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दरभंगा की उपेक्षा अब बर्दाश्त नहीं – मिथिला के युवाओं ने भरी हुंकार

 

 

दरभंगा की उपेक्षा अब बर्दाश्त नहीं – मिथिला के युवाओं ने भरी हुंकार

 

दरभंगा शहर को मिलेगा नया प्रतिनिधि : अभिषेक कुमार झा

 

“मौन अब नहीं, मिथिला के हक़ में निर्णायक लड़ाई की शुरुआत”

मिथिला के हृदय स्थल, सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा में मिथिलावादी पार्टी के तत्वावधान में “मिथिला अधिकार युवा सम्मेलन” का आयोजन ऐतिहासिक स्वरूप में सम्पन्न हुआ। यह सम्मेलन मात्र एक आयोजन नहीं, बल्कि दशकों की उपेक्षा, भुला दिए गए वादों और टूटते स्वप्नों के विरुद्ध मिथिला के युवाओं की एक संगठित हुंकार था। जिसका आयोजन विधानसभा प्रभारी श्री अभिषेक कुमार ने किया।

 

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। जिसमें मिथिलावादी पार्टी के नेता रजनीश प्रियदर्शी , आर के पटवा , CA संदीप झा , अजय झा , डॉ विनय मिश्रा उपस्थित थे।

 

सभी वक्ताओ ने कहा कि : आज जब देश तकनीकी, आर्थिक और शैक्षणिक मोर्चों पर आगे बढ़ रहा है, तब मिथिला और विशेषकर दरभंगा जैसे ऐतिहासिक शहर को योजनाबद्ध ढंग से पीछे धकेला जा रहा है। दरभंगा, जो कभी राजाओं, विद्वानों, कवियों और संतों की भूमि रही, आज बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्षरत है। इस सम्मेलन में मिथिला के अलग-अलग जिलों से आए हजारों युवाओं ने भाग लिया और दरभंगा के मुद्दों पर सरकार की निष्क्रियता पर सवाल खड़े किए।

 

दरभंगा शहर: एक ऐतिहासिक पहचान, आज विकास से वंचित

 

दरभंगा शहर बिहार का एक प्रमुख नगर है जिसे ‘मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी’ कहा जाता है। यह शहर शिक्षा, संस्कृति, साहित्य, संगीत और दर्शन की भूमि रही है। दरभंगा राज, कर्पूरी ठाकुर विश्वविद्यालय, मिथिला चित्रकला, मैथिली साहित्य—इन सबकी जड़ें यहीं से जुड़ी हैं। परंतु, आज इसी शहर की तस्वीर बदहाल है। यह शहर: यातायात और बुनियादी ढांचे की समस्या से जूझ रहा है बेरोजगारी और पलायन का केन्द्र बन गया है । शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मौलिक सुविधाओं में पिछड़ा हुआ है

। सांस्कृतिक संस्थानों की उपेक्षा का शिकार हो चुका है

 

मुख्य मुद्दे जो दरभंगा की जनता को झकझोर रहे हैं:

 

1. दरभंगा एयरपोर्ट का सीमित विस्तार

 

दरभंगा एयरपोर्ट की शुरुआत ने इस क्षेत्र को थोड़ी राहत दी, परंतु आज भी यह सीमित रूट, अस्थायी टर्मिनल और अधूरे इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ कार्य कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय दर्जे के टर्मिनल और अधिक रूट्स की आवश्यकता है, लेकिन केंद्र व राज्य सरकार इस दिशा में गंभीर नहीं दिखती।

 

2. रेलवे ज़ोन की माँग और उपेक्षा

 

दरभंगा को अलग रेलवे ज़ोन देने की माँग वर्षों पुरानी है। मिथिला का यह इलाका रेल कनेक्टिविटी के लिहाज से महत्वपूर्ण है, लेकिन समुचित विकास के बिना यहां की रेलवे सुविधाएं आज भी पिछड़ेपन की मिसाल हैं।

 

3. एम्स व केंद्रीय विश्वविद्यालय की अनुपस्थिति

 

जब हर राज्य में एम्स और केंद्रीय विश्वविद्यालय खोले जा रहे हैं, तब दरभंगा जैसे पुराने शैक्षणिक केंद्र को इससे वंचित रखा जाना स्पष्ट भेदभाव को दर्शाता है।

