• जीविका दीदियों ने मांगी ई-साइकिल सुविधा, होगी बेहतर परिणाम

दरभंगा जिले के विभिन्न ग्राम संगठनों में आयोजित महिला संवाद कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
विशेष रूप से कामकाजी महिलाओं की सक्रिय सहभागिता हुई,जिन्होंने न केवल सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त की,बल्कि अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए तथा अपनी समस्याएं और भविष्य की आकांक्षाएं भी खुलकर व्यक्त कीं।
कार्यक्रम में शामिल महिलाओं ने बताया कि सरकारी योजनाओं ने उनके जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आई है।
विशेष रूप से आंगनबाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी आशा कार्यकर्ताओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे इन योजनाओं के माध्यम से उन्हें रोजगार मिला और आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्राप्त हुआ।
*महिलाओं ने बताया कि आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ उन्हें समाज में सम्मान भी प्राप्त हुआ है। उन्होंने यह अपेक्षा रखी कि उनके कार्य और योगदान को देखते हुए वेतन में उचित बढ़ोतरी की जाए।*
*जिले की विभिन्न पंचायतों और दूर-दराज़ के इलाकों में कार्यरत जीविका दीदियों ने फील्ड में काम करते समय आने वाली समस्याओं को साझा किया।*
उन्होंने बताया कि कई बार गाँवों से बैंक,पंचायत भवन या प्रशिक्षण स्थलों तक की दूरी बहुत अधिक होती है,जिससे समय और ऊर्जा दोनों की बड़ी खपत होती है। बारिश, गर्मी या ठंड जैसे मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों में साइकिल या पैदल फील्ड जाना काफी कठिन हो जाता है। इन चुनौतियों के समाधान हेतु जीविका दीदियों ने ई-साइकिल की मांग की। उनका कहना था कि यदि उन्हें ई-साइकिल की सुविधा उपलब्ध कराई जाए,तो फील्ड विजिट अधिक कुशलतापूर्वक और समय पर हो सकेगी।
मौसम की प्रतिकूलता में भी आसानी से आवाजाही संभव होगी और शारीरिक थकावट कम होगी,जिससे वे अधिक ऊर्जा और उत्साह से कार्य कर सकेंगी।
हायाघाट प्रखंड में आयोजित कार्यक्रम में सामाजिक विकास प्रबंधक नरेश कुमार ने जीविका द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
महिलाओं को सरकारी योजनाओं से जोड़ने, उनके अधिकारों की जानकारी देने और उन्हें स्वावलंबी बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
उन्होंने बताया कि जिले में कुल सात दीदी अधिकार केंद्र बेनीपुर, बिरौल, बहेड़ी,सदर,मनीगाछी, तारडीह व हायाघाट में संचालित किए जा रहे हैं।
ये केंद्र ग्रामीण महिलाओं के लिए सहायता और परामर्श का एक मजबूत मंच बन चुके हैं। इन केंद्रों पर प्रशिक्षित दीदियां महिलाओं की समस्याएं सुनती हैं, घरेलू या सामाजिक हिंसा के मामलों में पीड़िता और आरोपी दोनों पक्षों से संवाद करती हैं और यथासंभव स्थानीय स्तर पर समाधान निकालने का प्रयास करती हैं। यदि आवश्यक हो,तो महिलाओं को कानूनी सहायता और अन्य संस्थाओं से भी जोड़ा जाता है।
दीदी अधिकार केंद्रों की भूमिका की सराहना करते हुए कई महिलाओं ने कहा कि अब उन्हें अपनी बात रखने और न्याय पाने के लिए एक सुरक्षित मंच उपलब्ध है। उन्होंने यह भी बताया कि पहले जो समस्याएं थानों और कोर्ट तक जाती थीं, अब वे अधिकार केंद्र में ही सुलझ जाती हैं,जिससे समय और संसाधनों की भी बचत होती है।
कार्यक्रम के दौरान महिलाओं अब जागरूक हो चुकी हैं और किसी भी प्रकार की अन्यायपूर्ण स्थिति व सभी सामाजिक बुराइयों का डटकर सामना कर रही हैं।
कार्यक्रम का समापन सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा के साथ हुआ,जिसमें महिलाओं ने अपने सशक्तिकरण के अनुभवों को साझा किया और यह संकल्प लिया कि वे न केवल स्वयं के लिए,बल्कि समाज की अन्य महिलाओं को भी जागरूक और आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग करेंगी।
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