2 माह बाद शुरू की गई गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच
– गर्भावस्था में पांच टेस्ट कराना आवश्यक
-अस्पतालों
निः शुल्क मिलती है सभी सुविधाएं
– गर्भधारण के तीसरे महीने से सुरक्षित प्रसव तक की सारी जिम्मेदारी सरकार की
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों एवं पीएचसी में हर माह 09 तारीख को होने वाले गर्भवती महिलाएँ का एएनसी(प्रसव पूर्व जांच) जाँच कोविड-19 संक्रमण तथा लगातार लॉकडाउन के कारण दो माह अप्रैल एवं मई में बाधित रही। जिसे जून माह की 9 तारीख को सदर अस्पतालों एवं सभी पीएचसी में उक्त कार्यक्रम का आयोजन हुई। इस संबंध में मातृ स्वास्थ्य विभाग की राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ सरिता कुमारी ने पत्र जारी कर सिविल सर्जन को इस कार्यक्रम का आयोजन सुनिश्चित कराने को निदेश भी दिया था। ताकि एक भी गर्भवती उक्त जाँच से वंचित नहीं रहे। कार्यक्रम के दौरान कोविड-19 के प्रोटोकॉल (सोशल डिस्टेंस) का भी पालन गर्भवती महिलाओं द्वारा किया गया। यह कार्यक्रम कंटेनमेंट एवं बफर जोन आयोजित नहीं की गई।
गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ देखभाल के उद्देश्य से प्रत्येक महीने के 9 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान जिले में चलाया जाता है। अभियान के तहत जिले के सदर अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी पर गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच कर उपचार किया जाता है। अभियान का उद्देश्य मातृ और नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए जिले में मुहिम चलाकर गर्भवती महिलाओं को मुफ्त प्रसव पूर्व जांच कराई गई।
गर्भावस्था में ये पांच टेस्ट कराना जरूरी:
•ब्लड टेस्ट
•यूरिन टेस्ट
•ब्लड प्रेशर
•हीमोग्लोबीन
•अल्ट्रासाउंड
सिविल सर्जन डॉक्टर सुनील कुमार झा ने बताया कि इस अभियान में सरकारी चिकित्सकों के द्वारा गर्भवती महिलाओं को गुणवत्ता पूर्ण चिकित्सा सेवाएं दी जाती है। अभियान के तहत प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मी के द्वारा गर्भवती महिलाओं के रक्त परीक्षण, ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन, यूरीन टेस्ट, वजन, गर्भ में बच्चे की बढ़त आदि जांच की जाती है। इसी के साथ उन्हें खानपान और सरकारी सेवाओं के बारे में बताया जाता है। गर्भवती महिलाओं की सुविधा के लिए हर महीने की 9 तारीख को जिले के स्वास्थ्य केंद्रों, सरकारी अस्पतालों में जांच किए जाते हैं। संबंधित महिलाएं अपना कार्ड दिखाकर इन सभी स्वास्थ्य केंद्र में जांच आदि करा सकती हैं।
गर्भधारण के तीसरे महीने से सुरक्षित प्रसव तक की जिम्मेदारी सरकार की:
गर्भावस्था या प्रसव के दौरान मां और शिशु की मृत्यु रोकने, उन्हें समय पर उचित इलाज मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) जून 2016 से शुरू किया गया है। इसका लाभ किसी भी समुदाय की महिला उठा सकती है। जिन्हें 3 से 6 माह का गर्भ है, वे महिलाएं नजदीकी सरकारी अस्पताल में अपना पंजीयन कराती हैं तो उन्हें परामर्श, सभी जरूरी जांच तथा दवाई सब कुछ मुफ्त में मिलेगा।
पंजीयन के बाद जब आपका कार्ड बन जाता है, तो उसे लेकर आप किसी भी सरकारी अस्पताल या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जाकर जांच व डिलीवरी करा सकती हैं।
योजना से होने वाले फायदे:
मातृत्व मृत्यु दर कम होगी। गर्भवती महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के मुद्दों, गर्भवती महिलाओं को रोगों के बारे में जागरूक कर सुरक्षित प्रसव कराया जा सकता है। इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं की सभी प्रकार की डॉक्टरी जांच पूरी तरह से मुफ्त मिलती है। निःशुल्क डिलीवरी के बाद बच्चे का सभी तरह का टीकाकरण, चेकअप भी निःशुल्क होता है।