बकरियों के लिए चारा, शेड और बाजार चाहिए: महिला संवाद में गूंजीं ग्रामीण महिलाओं की आवाज़ें
बकरी पालन से आत्मनिर्भरता की ओर: दरभंगा की महिलाएं बोलीं – ‘बकरी है हमारी एटीएम

बिहार सरकार द्वारा 18 अप्रैल 2025 से प्रारंभ किया गया “महिला संवाद” कार्यक्रम दरभंगा जिले में एक मजबूत सामाजिक मुहिम के रूप में उभरा है। यह पहल महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सशक्त, प्रभावशाली और जनसरोकार से जुड़ी गतिविधि बन गई है, जहां महिलाएं न केवल अपनी समस्याएं और सुझाव सरकार के समक्ष रख पा रही हैं, बल्कि विभिन्न सरकारी योजनाओं, अधिकारों और उपलब्ध संसाधनों की जानकारी भी प्राप्त कर रही हैं।
इस संवाद मंच ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित किया है और उन्हें यह एहसास दिलाया है कि वे भी समाज में बदलाव ला सकती हैं।
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों की भी सहभागिता देखी गई। महिलाओं ने बताया कि जीविका समूहों और सरकार की योजनाओं से उन्हें न केवल आर्थिक सहायता मिली है, बल्कि खोया हुआ आत्मविश्वास भी लौटा है।
पहले जहाँ महिलाएं सार्वजनिक मंच पर बोलने से डरती थीं, अब वे बेझिझक अपनी बात रख रही हैं और निडरता से अपनी आवश्यकताओं एवं अधिकारों की चर्चा कर रही हैं।
कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने अपनी स्थानीय समस्याओं को भी सामने रखा। उन्होंने बताया कि उनके गांवों में पहले बुनियादी सुविधाएं जैसे सड़क, नाली, बिजली आदि की भारी कमी थी, लेकिन अब सरकारी प्रयासों से इन क्षेत्रों में सुधार हुआ है। हालांकि, उन्होंने यह भी मांग रखी कि शिक्षा, स्वास्थ्य और स्थायी स्वरोजगार जैसे मुद्दों पर सरकार को और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, जिससे जिले और राज्य का संतुलित और समग्र विकास संभव हो सके।
बकरी पालन से जुड़ी महिलाओं ने विशेष रूप से अपनी समस्याओं और जरूरतों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया। *उन्होंने बकरी पालन को गरीब महिलाओं के लिए चलती-फिरती एटीएम की संज्ञा दी और बताया कि जिले अंतर्गत बड़ी संख्या में महिलाओं का बकरी पालन का कार्य उनके लिए आजीविका का मुख्य साधन है*। लेकिन इसके साथ कई समस्याएं भी जुड़ी हैं, जैसे समय पर पशु चिकित्सा सेवा की अनुपलब्धता, पौष्टिक चारे की कमी, बकरी शेड की आवश्यकता, और बकरियों के उचित बाजार से जुड़ाव की कमी। सुनीता देवी ने कहा कि यदि इन बिंदुओं पर ध्यान दिया जाए, तो बकरी पालन का कार्य और अधिक लाभदायक हो सकता है। बकरी के दूध की मांग भी तेजी से बढ़ रही है, और इसकी औषधीय उपयोगिता को बढ़ावा देने से न केवल आय में वृद्धि होगी, बल्कि स्वास्थ्य लाभ भी सुनिश्चित होंगे।
महिलाओं ने तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण की भी मांग की। उनका मानना है कि कंप्यूटर, सिलाई, मोबाइल रिपेयरिंग, नर्सिंग जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण मिलने से वे स्वरोजगार की दिशा में आत्मनिर्भर बन सकेंगी। इसके अलावा, उन्होंने बैंक ऋण की प्रक्रिया को आसान और सुलभ बनाए जाने की बात भी रखी, जिससे और अधिक महिलाएं छोटे व्यवसाय शुरू कर सकें और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा सकें।
“महिला संवाद” ने दरभंगा की महिलाओं को यह भरोसा दिलाया है कि वे केवल अपने घरों की ज़िम्मेदार नहीं, बल्कि समाज और शासन-व्यवस्था में भी सक्रिय भागीदारी निभा सकती हैं। अब महिलाएं अपने गांव, समाज और जिले के समग्र विकास के बारे में सोच रही हैं और बदलाव की प्रक्रिया में खुद को एक सशक्त भागीदार मान रही हैं। यह कार्यक्रम वास्तव में उन्हें सशक्त बनाकर सामाजिक परिवर्तन का वाहक बना रहा है।
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