मिथिला के इतिहास में इतनी बड़ी घटना कभी नहीं हुई, जो मधुबनी के मोहम्मदपुर में हुई। इस नरसंहार में जातीय रंग नहीं है। आज हमने नरसंहार के पीडि़तों से मिले और घटना की पूरी जानकारी ली। मालूम चला कि गैंग का वर्चस्व बनाने के लिए इस घटना को अंजाम दिया गया। जिस तरह की घटना हुई, उसमें बहुत बड़ा गुस्सा दिखा। इस गैंग में जो लोग भी हैं, वो सभी लोग तस्करी में संलिप्त हैं। इस तस्कर गिरोह को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।
दुख होता है कि मंत्री संजय झा मधुबनी में थे, लेकिन नहीं आये। भाजपा के विधायक नहीं आये। हाफपेंट पहन कर भागने वाले सुशील मोदी बगल में आये, लेकिन वे नहीं आये। इस घटना को सत्ता में बैठे लोगों ने होली के तीन दिन बाद तक इस घटना को दबाने का प्रयास किया। वो तो सोशल मीडिया में की वजह से घटना संज्ञान में आ सका। पूरा बिहार इस घटना पर दुखी है। लेकिन राजनीतिक पार्टी और बजरंग दल जैसे लोग को इसस मतलब नहीं है। हमारी मांग है कि 15 दिनों के अंदर चार्जसीट फाइल हो। और 35 लोगों की गिरफ्तारी होनी चाहिए। अगर परिवार लोगों ने आपत्ति जताई है कि इस घटना अगर विनोद नारायण झा जी का हाथ है तो उसकी जांच होनी चाहिए।