लालजी टंडन के निधन पर विद्यापति सेवा संस्थान ने जताया शोक
मध्य
प्रदेश के वर्तमान एवं बिहार के पूर्व राज्यपाल लालजी टंडन के निधन पर विद्यापति सेवा संस्थान ने शोक जताया। अपने शोक संदेश में संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि एक प्रभावी प्रशासक, संवैधानिक मामलों के जानकार एवं राजनीति में लोक कल्याण के विषयों को विशेष अहमियत देने वाले राजनीतिज्ञ के रूप में वे हमेशा याद किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मिथिला वह मैथिली के प्रति उनके दिल में अगाध प्रेम था। मिथिला विश्वविद्यालय के दीक्षांत परिधान के रूप में पाग व मिथिला पेंटिंग युक्त चादर को शामिल किए जाने को लेकर आम मैथिल के दिलों में वे हमेशा जीवंत बने रहेंगे।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने उन्हें अध्ययनशील राजनीतिज्ञ करार देते हुए कहा कि उनके निधन से देश ने एक लोकप्रिय जन नेता और प्रखर समाजसेवी खो दिया।
वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने कहा कि एक कुशल संगठक, राष्ट्रीय विचारक व सफल प्रशासक के रूप में किए गए विकास कार्यों के लिए वे हमेशा जीवंत बने रहेंगे। राष्ट्र के प्रति उनके प्रेम और प्रगति के लिए दिए योगदान को लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि उनका जीवन न सिर्फ जनता की सेवा को समर्पित रहा, बल्कि अपनी कार्यशैली से उन्होंने जीवन के अंतिम पड़ाव तक एक अलग छाप छोड़ी। अपनी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए डॉ बुचरू पासवान ने कहा कि राजनीति में सामाजिक, मिलनसार एवं संस्कारी व्यक्तित्व की वे अद्भुत मिसाल थे। डॉ महेंद्र नारायण राम ने उन्हें संघर्ष से उपजा परिपक्व नेता बताया।
बिहार के राज्यपाल के रूप में साल भर से भी कम समय के कार्यकाल में उच्च शिक्षा के विकास में दिए गए उनके योगदानों का उल्लेख करते हुए मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोहों के नियमित आयोजन, दीक्षांत समारोहों में भारतीय परिधानों के चलन का शुभारंभ कराने सहित राजभवन को शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र-बिन्दु बनाये जाने के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के विकास का ब्लूप्रिंट तैयार करने के लिए नैक मान्यता, डिजिटलाइजेशन एवं शोध विषयों पर राजभवन में कार्यशालाओं के आयोजन के लिए हुए हमेशा याद किए जाएंगे।
शोक जताने वाले अन्य लोगों में विनोद कुमार झा, प्रो विजय कांत झा, डॉ उदय कांत मिश्र, डॉ गणेश कांत झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, आशीष चौधरी आदि शामिल हैं।
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