छात्र सेना की विश्वविद्यालय और प्रदेश इकाई की ओर से ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय को C.M.Law college में उर्दू में लिखे नेम प्लेट को हटाने के संबंध में आवेदन सौंपा
गया। मौके पर मौजूद छात्र सेना के विश्वविद्यालय महासचिव अविनाश कुमार का कहना है की इस विकट कोरोना वायरस जैसी महामारी के संकट के बीच कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा समाज में भाषा और रंग के आधार पर नफरत फैलाने का काम किया जा रहा है इसी नफरत की आग में चंद मुट्ठी भर लोग अपनी राजनीतिक रोटी सेकने में लगे हैं महासचिव महोदय ने विश्वविद्यालय का ध्यान अपनी और आकर्षित करते हुए कहा कि जल्द से जल्द विश्वविद्यालय प्रशासन इस पर कोई ठोस कदम उठाए वही छात्र सेना के प्रदेश प्रभारी मोहम्मद कैफ का कहना है इस तरह के घिनौनी हरकत कर हिंदुस्तान की गंगा जमुना तहजीब कि कौमी एकता को कमजोर करने की साजिश की जा रही है। जबकि उर्दू भाषा हिंदुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप मानी जाती है उर्दू भाषा हिंदुस्तान की जबान है जिसे दुनिया के अलग-अलग देशों में एवं उनके विश्वविद्यालय में बोली और पढ़ी जाती है बिहार राज्य का द्वितीय राज्य भाषा उर्दू है बिहार सरकार के सभी सरकारी कार्यालय में नेम प्लेट उर्दू भाषा में भी लिखी हुई है। इसके बावजूद इस महामारी के समय जहां पूरी दुनिया संकट से जूझ रही है वही कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा इस घटना को रंगभेद और संप्रदायिक रूप देने की कोशिश कर रहे हैं जबकि भारत का तिरंगा का तीनों रंग भारतीय एकता और अखंडता का प्रतीक माना जाता है। साथ ही अनुराग सिंह गौतम
ने कहा की उर्दू भाषा में बोर्ड लगा कर फिर उसे एक साजिश के तहत प्रिंसिपल के द्वारा कुछ लोगों की मिलीभगत से हटा दिया गया । उन्होंने कहा की अब मै यूनिवर्सिटी से मांग करता हूँ की पहले के भाति कॉलेज मे फिर से नाम प्लेट पर हिंदी के साथ साथ उर्दू , इंग्लिश और मिथिलाक्षर में भी नाम लिखे । सीएम साइंस कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष अरुण बिहारी, अनुज ने कहा यदि विश्वविद्यालय प्रशासन समय रहते इस पर कोई कदम नहीं उठाती है और कानूनी कार्रवाई नहीं करती है पूरे बिहार स्तर पर छात्र सेना के द्वारा उग्र आंदोलन करने पर विवश होगा जिसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ विश्वविद्यालय प्रशासन होगी।
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