अनीमिया मुक्त भारत अभियान में बिहार 21 वें से पहुंचा 15 वें पायदान पर
• केरल एवं तेलंगाना जैसे राज्यों से ऊपर पहुंचा बिहार
• 76% से अधिक गर्भवती माताओं को मिल रही आयरन की दवा
• आयरन सिरप सेवन में दो गुने से अधिक की बढ़ोतरी
• 6 विभिन्न आयु वर्ग के समूहों को एनीमिया से मुक्त करने की पहल
मधुबनी केंद्र सरकार द्वारा अनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम को लेकर स्कोर कार्ड जारी किया गया है
. जिसमें बिहार जहाँ वर्ष 2018-19 में पूरे देश में अनीमिया रोकथाम में 21 वें पायदान पर था. वहीँ कार्यक्रम के शुरू होने के केवल 5 महीने बाद ही यानि दिसम्बर 2019 में 15 वें पायदान पर पहुँच गया है. स्वास्थ्य के कई मानकों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शुमार केरल एवं तेलंगाना जैसे अन्य राज्य बिहार से निचली पायदान पर हैं, जो राज्य की एक अहम उपलब्धि की तरफ इशारा करती है.
आने वाले समय में बेहतर प्रदर्शन की संभावना:
अनीमिया मुक्त भारत के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. वीके मिश्रा ने बताया एनीमिया का ख़तरा प्रत्येक आयु वर्ग के लोगों को रहता है. इसे ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत बच्चों से लेकर धात्री माताओं तक के विभिन्न आयु वर्ग के 6 समूहों के लिए अनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम की शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा की गयी है. बिहार में 31 जुलाई 2019 को इस कार्यक्रम की शुरुआत की गयी. वर्ष 2018-19 में जहाँ एनीमिया रोकथाम को लेकर बिहार पूरे देश में 21 वें पायदान पर था. वहीँ तीसरे क्वार्टर यानी दिसम्बर 2019 में 15 वें पायदान पर पहुँच गया है. बिहार ने प्रत्येक तिमाही में प्रगति की है. वर्ष 2019 के पहले क्वार्टर(अप्रैल से जून ) में 21 वें पायदान से 19 वें, दूसरे क्वार्टर(जुलाई से सितंबर) में 16 वें पायदान एवं अंतिम क्वार्टर(अक्टूबर से दिसम्बर) में 15 वें पायदान पर पहुँचने में सफलता मिली है. कार्यक्रम के बेहतर क्रियान्वयन के लिए राज्य द्वारा निरंतर फोलोअप किया जा रहा है. आने वाले समय में और बेहतर परिणाम सामने आयेंगे.
जन-जागरूकता से बदलेगी तस्वीर:
अनीमिया एक लोक स्वास्थ्य समस्या है. इसमें अनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम अहम भूमिका अदा कर रहा है. इसलिए इस कार्यक्रम के प्रति लोगों में जागरूकता महत्वपूर्ण है. कार्यक्रम के तहत विभिन्न आयु वर्ग के 6 समूहों को चिन्हित किया गया है. जिसमें 6 माह से 59 माह तक के बालक एवं बालिकाओं के लिए हफ्ते में दो बार ऑटोडिस्पेंसर की मदद से 1 मिलीलीटर दवा दी जाती है. वहीँ 5 वर्ष से 9 माह तक के बच्चों को हफ़्ते में 1 गुलाबी गोली एवं 10 से 19 वर्ष के किशोर एवं किशोरों को हफ़्ते में 1 गुलाबी गोली प्रत्येक बुधवार को स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों में दिया जाता है. साथ ही 20 से 24 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाएं(जो गर्भवती अथवा धात्री ना हो) को हफ्ते में एक लाल गोली, गर्भवती माताओं को गर्भावस्था के चौथे महीने से 180 दिनों तक की खुराकें एवं धात्री माताओं को प्रसव के बाद प्रसव के बाद 180 दिनों तक वीएचएसएनडी स्थल पर आयरन की गोली दी जाती है.
आयरन सिरप के सम्पूर्ण ख़ुराक सेवन में दो गुने से अधिक की हुयी बढ़ोतरी:
केंद्र सरकार द्वारा जारी अनीमिया मुक्त भारत स्कोरकार्ड के अनुसार दिसम्बर 2019 तक यानि तीसरे क्वार्टर में राज्य के 6 माह से 59 माह तक के 10% बच्चे आयरन सिरप की सम्पूर्ण ख़ुराक का सेवन कर रहे हैं. जबकि वर्ष 2019-20 के दूसरे क्वार्टर में केवल 3.8% बच्चे ही सम्पूर्ण ख़ुराक का सेवन कर पाते थे. वहीँ 76.5% गर्भवती महिलाओं को तीसरे क्वार्टर में 180 आयरन टेबलेट प्रदान की जा रही है. जबकि दूसरे क्वार्टर में 74.6% गर्भवती महिलाओं को ही 180 आयरन टेबलेट प्रदान होती थी. इसी तरह अन्य लक्षित समूहों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है. वर्ष 2019-20 के दूसरे क्वार्टर में 5 साल से 9 वर्ष तक के 7.2% बच्चों को हफ्ते में एक गुलाबी आयरन की टेबलेट प्रदान की जा रही थी, जो तीसरे क्वार्टर में बढ़ कर 12.4 % हो गयी. जबकि 10 से 19 वर्ष के 41.5% किशोर एवं किशोरियों को हफ्ते में एक नीली आयरन की टेबलेट मिल रही थी, जो जो तीसरे क्वार्टर में बढ़ कर 45.6% हो गयी.