड़ने जाती हैं,अस्पताल या बाजार जाती हैं तो इन्हीं समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सदर प्रखंड की कंचन देवी ने बताया कि दरभंगा मेडिकल सुविधाओं के लिए प्रसिद्ध है,इसलिए यहां आसपास के जिलों से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। लेकिन सड़क किनारे अतिक्रमण और अव्यवस्थित ट्रैफिक व्यवस्था के कारण मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में मुश्किल होती है,जिससे कई बार गंभीर स्थितियां भी उत्पन्न हो जाती हैं।
साथ ही इसके अलावा महिलाओं ने साफ-सफाई की व्यवस्था को लेकर भी अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि कई मोहल्लों, गलियों और बाजारों में कचरा लंबे समय तक पड़ा रहता है,जिससे दुर्गंध और बीमारी फैलती है। महिलाओं ने स्वच्छता अभियान को और प्रभावी बनाने की मांग रखी।
महिलाओं ने तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण की मांग भी रखी। उनका कहना था कि यदि उन्हें कंप्यूटर, सिलाई, मोबाइल रिपेयरिंग, मशरूम उत्पादन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन जैसे विषयों में प्रशिक्षण मिले तो वे स्वरोजगार और लघु उद्योगों की दिशा में और मजबूत कदम उठा सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि बैंक ऋण की प्रक्रिया को सरल और सहज बनाया जाए तो और भी महिलाएं छोटे व्यवसाय शुरू कर सकती हैं।
इस कार्यक्रम से महिलाओं में एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार हुआ है। उन्होंने माना कि उनकी आवाज़ अब न केवल सुनी जा रही है, बल्कि उस पर अमल भी किया जा रहा है। इससे उनमें उत्साह और सहभागिता की भावना जागृत हुई है। अब वे खुद को केवल परिवार तक सीमित न रखकर समाज और पंचायत स्तर पर भी अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार कर रही हैं।
“महिला संवाद” ने दरभंगा जिले की महिलाओं को यह विश्वास दिलाया है कि वे भी नीति-निर्धारण और विकास के विमर्श में भागीदार बन सकती हैं।
अब वे न केवल अपने और अपने परिवार के लिए,बल्कि पूरे गांव और समाज के समग्र विकास के लिए सोच रही हैं और काम करने को तत्पर हैं।
यह कार्यक्रम वास्तव में महिलाओं को केवल सशक्त नहीं बना रहा,बल्कि उन्हें परिवर्तन का वाहक भी बना रहा है।
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