बच्चों और युवाओं को तंबाकू सेवन से बचाने की जरूरत : मंगल पाण्डेय
• चबाने वाले तंबाकू के क़ानूनी प्रावधानों के अनुपालन को लेकर दो दिवसीय राष्ट्रीय कंसल्टेशन का आयोजन
• बिहार में तंबाकू सेवन 54% से घटकर 26% हुयी
• बिहार में लगभग 1.75 करोड़ लोग करते हैं चबाने वाले तम्बाकू का सेवन
• लगभग 90% मुंह का कैंसर चबाने वाले तंबाकू से होता है
पटन देश भर में लगभग 20 करोड़ लोग चबाने वाले तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि बिहार में चबाने वाले तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों की संख्या लगभग 1.75 लाख है,

जो नीदरलैंड जैसे देश की पूरी जनसंख्या के बराबर है. तंबाकू सेवन के इन आंकड़ों को और कम करने हेतु हमसबों को सतत प्रयास करने की जरत है। पिछले कईवर्षों से सरकार ने चबाने वाले तंबाकू को नियंत्रित करने के लिए कई प्रभावी कदम भी उठाये हैं. वर्ष 2012 में बिहार गुटखा प्रतिबंधित करने वाला तीसरा राज्य बना था. वर्ष 2014 में सरकार ने सभी तरह के चबाने वाले तंबाकू जैसे गुटखा, पान मसाला, सुपारी आदि पर प्रतिबंध लगाया था. लेकिन माननीय पटना उच्च न्यायलय ने उस प्रतिबंध को ख़ारिज कर दिया था. जिसके खिलाफ़ राज्य सरकार ने अपील दायर की थी जो अभी लंबित है. ये बातें स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने मंगलवार को शहर के एक होटल में स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार की संस्थान राष्ट्रीय कैंसर एवं अनुसंधान संस्थान(एनआईसीपीआर) और स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त तत्वाधान में चबाने वाले तंबाकू के क़ानूनी प्रावधानों के अनुपालन को लेकर दो दिवसीय राष्ट्रीय कंसल्टेशन के दौरान कही.
मंगल पाण्डेय ने इस दौरान चबाने वाले तंबाकू पर तैयार फैक्ट शीट का विमोचन भी किया. राष्ट्रीय परिचर्चा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य के बच्चों और युवकों को तंबाकू सेवन से बचने की जरूरत है. विशेषकर चबाने वाले तंबाकू से अधिक परहेज की जरूरत है क्यों’कि लगभग 90% मुँह के कैंसर के पीछे चबाने वाले तंबाकू कारण बनते हैं.
बिहार में तंबाकू सेवन करने वाले लोगों में आई कमी:
इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि तंबाकू सेवन की रोकथाम में बिहार ने उपलब्धि हासिल की है. राज्य में तंबाकू सेवन करने वाले लोगों की संख्या में काफ़ी कमी है. पहले बिहार में 53.5% लोग बिहार में तंबाकू का सेवन करते थे, जो घटकर 25% हो गया है. यह राष्ट्रीय औसत से(28.6) से भी कम है. राज्य सरकार और सीड्स के संयुक्त प्रयास से राज्य के 13 जिले ध्रूमपान घोषित किये जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि तंबाकू उत्पाद के सेवन से होने वाले दूरगामी खतरों के प्रति आम जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है. कई लोगों को ज्ञात होता है कि तंबाकू सेवन से कैंसर का खतरा होता है. लेकिन उन्हें लगता है उनको चबाने वाले तंबाकू के सेवन करने से मुँह का कैंसर नहीं होगा. इस सोच में बदलाव की जरूरत है. सरकार ऐसे तंबाकू उत्पादों के सप्लाई पर प्रतिबंध लगाने के निरंतर उपाय कर रही है. लेकिन आम लोगों को तंबाकू सेवन बंद कर इसकी मांग को कम करना होगा.
तंबाकू सेवन से अचानक मौत का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है:
राष्ट्रीय कैंसर एवं अनुसंधान संस्थान(एनआईसीपीआर) की निदेशिका शालिनी सिंह ने कहा कि प्रत्येक वर्ष भारत में तंबाकू जनित रोग के कारण लगभग 13 करोड़ लोगों की मौत हो जाती है. तंबाकू सेवन मुँह के अतिरिक्त गला, फेफड़ा, कं, मूत्राशय एवं गुर्दा इत्यादि अन्य अंगों में कैंसर पैदा कर सकता है. इसके सेवन से ह्रदय और रक्त संबंधी बीमारियाँ, प्रजनन क्षमता में कमी एवं बांझपन जैसी समस्या भी पैदा कर सकती है. ध्रूमपान नहीं करने वाले व्यक्ति की तुलना में . ध्रूमपान करने वाले व्यक्ति की आयु 22 से 28% कम हो जाती है. साथ ही अचानक मौत का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है.
इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार, स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव कौशल किशोर, सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा, स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार के प्रतिनिधि डॉ. स्वास्तिचरण के साथ विभिन्न राज्यों के खाद्य संरक्षा आयुक्त उपस्थित थे.
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