 

4. दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (DMCH) की दुर्दशा

 

DMCH पूरे उत्तर बिहार का प्रमुख चिकित्सा संस्थान है, लेकिन इसकी हालात जर्जर है। डॉक्टरों की कमी, संसाधनों की अनुपलब्धता और भ्रष्टाचार के चलते आम जनता को इलाज के लिए पटना या बाहर के राज्यों में जाना पड़ता है।

 

5. बाढ़ और जलजमाव की समस्या

 

हर साल बागमती, कमला बलान जैसी नदियों के कारण दरभंगा और आसपास के इलाके बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। न तो बाढ़ प्रबंधन की कोई ठोस योजना है और न ही नालों की सफाई या जल निकासी की व्यवस्था।

 

6. सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण नहीं

 

दरभंगा राज परिसर, नवलखा महल, किला और अन्य धरोहर आज उपेक्षा का शिकार हैं। ये स्थान पर्यटन के लिहाज से संभावनाशील हैं, लेकिन इनके संरक्षण और प्रचार-प्रसार की कोई योजना नहीं है।

 

 

 

राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री सागर नवदिया ने कहा कि : युवाओं की आवाज़: शिक्षा और रोजगार की बाट जोहती पीढ़ी

 

मिथिला के युवा आज भी अच्छी शिक्षा और रोज़गार के लिए दिल्ली, बंगलुरु, मुंबई और अन्य महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं। कर्पूरी ठाकुर विश्वविद्यालय जैसे संस्थान में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का संकट है। B.Ed., Nursing, Law, और Engineering जैसे प्रोफेशनल कोर्सेज में सीमित सीटें और संसाधनों की कमी से छात्र मजबूरी में बाहर जाते हैं। यहाँ IT पार्क, स्टार्टअप इनक्यूबेशन सेंटर, या स्वरोजगार की कोई ठोस योजना नहीं है।

 

 

 

 

 

 

राजनीतिक उपेक्षा का प्रतिकार जरूरी

सम्मेलन में विधानसभा प्रभारी श्री अभिषेक कुमार झा कहा कि मिथिला की उपेक्षा कोई संयोग नहीं, बल्कि योजनाबद्ध षड्यंत्र है। जब तक मिथिला को राजनीतिक रूप से जागरूक और संगठित नहीं किया जाएगा, तब तक हमारा क्षेत्र विकास की दौड़ में पीछे ही रहेगा।

 

“मिथिला को विशेष राज्य का दर्जा मिले”

यह मांग वर्षों से की जा रही है। मिथिला एक विशिष्ट सांस्कृतिक, भाषिक और ऐतिहासिक इकाई है, जिसे अलग पहचान की ज़रूरत है। अगर झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ को अलग राज्य का दर्जा मिल सकता है, तो मिथिला क्यों नहीं?

मिथिलावादी पार्टी की आगामी रणनीति:

 

 

दरभंगा से आंदोलन की शुरुआत – रेल रोको, मानव श्रृंखला, भूख हड़ताल जैसे लोकतांत्रिक उपायों का इस्तेमाल।

 

बिहार विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मुद्दों को प्रमुखता देना।

 

मिथिला विकास बोर्ड की स्थापना, जहाँ बुद्धिजीवी, शिक्षक, छात्र, किसान, और महिला समूह सक्रिय होंगे और विशेष पैकेज की मांग हो।

 

मिथिला सांस्कृतिक परिषद की घोषणा, ताकि सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया जा सके।

 

अभिषेक कुमार झा आह्वाहन करते हुए कहा कि : दरभंगा की जनता अब और सहन नहीं करेगी। मिथिला के युवाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब केवल बातें नहीं, ठोस परिणाम चाहिए। सरकारों को चेतावनी दी गई है कि यदि मिथिला और दरभंगा को उसके अधिकार नहीं दिए गए, तो एक बड़ा जनांदोलन खड़ा होगा। यह सम्मेलन उस आंदोलन का शंखनाद था।

 

इस सम्मेलन में अर्जुन कुमार , शिव मोहन , सुधांशु , कृष्मोहन, नीरज ,संतोष चौधरी ,प्रिय रंजन पांडे ।।

 

“हम मिथिला हैं – हम हक़ लेकर रहेंगे।”

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