गोपालगंज।
अपने संतान को उचित शिक्षा एवं पालन पोषण ही पिता का होता है सबसे बड़ा धर्म:पंडित धर्मनाथ मिश्र।
जीवन में पिता का सबसे बड़ा महत्व होता है। आधुनिकता या प्राचीनता के आधार हर वर्ष जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है।इस अवसर पर जिले के भोरे प्रखंड क्षेत्र के मिश्र बेलवा गांव निवासी पंडित धर्मनाथ मिश्र कहते हैं कि अपनी संतान को उचित शिक्षा एवं पालन पोषण पिता का सबसे बड़ा धर्म होता है। साथ ही अपनी संतान का मार्गदर्शन व संतान को गलत मार्ग पर जाने से रोकना भी एक सार्थक कर्तव्य होता है। यूं तो घर की सारी जिम्मेदारियों अपने कंधे पर उठाकर चलने का कर्तव्य पिता द्वारा किया जाता है। श्री मिश्र बताते हैं कि वक्त वक्त पर आधुनिकता व प्राचीनता के अनुसार पिता को बच्चों के दोस्त के रूप में भी काम आना चाहिए पिता पुत्र का रिश्ता कभी खत्म होने वाला नहीं है।बदलाव कहिए या भटकाव कुछ तो बदला है ऐसे में इस समय मे थोड़ा सा पिता को बदलना होगा। जब बच्चे बड़े हो जाएं तो उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का समय है। आदमी के जीवन का निर्वाह बच्चे से हो सकता।ऐसे में हमारे सोच यानी पिता की सोच बदलना होगा। हर कार्य में बेटे का सहयोग अनिवार्य हो तभी हम बुढ़ापे की जीवन निर्वाह कर सकते हैं।